Wednesday, May 25, 2016

हिंदी लेखक

गाडीचलतीतेज़, मन की गतिअतितेज़.
हवामें महल बनाना  आसान,
मनकेघोड़े केरफ्तार कमकरनामुश्किल.
जीकीचंचलताकी स्थिरता के लिए
जी  सेमिलने गया, डर था  किछडीका मार नपड़ें.
सद्यःफलपाने पड़ोसिन साधूसेमिलनेगयी,,
आश्रम मेंहीलींन
होगयी.
हिंदी लेखक बनने बकनेलगातो
याद आयीमुंशीप्रेमचंदजी की
लोगोंने  उपन्यास सम्राटकीउपाधीदी
सुना  उसके घरमें चूल्हा न  जला.
आज देखताहूँ  दो काममें करोडपति
एकतोअपराधकरके बनसांसद.
या बनोमहंतमठाधिपति.
क्या न लिखता पता नहीं,
बन जाते लेखक  कवि.

कितना बका कितनासमझापता नहीं
वहीभ्रष्टाचारीबनामंत्री.

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