पड़ता हूँ मुख पुस्तिका के हिंदी भाषी
कवियों की कवितायेँ , अति सुन्दर.
नाना भाव उठते हैं मन में ,
विचार मेरे शब्द हिंदी पर मैं हूँ हिंदीतर
हिन्दिविरोध क्षेत्र में पला, बढा हिंदी प्रचारक .
तमिल भाषी नेता गोरी अंगरेजी से गले लगाते हैं ,
न समझ रहे हैं वह रखैल
तमिल पत्नी को
तमिल माता को ,
तमिल कुमारी को
गला घोंटकर मार रही हैं.
अभी हर गाँव ,
हर शहर में
अंगरेजी का बोलबाला है,
भारतीय भाषाएँ
जीविकोपार्जन के क़ानून न हो तो
अंग्रेज़ी मगर मच्छ
सारी भारतीय भाषाओं को निगलेगी.
ज़रा सोचना ,जागना, जगाना
भारतीय युवकों का काम.
पूर्वज संस्कृत को भूल
चंद अंगरेजी पद ,
अधिकार के लिए
अंग्रेज़ी सीख उसीमें ज्ञानसागर ,
भारतीय भाषाएँ,
अज्ञान का दरिया
सिखा दिया,
अभी सत्तर साल के बाद भी
न जागें तो
संस्कृत के सामान
अव्व्यवाहर की भाषाएँ बन जायेंगी
भारतीय भाषाएँ .
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