Wednesday, July 18, 2018

सतुष्ट हो जाना हे मनुष्य मन !

हिंदी में लिखते हैं ,
हिंदी का पक्ष लेते हैं ,
मेवा उतना नहीं मिलता ,
जितनी सेवा का समय लगता हैं.
लिखने के प्रकाश के लिए धन ,
प्रकाश के सम्मान के लिए दान .

अच्छे प्रसिद्ध लेखनी चलाना
वीनापाणी का वरदान .
अच्छे लिखने पर भी लक्ष्मी की कृपा
न हो तो अति दरिद्र.
स्वास्थ्य के लिए देवी दुर्गा.

त्रिदेवियों से प्रार्थना है ,
देवियाँ !अपने अनुग्रह की वर्षा चाहिए.
वाणी वीर ,धन वीर , शक्ति वीर
बना दो , अब मेरी उम्र बढ़ गयी हैं तो
अभी मेरी अपनी संतानों को
जो तेरी कृपा से सृष्टि की
संतानों पर
करना अनुग्रह .
जितना दिया हैं आप तीनों ने
उतने से असंतुष्ट नहीं ,
मानव मन अति चाहता हैं
जब तुलना करता हैं दूसरों से .
तमिल के एक कवि का गीत
अपने से जो कमज़ोर हैं उनसे सीखो
भगवान ने हमको श्रेष्ठ बनाया है.
जग के सुख भोगने तड़पते मन
लोभ क्रोध अहंकार में भर जाता.
पर बादशाह को अल्ला से विनती देख
संतुष्ट होंने का उच्चा विचार देना.,
आज मन में उठे विचार स्वरचित

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