Saturday, April 5, 2025

भावाभिव्यक्ति

 नमस्ते वणक्कम्।

आपके दल में 

 मुझे भी शामिल किया है।

धन्यवाद आदरणीय।

लिखूँगा जो कुछ मन में आता है,

 मैं न पटु लिखने में।

 मैं न होशियार।

 मैं न कवि।

 मैं न हिंदी भाषी।

 लिखना ज़रूरी है

अभिव्यक्ति के लिए 

 आत्म चिंतन सोच-विचार 

 जागने जगाने

 जी की बात ।

आत्म विश्वास बढ़ाने

 आत्मबोध अखंड बोध के लिए।

आत्मज्ञान के लिए 

 आत्म प्रचार के लिए।

आत्म राग आत्माराग केलिए।

मधु शाला तज, ईश्वर पर मन लगाने के लिए।

 मधुशाला स्वास्थ्य बिगाड़ती,

रईस को रंक बनाकर 

बहुरंगी दुनिया दिखाती ।

सड़क पर गिराती, गड्ढे में सुलाती।

 ईश्वर का ध्यान करो

 शाश्वत शांति पाओ।

 ध्यान करो, रेंग करो, प्राणायाम करो।

 सनातन धर्म का मार्ग अपनानाओ।

अहंब्रह्मास्मि बनो ब्रह्मानंद पाओ।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

Thursday, April 3, 2025

आज़ादी के बाद भारतीय भाषाएँ

 हिंदी की समस्या में सरकार करोड़ों रूपए खर्च कर रही है।

 दस छात्र पढ़नेवाले कालेज के प्रोफेसर के लिए एक लाख।

 हिंदी अफ़सर के लिए एक लाख। पर सैकड़ों छात्रों में जनता में हिंदी प्रचार करने स्थाई प्रचारक नहीं, उनके लिए उचित वेतन नहीं तमिलनाडु में। हम अपनी हिंदी की दूकान चला रहे हैं।   हमको न पेंशन न प्रोत्साहन। न मेडिकल सुविधाएं।

 अतः तमिलनाडु में हिंदी प्रचार अंशकालीन है।  अन्यान्य काम करते हुए हिंदी का प्रचार कर रहे हैं। द्विभाषा नीति 58साल से लागू है। जिस भाषा को पढ़ने से नौकरी नहीं, भाषा सीखने से लाभ नहीं है। 

  ईश्वर भाई कमिटि में साफ सिफारिश है कि आठवीं कक्षा तक  भाषा काफ़ी है।

 गाँधीजी की बेसिक शिक्षा भी

 कोई न कोई पेशा सीखने पर ज़ोर देती है।

 नौकरी के प्रभाव से ही अंग्रेज़ी 

 को प्रधानता है।

   हिंदी सम्मेलन आजकल धनियों का सम्मेलन है।

 मलेशिया में सम्मेलन ।

 यात्रा खर्च तमिलनाडु का मामूली प्रचारक भाग नहीं ले सकते। धनी कालेज के लोग ही एक या दो भाग लेते हैं।

 उनका सम्मान करते हैं।

 मुझे कन्याकुमारी आना है तो पंद्रह हज़ार खर्च करना पड़ेगा।

 कोई आर्थिक लाभ नहीं है।

एक सांसद विधायक सौ करोड खर्च करके हज़ारों करोड़ कमाते हैं।

 हिंदी सम्मेलन कठोर मेहनत के पैसे खर्च करके नालायक सम्मान।

 यह तो न्याय पूर्ण कार्य नहीं है।

 अमीर अपने मनमौजी के लिए हिंदी सम्मान सम्मेलन।

 78 की आज़ादी  पर मातृभाषा के प्रति सम्मान नहीं।  अंग्रेज़ी माध्यम पाठशाला धन कमाने के लिए।

न संस्कृति न भाईचारा न अनुशासन,।

मैं तमिलनाडु में केवल हिंदी प्रचार में लगता तो

 भूखा प्यासा मर जाता।

 पैसे   न होने पर सम्मान भी नहीं सम्मेलन भी नहीं।

 हिंदी का विकास तो  देश की स्वतंत्रता संग्राम नहीं।

 वे नेता हिंदी के नहीं,

 अंग्रेज़ी के पारंगत, अंग्रेज़ी द्वारा 

 कमानेवाले न भारतीय भाषाओं के पक्ष में नहीं है।

आजकल कृषी के विकास के औजार ट्राक्टर खाद, 

पीने का पानी, पेय सब विदेशी कंपनी की देन है।

 इस मोबाइल भी टंकण भी अंग्रेज़ी ज्ञान के बिना अधूरी है।

 अंग्रेज़ी हटाकर जड़मूल  परिवर्तन संभव नहीं है।

हिंदी अनूदित किताबें  तमिल अनूदित किताबें गोदाम में।

  हिंदी और भारतीय भाषाओं का विकास होना है तो

अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाओं को बंद करना चाहिए।

 यह तो बिल्कुल दुर्लभ काम है।

 हिंदी के खर्च तो हिंदी भाषियों के लिए लाभप्रद है, न हिंदी तर प्रांत के लिए ‌।  बीस प्राध्यापक अंग्रेज़ी माध्यम के हैं।

 एक प्राध्यापक हिंदी के।

   अतः ये सम्मेलन अमीर हिंदी के पक्षधर के लिए, न साधारण हिंदी प्रचारक के लिए।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Monday, March 31, 2025

साहस

 काव्यमंच  -मेघदूत को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार।

 मेघदूत मंच के लिए मेरी पहली कृति।

शीर्षक --साहस।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।

31-3-25.

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कबीर वाणी याद आती,

 साहस की बातें।

 मैं बौरी डूबन डरी, 

रही किनारे बैठ।

 साहसी गोताखोर न होता तो

 चमकीले मोती न पाता मानव।

 साहसी मनुष्य न होता तो

 नये देश और द्वीपों का पता कैसे?

चंद्र  व मंगल ग्रह की पहुँच कैसे?

 गिर गिर कदम रखनेवाले शिशु,

 माता -पिता साहस न दिलाते तो

 चलते फिर दौड़ते भागते 

आगे बढ़ते कैसे? 

 माई का वीर लाल न होते तो

 देश की सुरक्षा कैसे?

 गोरी गजनी को सत्रह बार के 

 आक्रमण लूट को रोकते कैसे?

 साहसी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद,

 लाल,बाल ,पाल नेता न तो

 स्वतंत्रता प्राप्ति कैसे?

 जनरल टायर की निर्दयी 

हत्या का सामना करते कैसे?

 साहसी न रहते तो एवरेस्ट चोटी पर पैर रख झंडा फहराते कैसे?

 खानों का पता कैसे,

 हीरे चाँदी सोने की चमक कैसे?

साहस न होते तो सिकंदर को भगाते कैसे?

 घने जंगल में जड़ी-बूटियों का पता लगाते कैसे?

 घोर जंगल में तपस्या कैसे?

  साहस  साहसी न तो अमन चमन कैसे?


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

प्रार्थना

 



தமிழ் ஹிந்தி பணி.तमिल्टऴ् हिंदी सेवा 

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एस . अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

சே. அனந்தகிருஷ்ணன் சென்னை 

தமிழ்நாடு ஹிந்தி காதலர் மூலம் தன் படைப்பு கருத்து வெளிப்பாடு.

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இறைவணக்கம். इरैवणक्कम्  प्रार्थना 

இதயம் வலுப்பட. इदयम वलुप्पड- हृदय बल

होने 

இன்பம் நிலைப்பெற  इन्बम् निलैपेऱ

सुख  स्थिर होने

இன்னல் அகல. इन्ना अंकल संताप हटने

அறம் பெருக -अऱम् पॆरुक-धर्म बढ़ने 

 அறிவு செம்மை பெற  अऱिवु चेम्मै पॆऱ  

ज्ञान शास्त्रीय बनने 


அறியாமை அகற்றிட  अऱियामै अकट्रिड अज्ञानता हटने 


  அறுசுவை  கலந்திட अऱुचुवै कलंदिड षडरस मिलने

   ஆற்றல் பெருகிட  आट्रल् पॆरुकिड--शक्ति बढने

 ஆறுதல் தர  आट्रल् तर =शक्ति देने 

ஆற்றுப்படுத்திட --आट्रुप्पडित्तिड  -- पार कराने 

आंडवन उडनिरुक्क =भगवान साथ रहने

 प्रार्थनाएँ ==इऱैवणक्कम्‌




 

साहस

 काव्यमंच  -मेघदूत को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार।

 मेघदूत मंच के लिए मेरी पहली कृति।

शीर्षक --साहस।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।

31-3-25.

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कबीर वाणी याद आती,

 साहस की बातें।

 मैं बौरी डूबन डरी, 

रही किनारे बैठ।

 साहसी गोताखोर न होता तो

 चमकीले मोती न पाता मानव।

 साहसी मनुष्य न होता तो

 नये देश और द्वीपों का पता कैसे?

चंद्र  व मंगल ग्रह की पहुँच कैसे?

 गिर गिर कदम रखनेवाले शिशु,

 माता -पिता साहस न दिलाते तो

 चलते फिर दौड़ते भागते 

आगे बढ़ते कैसे? 

 माई का वीर लाल न होते तो

 देश की सुरक्षा कैसे?

 गोरी गजनी को सत्रह बार के 

 आक्रमण लूट को रोकते कैसे?

 साहसी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद,

 लाल,बाल ,पाल नेता न तो

 स्वतंत्रता प्राप्ति कैसे?

 जनरल टायर की निर्दयी 

हत्या का सामना करते कैसे?

 साहसी न रहते तो एवरेस्ट चोटी पर पैर रख झंडा फहराते कैसे?

 खानों का पता कैसे,

 हीरे चाँदी सोने की चमक कैसे?

साहस न होते तो सिकंदर को भगाते कैसे?

 घने जंगल में जड़ी-बूटियों का पता लगाते कैसे?

 घोर जंगल में तपस्या कैसे?

  साहस  साहसी न तो अमन चमन कैसे?


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

समय की सीखें

 साहित्य बोध उत्तर खांड  इकाई को

 एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार वणक्कम्।


विषय :--वक्त एक पाठशाला है।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली 

31-3-25.

शुभ अशुभ वक्त  की तुलना में,

अशुभ वक्त विधि की विडंबना में 

 नयी सीख मिलती है।

लाभ में खुश,

 नष्ट में नाखुश,

 चतुर आदमी,

 नष्ट या अशुभ वक्त में 


घाटा भरने एक उपाय सूझता है।

 गिरी जिंदगी उठने की सीख मिलती है।

अतः वह एक पाठशाला वक्त है।

हिंदी साहित्य में  गिरा वक्त 

 भक्ति काल वीरगाथाकाल के

आश्रयहीन कवियों की पाठशाला।

 निराश्रय की शांति के लिए।

उत्थान में पतन रीतिकाल।

 भोग-विलास देश को

 गुलाम बनाने  की सावधानी।

 आधुनिक काल अंग्रेज़ी  मगरमच्छ 

 भारतीय भाषाओं को निगलने की सीख।।

वक्त हमें आविष्कार की ओर ले जाता है।

 संगणिक काल आज, अंग्रेज़ी अक्षर में 

 लिप्यंतरण की सीख।

 बिजली का अभाव, ईबैक का आविष्कार।

 पानी की कमी, समुद्र के पानी को

 पीने का पानी बनाने की सीख।

 वक्त एक पाठशाला इसमें न कोई शक है।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

Thursday, March 27, 2025

नीति नेरि विळक्कम्। नैतिक मार्ग व्याख्या

 தமிழ் ஹிந்தி பணி.तमिऴ् हिंदी सेवा।


நீதிநெறி விளக்கம். नैतिक मार्ग व्याख्या।


குமரகுருபரர் =कुमरगुरुपरर्  --कवि का स्मारक काशी में गंगा तट पर है।


அறம் =धर्म 


பொருள்=अर्थ  


 இன்பமும் =सुख


வீடும் ==मोक्ष


பயக்கும்புறங்கடை நல்லிசையும் நாட்டும் - உறும்கவலொன்றுஉற்றுழியும் கைகொடுக்கும் கல்வியின் ஊங்கில்லைசிற்றுயிர்க்கு உற்ற துணை. ---तमिऴ् मूल।



 கல்விதான் =कल्वितान् ==शिक्षा ही

 மனிதனுக்கு  मनितनुक्कु=मनुष्य को 

 உற்ற துணையாகும்=युक्त सहायक है।


 

கல்வி நமக்கு  =कल्वि नमक्कु  =शिक्षा हमको

அறவழிகளான  =अऱवऴिकळान  இறையன்பு, ==ईश्वर प्रेम

இறைப்பற்று  इरैप्पट्रु  =ईश्वर भक्ति 

நல்லொழுக்கம்,  नल्ओऴुक्कम् --अनुशासन्

பணிவு , =पणिवु =विनम्रता

மன அமைதி मन अमैति =मानसिक शांति 

 ஆத்ம ஞானம், ==आत्मज्ञानम् =आत्मज्ञान 

 தேசப் பற்று,  =देशप्पट्रु --देशभक्ति

மனிதநேயம், _मनितनेयम् =मनुष्यता 

 சுயநலமின்மை, =सुयनलमिन्मै --निस्वार्थता

தியாகம்,=त्यागयम् ==त्याग 


 தானம் =दानम् =दान


 பரோபகாரம் =परोपकारम् =परोपकार 


ஆகிய  -आकिय =आदि

 உயர் பண்புகளைத்  =ऊँचे गुण


தரும்.  तरुण =देंगी।


 அதன் விளைவாக=अतन् विळैवाक==

  उसके परिणाम स्वरूप 

நாட்டிலும் --नाट्टिलुम् --देश में 

 அயல் நாட்டிலும்   =अयलनाट्टिलुम्‌ =विदेश में भी 

செல்லும் இடங்களில் எல்லாம்


चेल्लुम्  इडंगलिल् एल्लाम् =जहाँ जाते हैं सब जगह 

 சிறப்பைத் தரும். ==चिरप्पेत् तरुम् =विशेषता देगी।

கவலைகளைப் போக்கும்.

कवलैकलैप्पोक्कुम्। --चिंताएँ दूर करेंगी।

உற்ற துணையாக  उप्र तुणैयाक 

योग्य साथी के रूप में 



இறுதிவரை இருக்கும்.  इरुतिवरै इरुक्कुम्।

अंत तक रहेगा।


 கை கொடுக்கும் தெய்வமாக இருக்கும்.

 कै कोडुक्कुम् देय्वमाक 

हाथ देनेवाले ईश्वर के रूप में  रहेगा।

 मानव का सच्चा साथी शिक्षा ही है।

 एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा अनूदित  भावार्थ। व्याख्या।