Wednesday, May 7, 2025

सांस

 साहित्य बोध, उत्तर प्रदेश इकाई को

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का नमस्कार वणक्कम्।

विषय -= साँसें हलक में सूख गई

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

        अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

7-5-25.

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मानव मन में  विचार 

तरंगें उठना  स्वाभाविक हैं।

 महामाया शक्ति देवी 

 लौकिक आकर्षण दृश्य

 मान मन को चंचल बनाती रहती।

 सकारात्मक नकारात्मक वासनाओं से

 मानव मन में सांस घुटाने तैयार।

 लोभ  मद ईर्ष्या  परिणाम,

 अशांति पूर्ण  दुख मय जीवन।।

 ज़रा सी असावधानी,

 कसरत में भी पैर फिसल जाता।

 हँसी हँसी में  पेट में दर्द भी।

  कसरत करने वजन उठाते ही

   वजन के कारण हाथ में मोच।

  ब्रेक वयर कटने से दुर्घटना।

  पल पल में दम घुटने की न देरी।

 बंद समय आने पर बुद्धि भ्रष्ट होती।

 वैसे ही एक दिन मन की चंचलता 

 विपरीत चाल परिणाम 

 साँसे हलक में सूख गई।

 एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

तकरार

 



नमस्ते वणक्कम्। साहित्य बोध महाराष्ट्र इकाई को एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का नमस्कार वणक्कम्।


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।


विषय -= तकरार।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

         अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

        7-5.25.

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 तकरार  आजकल सहज क्रिया।

 हाथ में हस्तदूरभाष,

तकरार के मूल।

 शादी पक्की हो गई, 

मोबाइल में 

 वर वधु को बोलने की स्वतंत्रता।

 दस दिन में शब्द दोष,

 अर्थदोष  परिणाम तकरार।

 पति-पत्नी दोनों नौकरी में 

 अचानक पत्नी की तरक्की 

  पति से बीस हजार बढ़ती।

  सास का जलन,

 पति की हीन मनो भावना।

 शुरुआत पति पत्नी का तकरार।

 आजकल पुरुष दोस्त स्त्री दोस्त का जमाना।

 शादी के बाद पत्नी का पुरुष दोस्त से

निष्कलंक मिलने पर भी

 शंकालु पुरुष  पौरुषहीन 

 पति-पत्नी तकरार प्रारंभ।

दल दल में मतभेद 

 नेता तो एक

 दल दल भिन्न भिन्न।

 नेता के कब्र में 

 श्रद्धांजलि देने में 

 मतभेद के दलों में 

 सिद्धांत एक होने पर भी

 व्यक्तिगत स्वार्थ भाव के कारण 

 द्वेष ईर्ष्या  अहंकार 

 बदला लेने का भाव।

 तकरार आजकल सहज क्रिया।।

 प्रांतीय दल राष्ट्रीय दल 

 राष्ट्रीय भावना की कमी 

 तकरार तकरार तकरार।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

Monday, May 5, 2025

जंजाल

 साहित्य बोध राजस्थान इकाई को एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का नमस्कार वणक्कम्।

 विषय -हर रोज़ जिंदगी के जंजाल में हम हैं।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार।   अपनी स्वतंत्र शैली 

 भावाभिव्यक्ति 

5-5-25.

मानव को बचपन से लेकर 

 आजीवन हर रोज़

   कोई न कोई जंजाल है ही।

किसान  को सबेरे उठकर  

खेत की देखभाल करने जाना है।

 कीड़े-मकोड़े और अन्य पशु -पक्षी -

जानवरों से बचाना।

 आजकल तीन साल के बच्चे को भी

 बाल विद्यालय जाने का काम है।

 स्त्री पुरुष दोनों को नौकरी करने का जंजाल है।

 चोर उचक्कों से सावधान रहने का।

  बैंक अकाउंट में ज़रा सी असावधानी 

 बस लूटने के दल का जंजाल।

 दवा और खाद्य-पदार्थों में 

 मिलावट का जंजाल।

 जाति भेद का जंजाल,

 क्षमता रहने पर भी

 जातिगत आरक्षण का जंजाल।

 संविधान में सब बराबर।

 पर व्यवहार में ऊँच नीच,

  अल्पसंख्यक अधिकार के भेद।

 कानून व्यवस्था में धन प्रधान।

 चुनाव में भ्रष्टाचार धन प्रधान।

 संक्षेप में देखें तो

 भाग्य बड़ा होता है।


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

Sunday, May 4, 2025

संगठन शक्ति

 नमस्ते वणक्कम्।

 विषय --संगठन में शक्ति है 

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

            अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

 4-5-25

  बूंद बूंद से सागर बनता है,

    बूंद बूंद की सिंचाई बाग को

     हरा हरा बनाता है।

     संगठन न तो  समाज नहीं,

     संगठन न तो नगर नहीं,

      आर्यिक संगठन नहीं तो

  न पारिवारिक  उन्नति।

 संगठन शक्ति न तो न‌ प्रशासन।

 संगठन शक्ति न तो न नागरिक एकता।

 संगठन शक्ति न तो न देशोन्नति।

 सैनिक संगठन नहीं तो

 न देश की सुरक्षा।।

मिल्लत में है ताकत।

 स्वर्ण से जो न होगा।

वह संघ और संगठन से होगा।।

 

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

 


 

 

 


 


 

     (स

भक्ति सही या ग़लत

 नमस्ते वणक्कम्।

 प्राप्ति इंडिया  की सदस्यता मान ली है।

 तदर्थ धन्यवाद आदरणीय।

 भक्ति आडंबर सहित 

 आडंबर रहित।

आडंबर रहित भक्ति में 

 वाल्मीकि, तुलसीदास, सूरदास 

 भक्त त्याग राज, आंडाल,मीरा रैदास 

 ऋषि-मुनियों की लंबी सूची हैं।

 धन ही ईश्वर दर्शन, प्रायश्चित्त, हीरे का मुकुट चढ़ाना आदि ।

 राजा हीरे मुकुट चढ़ाता है,

 मंत्री चढ़ाता है तो

आडंबर भक्ति।

  कौन सी भक्ति श्रेष्ठ है,

वह सच्चे भक्तों पर निर्भर है।

 रिश्वत देकर शीघ्र दर्शन 

 क्या सच्ची भक्ति है?

सोचिए।

आजकल व्यर्थ बाह्याडंबर 

 भक्ति का महत्व है।

बाह्य छद्मवेशी भक्ति के नाम 

 ठगते हैं 

त्याग का संदेश दान धर्म का संदेश

 आचार्य का सिंहासन मुकुट दस करोड़।

 पलंग 75लाख।

 यह बाह्याडंबर सही या ग़लत सोचिए।दीक्षा देने

 दस हज़ार से शुरु।

 पैसे हैं तो दीक्षा पात्र कुपात्र का विचार नहीं।

सोचिए, सही मार्ग अपनाइए।

एस. अनंतकृष्णन 

 शिवदास 



 


Friday, May 2, 2025

जय हनुमान

 नमस्ते वणक्कम्।

 हनुमानजी को  मन में रखो।

 मान बढ़ेगा, ज्ञान बढ़ेगा,

 तन का स्वास्थ्य बढ़ेगा।

 स्वर में माधुर्य होगा।

 सत्संग बढ़ेगा।

 सद्विचारों के उदय होंगे।

 परमानंद मिलेगा।

 परमसुख मिलेगा।

 जय हनुमान कहो तो

श्रीराम  का अनुग्रह मिलेगा।

 बोलो बजरंगबली! श्रीराम।।







 



Thursday, May 1, 2025

हाय गर्मी

 साहित्य बोध गुजरात इकाई को 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का नमस्कार वणक्कम्।

 विषय --हाय गर्मी।

 विधा --अपनी हिंदीअपने विचार 

             अपनी स्वतंत्र शैली 

            भावाभिव्यक्ति कविता 

1.5-25

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हाय गर्मी,हाय सर्दी,

 हाय पतझड़। 

आहा वसंत।

 हाय वर्षा।

 हाय!या आहा!

 पृथ्वी के जीवन के प्रतीक।

 मानव जीवन में ही नहीं,

 प्रकृति में भी  सुख दुख।।

  चाहिए जीने के लिए !

 भारतीय धनियों के लिए 

 हाय गर्मी हो या सर्दी 

 एक समान।

 गर्मी में ग्रीष्म निवासस्थान।

सर्दी में दक्षिण भारत।

 भारतीय जलवायु वातावरण 

 हाय हाय करने नहीं।

  राजा अंग्रेज़ी के लिए 

   कश्मीर, डार्जलिंग,शिमला,

   ऊटी सही रहा।

  आधुनिक वैज्ञानिक साधन

   वातानुकूलित सुविधा,

  मानव ज्ञान का आविष्कार।

 पर भाग्यवानों के लिए।

 गर्मी अति गर्मी कारण 

 वायुमंडल प्रदूषण।

प्रकृति का प्रकोप।

 जंगलों का नाश,

  नगरीकरण नगर विस्तार।

 प्रकृति का कोपपाजन।।

 सड़क चौड़ाई,

 बड़े बड़े पेड़ों को काट,

 मरुभूमि बनाना।

 मानव! भूलोक स्वर्ग भूमि!

हाय गर्मी , मानव की अपनी करतूतें।

 चेन्नई में मात्र तीन सौ झील गायब।

 गगनचुंबी इमारतें, पर 

 अति गर्मी से हाय!हाय! करते।

 अति वर्षा में घर में पानी।।

 मानव! अपने बुद्धि बल से

 सुंदर इमारत, पहाड़ों को भी चकनाचूर।

 परिणाम! हाय,हाय! गर्मी!

 कर्म फल भोगना ब्रह्म नियम।


एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।