भद्रगिरियार -४
तमिल मूल :--(२१ ) अत्तन इरुप्पिडतै आरायन्तु पार्थ्थु नितम
सेत्त सवम पोल तिरिवतिनि यक्कालम। |
हिंदी भावार्थ :---दिन -दिन ईश्वर के वासस्थान की खोज में
लौकिक इच्छाएँ तजकर लाश -सा भटकने का मेरा समय कब आएगा |
तमिल मूल :--(२२ ) ओळींत तरु मत्तिनैवैत तुललेलुम्बू वेळ एलुमबाय्क
कलिंत पिणम पोलिरुन्तु कान पतिनि यक्कालम ||
हिंदी:-- लौकिक इच्छाएँ छोड़कर सन्यासी धर्म पर दृढ़ रहकर हड्डी श्वेत बनकर
बेकार शव जैसा तेरी कृपा पाकर दर्शन करना कब होगा?
तमिल मूल :-{२३ } अर्प सुखमरंते अरिवै अरिवालारिन्तु
गर्भत्तील वीलन्तु कोंड कोलरुप्पतू यक्कालम।
पवित्र बुद्धि के भगवान को ,
उनके चरण कमल की अनुभूति करके
जन्म के अल्प सुख के विचारों को छोड़कर
जीने का काल कब आएगा?
तमिल मूल :--(२१ ) अत्तन इरुप्पिडतै आरायन्तु पार्थ्थु नितम
सेत्त सवम पोल तिरिवतिनि यक्कालम। |
हिंदी भावार्थ :---दिन -दिन ईश्वर के वासस्थान की खोज में
लौकिक इच्छाएँ तजकर लाश -सा भटकने का मेरा समय कब आएगा |
तमिल मूल :--(२२ ) ओळींत तरु मत्तिनैवैत तुललेलुम्बू वेळ एलुमबाय्क
कलिंत पिणम पोलिरुन्तु कान पतिनि यक्कालम ||
हिंदी:-- लौकिक इच्छाएँ छोड़कर सन्यासी धर्म पर दृढ़ रहकर हड्डी श्वेत बनकर
बेकार शव जैसा तेरी कृपा पाकर दर्शन करना कब होगा?
तमिल मूल :-{२३ } अर्प सुखमरंते अरिवै अरिवालारिन्तु
गर्भत्तील वीलन्तु कोंड कोलरुप्पतू यक्कालम।
पवित्र बुद्धि के भगवान को ,
उनके चरण कमल की अनुभूति करके
जन्म के अल्प सुख के विचारों को छोड़कर
जीने का काल कब आएगा?
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