Thursday, July 26, 2018

मन का झूला

मन  का  झूला
झूला हिलाने पर आगे -पीछे झूमेगा ,पर
मनुष्य मन भी तरंगों के समान आगे पीछे झूमेगा .
अस्तित्व मनुष्य का अशाश्वत है , फिर भी
मन के घोड़े आगे -पीछे बिना नकेल के .
काबू में लाना कहा सोचा तो किसीने कहा -
देखो ,तितलियाँ विविध रंग-बिरंगे ,
दूसरे ने दिखाया -देखो रंग-बिरंगे फूल .
तीसरे ने कहा -देखो रंगबिरंगे पक्षी ,
देख नाटे-मोटे -लम्बे गोरे -काले मनुष्य
स्वादिष्ट मीठे -खट्टे -कडुवे फल ,
मीठे -खारे -पानी में भी रंग .
झूलता मन प्राचीन किले ,इमारत
आधुनिक साधन सुविधाएं
मन झूलता सपना देखता ,पैर हिलाता
आगे -पीछे झूले ,झूलते रहते .
मानसिक इच्छा ,ज्ञान , क्रिया आगे आगे
बढाता मनुष्य जीवन को जब मन का झूला झूमता रहें .

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