सहनशीलता -- तिरुक्कुरळ.
कवि --तिरुवल्लुवर
१. हमें भूमि के समान सब्रता चाहिए.
हम भूमि को खोदते हैं ,भूमि सह लेती है.
वैसे ही हमें सहन शक्ति चाहिए.
ऐसी सहनशीलता ही सच्चा धर्म है.
२.
हमें असीम दुःख जो देते हैं ,
उन दुखों को सह लेना और
उनको भूल देना भी चाहिए.
भूलना सहने से श्रेष्ठ है.
३.
जो अतिथि आते हैं ,
उनको उचित आदर सत्कार
न करना ही दरिद्रता है.
अधिकतम शक्ति
अज्ञानी लोगों की भूलों को क्षमा करने में मिलती है.
४.
जिसमें सहनशीलता का वास है ,
उसी को दुनिया पूर्ण आदमी कहकर सराहना करेगा .
५.
अपनी बुराई करनेवालों को
क्षमा करनेवालों को दुनिया तारीफ करेगी.
असब्र लोगों को लोग न मानेंगे.
६.
अपनी बुराई करनेवाले को जो दंड देता है ,
उसीको एक ही दिन आनंद मिलेगा.
जो क्षमा कर छोड़ देता है
उसी को जिन्दगी भर आनंद मिलेगा
जिन्दगी भर .
७.
बुरे चरित्रवालों से , बुराई करनेवालों से बदला न लेना ही उत्तम गुण है.
८.
अहंकारी अत्याचारियों को हम अपनी सहनशीलता से जीत सकते हैं.
९.
बुरे निंदकों के कटुवचन सहनेवाले ही पवित्र संत हैं.
१०.
दूसरों के कठोर शब्दों को
जो सह लेते हैं ,
उनको अनशन रखनेवाले समाज सेवी से
बढ़कर सम्मान में प्राथमिकता मिलेगी.
कवि --तिरुवल्लुवर
१. हमें भूमि के समान सब्रता चाहिए.
हम भूमि को खोदते हैं ,भूमि सह लेती है.
वैसे ही हमें सहन शक्ति चाहिए.
ऐसी सहनशीलता ही सच्चा धर्म है.
२.
हमें असीम दुःख जो देते हैं ,
उन दुखों को सह लेना और
उनको भूल देना भी चाहिए.
भूलना सहने से श्रेष्ठ है.
३.
जो अतिथि आते हैं ,
उनको उचित आदर सत्कार
न करना ही दरिद्रता है.
अधिकतम शक्ति
अज्ञानी लोगों की भूलों को क्षमा करने में मिलती है.
४.
जिसमें सहनशीलता का वास है ,
उसी को दुनिया पूर्ण आदमी कहकर सराहना करेगा .
५.
अपनी बुराई करनेवालों को
क्षमा करनेवालों को दुनिया तारीफ करेगी.
असब्र लोगों को लोग न मानेंगे.
६.
अपनी बुराई करनेवाले को जो दंड देता है ,
उसीको एक ही दिन आनंद मिलेगा.
जो क्षमा कर छोड़ देता है
उसी को जिन्दगी भर आनंद मिलेगा
जिन्दगी भर .
७.
बुरे चरित्रवालों से , बुराई करनेवालों से बदला न लेना ही उत्तम गुण है.
८.
अहंकारी अत्याचारियों को हम अपनी सहनशीलता से जीत सकते हैं.
९.
बुरे निंदकों के कटुवचन सहनेवाले ही पवित्र संत हैं.
१०.
दूसरों के कठोर शब्दों को
जो सह लेते हैं ,
उनको अनशन रखनेवाले समाज सेवी से
बढ़कर सम्मान में प्राथमिकता मिलेगी.
No comments:
Post a Comment