Sunday, May 1, 2016

जिद्दी /हठ--- तिरुक्कुरळ - काम १३०१ से १३१०


जिद्दी /हठ--- तिरुक्कुरळ - काम १३०१  से १३१०
१.प्रेमी  के आलिंगन से थोडी देर   रोकेगे  तो तुम्हारे   रूठने के दुख प्रेमी कैसे  अनुभव करते  हैं  उसे   थोडी  देर  तक   देख सकती  हो.

२. रूठने और प्रेम मिलन की देरी भोजन. में नमक के  समान   थोडी ही होनी  चाहिए.
वह. देरी  लंबी  होने  पर. जैसे भोजन में  नमक बढने  पर अच्छा  नहीं लगेगा ,वैसे ही काम बिगड जाएगा.

३. हम. से  रूठनेवालों के रूठ को जल्दी आलिंगन  करके दूर न. करेंगे  तो
दुखी को और दुख बढाने  के  समान  हो जाएगा.

४. क्रोधी प्रेम के क्रोध को दूर करने  का प्रयत्न न करना और प्रेम  न दिखाना पहले ही सूखी

लता को जड से नष्ट करने  के  समान है.

५. अनुशासित  प्रेमी की शोभा  तभी बढती  है , जब कुसुम -सी  सुंदरी  उनके व्यवहार. से  रूठती  है.

६. प्रेम में . रूठ  छोटी - बडी  न  होने पर,   काम अति  पके  फल  के  समान  या  छोटे कच्चे फल के समान  बेकार. हो  जाएगा.

७. संभोग का समय  लंबा होगा या छोटा , यह. सोचकर  रूठने  में भी वेदना बढेगी ही.

८. हमारी वेदना को समझने ,जाननेवाले प्रेमी  न रहने पर दुख होने से क्या लाभ  है.

९. छाया  के  नीचे रहनेवाला  जल ही ठंडा  रहेगा. वैसे  ही रूठ में ही प्रेम आनंदप्रदायिनी है.

१०. रूठी प्रेयसी को खुश प्रदान न करके वेदना बढानेवाले प्रेमी  से प्रिय मिलन. की  चाह
 के कारण चाह. ही  हैं. चाह. ही दुखों  के मूल है.



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