Saturday, July 28, 2018

भारत का भक्त बनो


वड कलै- तेन्कलै वाद विवाद. भगवान विष्णु को मानते हैं .
पर तिलक -U आकार या Y आकार इस के लिए बुद्धिहीन पशु सा लड़ते हैं .
किसने सवाल किया है , उसको साहस है किया --
अल्ला किसका भगवान है सिया का ,सुन्नी का या लाब्बे का?
ईसा मसीह केतोलिक का या प्रोटोस्टेंट का या सेवंत डे का है.
हिन्दुओं की दुर्बलता जातियाँ,सम्रदाय , मनुष्य -मनुष्य का अपमान
धर्म परिवर्तन पर लड़ने वाले हिन्दू धर्म परिवर्तन के मूल पर सोचते नहीं.
जो दलित ईसाई धर्म को अपनाते हैं उनमें अधिकाँश अपमानित ,
बेगार ,गुलाम. उनके पूर्वः केवल खेती उनको न कपडा , न बढ़िया खाना न वेतन , उनके मेहनत को बासी खाना ,पुराने कपडे.
कालान्तर में उनका आदर ,चर्च प्रवेश जूते सहित ,सेवा अनाथालय सब परिवर्तन में लाचार कर दिया.
इन बातों पर गहराई से सनातन धर्मियों को विचार करना चाहिए


अल्ला तमिल मुस्लिम की प्रार्थना या इबादत सुनेंगे या नहीं .
क्या मुरुगन तमिल भगवान है ? तो सुब्रह्मनियम का नाम क्यों ?
हरे! भगवान को स्वार्थ वश छिन्न -भिन्न करके इंसानियत को न गाढ्ना.
भगवान तो एक है , उनकी हवा , पानी ,सूर्य -चन्द्र प्रकाश सब के लिए.
न सनातन के लिए , न शैव के लिए ,न वैष्णव के लिए ,न जैन के लिए , न बौद्ध के लिए,
न ईसाई के लिए, न मुग़ल पठान,खान के लिए.

इसका प्रमाण जनम --मृत्यु.
भूकंप में सब के सब मरते हैं .
सुनामी में सब के सब.
संयोग से एक ईसाई मुग़ल से सभोग करेगा तो बच्चा जन्म होगा ही.
यह मजहब विरोध सम्भोग गर्भ धारण को नहीं रोकता. वैसे ही मुग़ल -हिन्दू और अन्य धर्मवालों के आपसी धर्म विपरीत सम्भोग से बच्चे पैदा होंगे ही . विदुर का जन्म हुआ.
ब्राह्मण में दोपहर हरिजन -मध्याह्न PARAIYAN है कि नहीं.
कन्नादासन ने गाया है --रात्री में शास्त्र, जाति-सम्प्रदाय ,मजहब शैव वैष्णव हिन्दू मुस्लिम ईसाई न देखा जाता. आज कलियुग का सत्य प्रमाण है --विपरीत जातीय विवाह.
इंदिरा गांधी ,करूणानिधि , करूणानिधि गर्व से कहते हैं मेरे परिवार में सब जातियीं के बहुएं हैं.
ईश्वरीय नियम आसुरी शक्ति के मिलावट, चन्द्र गुप्त-यूनानी सम्बन्ध , अकबर के अन्तःपुर में हिन्दू कन्याएं ताम कम देव नहीं दिखता यह हिदू है ,यह ईसाई है यह मुग़ल है. देश-काल जातियाँ-सम्रदाय ,मज़हब से पार कावासना.
इसीलिये ऋषी मूल नदी मूल न देखा जाता है.

भारत- भक्त बनना ही ईश्वर की प्रार्थना का फल मिलने का मार्ग है.

No comments:

Post a Comment