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Saturday, May 21, 2016

परिवर्तन

विचारों के  परिवर्तन  विचित्र है जग में ।
जब मैं दस साल का था कहते थै,
पाप का फल बच्चे भौगेंगै।
तभी हुई दैश की आजादी।
जब मैं बीस साल का था ,
तब कहते थे- रिश्वत लिये - दिये जीना मुश्किल।
आजाद होकर बीस  साल बीत गयै।
जब मैं चालीस साल का हूँ
कहतै हैं - वह तो बडा चतुर।
कालाबाजारी, गैर कानूनी काम ।
पुलिस उनकी कठपुतली।
चार पीढियों तक संपत जोड लिया।
आजाद होकर चालीस साल बीत गये।
अब  मेरी उम्र साठ साल हे गयी।
कहते हैं करोडों खरच करके यम.पि. बन गया।
कैंद्र का मंत्री बन गया।
दो लाख करोड भ्रष्टाचार ।
विदेश बैंक में काला धन।
भ्रष्टाचार- खून - हत्याएँ।
अपराधी है बडा,पर जीतेगा वही।
अब एक नये अति शिक्षित वर्ग।
बगैर ब्याह के मिलकर रहेंगे।
जाति के बंधन में नहीं फँसेंगे।
पाप की कमाई हो या पुण्य की ,
खूब मजा। भोग।
न बच्चे , पाप भोगने।
मरना तो अचल सत्य।
धन, धन, धन।
न प्यार करने ,प्यार देने का अवसर ।
धन ही प्रधान आध्यात्मिक क्षेत्र हो या राजनैतित।
विचार बदल गये। न्याय का गला घोंट रहे हैं।
ये अपराध खुल जाते हैं,
मुकद्दमा चलते हैं,पर अपराधी जमानत में बाहर।
राजनैतित कर्ता - धर्ता  वही।
मुकद्दमा चलता रहता है,
अपराधी बन जाता मंत्री या मुख्य मंत्री।
काल परिवर्तन ,विचार परिवर्तन ।
अजीहो गरीब  बन गया प्रधान। ।जय भारत ।

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