भगवद गीता के सदुपदेश .
गुण आतानं--- हममें जो गुण नहीं हैं ,उन्हें ग्रहण करना .
दोष अपनयनम--- हममें जो बुरे गुण हैं , उन्हें छोड़ देना.
उन गुणों को पाने का मार्ग :--
१. अर्थ दर्शनं :--सद्गुणों के प्रयोजनों को सोचना.
२. अनर्थ दर्शनं -- बद्गगुणों के बुरे फलों के बारे में सोचना .
३. सज्जनों के सत्संग में रहना
४. प्रायश्चित्तं :-- अपने चाल की बुराइयों को अपने आप छोटे छोटे दंड देना.
५. प्रशंसा :--जिन अच्छे गुणों को सोच -समझकर पालन किया ,
उन अच्छे गुणों की प्रशंसा अपने आप को करना.
६. संकल्प :-- अच्छे गुणों पालन का संकल्प कर लेना.
७. सावधान :--सतर्कता और जागृत रहना .
८. प्रतिपक्ष भावना :--जब क्रोध होता है ,तब सहनशीलता का पालन करना.
९. ध्यान:-- सद्गुणों का पालन करना चाहिए.
१०. प्रार्थना :-- सद्गुणों की प्राप्ति के लिए भगवान प्रार्थना करना .
(आधार :-श्री स्वामी ब्रह्मा योगानान्द, श्री सद्गुरु मासिक पत्रिका के सौजन्य से )
गुण आतानं--- हममें जो गुण नहीं हैं ,उन्हें ग्रहण करना .
दोष अपनयनम--- हममें जो बुरे गुण हैं , उन्हें छोड़ देना.
उन गुणों को पाने का मार्ग :--
१. अर्थ दर्शनं :--सद्गुणों के प्रयोजनों को सोचना.
२. अनर्थ दर्शनं -- बद्गगुणों के बुरे फलों के बारे में सोचना .
३. सज्जनों के सत्संग में रहना
४. प्रायश्चित्तं :-- अपने चाल की बुराइयों को अपने आप छोटे छोटे दंड देना.
५. प्रशंसा :--जिन अच्छे गुणों को सोच -समझकर पालन किया ,
उन अच्छे गुणों की प्रशंसा अपने आप को करना.
६. संकल्प :-- अच्छे गुणों पालन का संकल्प कर लेना.
७. सावधान :--सतर्कता और जागृत रहना .
८. प्रतिपक्ष भावना :--जब क्रोध होता है ,तब सहनशीलता का पालन करना.
९. ध्यान:-- सद्गुणों का पालन करना चाहिए.
१०. प्रार्थना :-- सद्गुणों की प्राप्ति के लिए भगवान प्रार्थना करना .
(आधार :-श्री स्वामी ब्रह्मा योगानान्द, श्री सद्गुरु मासिक पत्रिका के सौजन्य से )
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