साहित्य बोध, उत्तर प्रदेश इकाई को
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का नमस्कार वणक्कम्।
विषय -= साँसें हलक में सूख गई
विधा --अपनी हिंदी अपने विचार
अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति
7-5-25.
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मानव मन में विचार
तरंगें उठना स्वाभाविक हैं।
महामाया शक्ति देवी
लौकिक आकर्षण दृश्य
मान मन को चंचल बनाती रहती।
सकारात्मक नकारात्मक वासनाओं से
मानव मन में सांस घुटाने तैयार।
लोभ मद ईर्ष्या परिणाम,
अशांति पूर्ण दुख मय जीवन।।
ज़रा सी असावधानी,
कसरत में भी पैर फिसल जाता।
हँसी हँसी में पेट में दर्द भी।
कसरत करने वजन उठाते ही
वजन के कारण हाथ में मोच।
ब्रेक वयर कटने से दुर्घटना।
पल पल में दम घुटने की न देरी।
बंद समय आने पर बुद्धि भ्रष्ट होती।
वैसे ही एक दिन मन की चंचलता
विपरीत चाल परिणाम
साँसे हलक में सूख गई।
एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।