Tuesday, December 26, 2017

अंधरे उजाले में.

अन्धेरा खतरनाक , नेकों के लिए ,
दिन दहाड़े लूटनेवालों को नहीं ,
चोरों को नहीं, तस्करी लोगों को
अपराधी बुद्धिवालों को ,
निशाचरों को ,उल्लुवों को
जग में देखा सुना अनुभव किया
अच्छों को जो खतरा है,
जिस कर्म में पाप का भय हैं ,
बदों के लिए वहीं अच्छा लगते हैं.
खाली कागज़ में अंक देना
धन लोलुपों के लिए अच्छा ही .
अंग खोल कमाना रंडियों के लिए
वेश्या गमन के पुरुषों के लिए
खतरा नहीं हैं ,
मूर्तियों की चोरी ,

पर अँधेरे को चाहनेवाले ,
उजाले में सर नहीं दिखा सकते ,
वह ज़माना अब नहीं ,
अपराधियों को
नेता -नेत्री मान
माला पहनानेवाले
भ्रष्टाचारी ,रिश्वत-खोरियों के
समर्थक प्रत्यक्षा देखा
राधा-कृष्ण के मिलन नगर में .  बिल कुल ठंड पड जाएँ तो 
अवसाद के सिवा कुछ नहीं. 
पंच भूत तत्व शरीरा. 

उष्ण प्रधान जान. 
अंडे के लिए गर्मी. 
शारीरिक संबंध में गर्मी. 
गर्मी नहीं तो तन ठंड
मन ठंड चारों ओर रुदन. 
गर्मी तू बलि, भली.

स्वार्थ -निस्वार्थ

प्रेम ही जीवन है तो
प्रेम क्यों तंग दिली है?
पगडंडी क्यों ?
स्वार्थ क्यों ?
तीसरे को स्थान क्यों नहीं?
तब तो प्रेम होते हैं
स्वार्थ -निस्वार्थ .
अपने दल -अपने शासन -अपने लाभ
स्वार्थ प्रेम.
देश के लिए दल -देश के लिए शासन -देश के लाभ.
निस्वार्थ प्रेम .
स्वार्थ प्रेम में जलन-लोभ -क्रोध .माया आदि
शैतान का केंद्र.
अपने परिवार सुखी रहें ,
आरक्षण पीढी दर पीढी मिलता रहें
चाहें घर में डाक्टर ,इन्जनीयर आदि दल
कम अंक अधिक संख्या में हो.
जनेऊ पहने प्रतिभाशाली ,
भले ही भूखों मर जाएँ ,
आ रक्षण नीति सत्तर साल की आजादी के बाद भी
स्वार्थ राजनीती का ,पक्षपात नीति का
स्वार्थ लक्षण ,आरक्षण का.
सत्तर साल के बाद आरक्षण मिटाना
निस्वार्थ प्रेमार्थ शासन विधान.

Monday, December 25, 2017

अंधकार से प्रकाश

मनुष्य  माँ के गर्भ के अंधकार में
सूक्ष्म  बिंदु में जुडकर
 तम में पलता
दस महीने में
प्रकाश में आता .
फिर जीने के लिए
 ग्ञानांधकार से
छूट संसार को पहचाना.
 तभी
अंधे कानून, अंधे हिसाब, सब में
अमीरों को विजयांधकार,
ममकार अंधकार,
प्रेमांध,  कितने  अंधकार से
मनुष्य को प्रकाश   की ओर
लाना  कितना आसान,
 कितना मुश्किल .
जनतंत्र अंधकार,
 मत केलिए धन.
धनांधकार,
 पदांधकार,
अधिकारांधकार,
इन सब से छूटने पर
सच्चे भक्तों के दर्शन में
ज्योति स्वरूप  ईश्वर के
योग ग्ञान
ब्रह्मानंद  प्रकाश.

प्रह्लाद सूरज के प्रकाश
हरियाली तन मन में.
अंकुर के फूटना भी भूमि
गर्भ के अंधकार से,.

Sunday, December 24, 2017

भारत आध्यात्मिक देश

तमिलनाडु का मध्यावती चुनाव ,
अपराधीन नेत्री जेल में ,
उससे नियुक्त ,बहन का बेटा,
न्याय के बल नहीं ,
सेवा के कारण नहीं ,
देश -भक्ति के बल नहीं ,
सिर्फ पैसे के बल
५१% वोट लेकर जीता.
उनकी भ्रष्टाचारी ,
लोग जानते हैं ,
न्यायालय जानता हैं ,
अपराधिन छोटी माँ
कारावास में ,
केंद्र सरकार जानती हैं ,
तमिलनाडु में
राष्ट्रीय एकता विरोधी ,
देव विरोधी ,
विप्रविरोधी तो
आम जगह पर ब्राह्मणों की चोटी
छीनकर अपमानित करनेवाले ,
राम पर जूते मार्हे वाले ,
जनेऊ तोड़नेवाले ,
मंदिरों की संपत्ति हदाप्नेवाले ,
मंदिरों की सम्पत्ती अपहरण करनेवाले,
मंदिरों को तोड़ने के भाषण देने वाले ,
राष्ट्रीय झंडा जलानेवाले
शासक चल रहा हैं
पचास साल से.
केंद्र में सांसद बनने सौ करोड़ ,
प्रांत के शासक बन ने
हज़ारों करोड़ , यह भारत
संसार में आगे ,
युवा शक्ति में अव्वल,
आध्यात्मिकता में अग जग प्रसिद्ध .
अघ से भरे देश ,
आध्यात्मिकता में लूट ,
शिक्षा में लूट ,
होनहार -होशियार सब विदेश की यात्रा,
फिर भी देश आगे बढ़ रहा हैं ,
यही है दिव्य भरात.
इसमें तो आश्चर्य की बात किया ,
हत्यारे अशोक सुधरा तो
महान अशोक बन गया.
लुटेरा रत्नाकर सुधरा तो
आदि कवि वाल्मीकि बन गया.
पत्नी से चिपककर रहनेवाले
तुलसी सुधरा तो घर घर की रामायण पाठ
प्रथम पूजा उनकी.
हज़ारों योनी के शाप के पात्र
इंद्र आज भी छल के बल पर देवेन्द्र.
आध्यात्मिक भारत आगे बढ़ रहा है.

Friday, December 15, 2017

चुनाव.

बादल का बरसना सभी प्राणी -वनस्पति
जगत की भलाई के लिए.
चुनाव में कालेधानियों पर वोट बरसाना ,
जगत बुराई के लिए.
पोल खुल जा ता है,
फिर भी वोट भी उन्हीं को
जिनके अपराधों को
अदालात ने सिद्ध स्थापित किया.
अपराधी ही जगत माँ हो तो
ऐसी बुद्धि का धिक्कार.
ऐसे चुनाव केवल आम चुनाव में ही नहीं ,
हर संघ और छोटी सभावों में भी .
इमारतें बनवाने में ही उनका ध्यान
न सेवकों पर. यथा कमीशन ,वैसा काम. (स्वरचित )

Thursday, December 14, 2017

tamil की मीरा आंडाल

   तमिल  साहित्य  भक्ति   का  सागर  ही है.

    तमिल  में   आंडाल  नारायण की भक्ता थी.

    भगवान  को  ही  अपने पति
     मानकर प्रार्थना करती थी.

भगवान की  माला को ,
  भगवान को पहनाने के  पहले
 खुद पहनती थी ;
अतः उसका  नाम  सूडिक्कोडुत्त
नाच्चियार  बना.  (अर्थात  खुद माला पहनकर
ईश्वर को देनेवाली ) .

     मार्गशीर्ष  अर्थात  धनुर  मॉस  के  ठण्ड में
   अपनी सखियों  को  जगाने अति तडके   गाना गाती है.
   उसके  पदों  को तिरुप्पावै     कहते  हैं.
   कुल तीस पद्य हैं.

      १.   सुन्दर आभूषणों  से  सज्जित कन्याओं!

              
             प्रसिद्ध   व्रज-भूमि की लड़कियों !
              मार्ग  शीर्ष  महीने के आज
               पूर्णिमा  के  दिन    है .
              अब  हम  नहाने  जायेंगे,

               हमारे रक्षक  है  नंदगोपन ,
               जो तेज़ शूल से हमारी  रक्षा 
                करते   हैं   और
              सुन्दर नेत्रों वाली यशोधरा  .
               उन    दोनों  के  सिंह जैसा   बेटा,
                जिसका रंग काला है , आँखें  लाल  है ,
                  सूर्य - सा  उज्जवल  सूरत वाला  है--
                  श्री कृष्ण ,
                     हमपर 
                   अनुग्रह करने
   की प्रतीक्षा में  हैं.
                    उसका  यशोगान  करेंगे तो
                      यह संसार ही हमें  बधाइयां  देंगी .
                 

              

की प्रतीक्षा में  हैं.
                    उसका  यशोगान  करेंगे तो
                      यह संसार ही हमें  बधाइयां  देंगी . .


Wednesday, December 13, 2017

निज रचे दोहे


     सोच-समझ  देश के हित. सुविचार में लग जा.
     कर्म में लग जा देश के हित ,  धर्म कर्म में  लग जा.१.

      आशा  रख  भगवान  पर, निराशा  छोड़ जग में .
      शरणागत्वत्सल  रक्षक मान ,  परमानंद  है   जग में.२.

     आध्यात्मिक लोग जग में ,  करते हैं मानव भेद .
     आत्मा की बात मान चल,  न  मान  भिन्न विचार.३.
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@    मिथ्या  जग   स्वार्थ लोग ,  नित्य करते  अघ ठग .
   सत्य पथ  जान पहचान ,      वंदना करते   अग जग .४.

  मनमाना काम न कर.  मानसिक  पीडा  जान.

मन  मानी बात मान.मानसिक चैन जान. (स्वरचित)५. 

सहज मन उपजे ग्ञान ,सफलता की जड जान. 
सत्संग से मिलते ग्ञान. संकट की मुक्ति जान.६.--नौ पोस्टेड
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स्वरचितप्रतियोगिता ---४. 
काम करना मन को  हर्ष .चुप रहना अति कठिन 
बुरे विचार  के मन में ,बेकारी  ही पतन.७. 
चित्रपट  देख  इश्क ,इश्क । बलातकार,चुम्बन .।

सोच विचार दूर रह,    अश्लील बात  न  सुन.  ।८.

जी ठीक नहीं, बुद्धि   भी   ,कर्म भी  सही नहीं।
 जीवन बिन सद्विचार   ,कभी सुख  पाता  नहीं.९--12
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                  प्रतियोगिता -पाँच
                    

कर्म  ही ठीक नहीं तो ,फल भी वांछित नहीं,
धर्म  पथ  ठीक  नहीं तो  जीवन में चैन  नहीं,१० .

तेरी उन्नति तुझमें , जैसे शारीरिक विकास।
मेहनत, नेक सत्य , तीनों में है संतोष।११
लौकिक इच्छा कम करो, वही शांति का पथ।
अलौकिक अाध्यात्मिकता में है,अनंत संतोष!!१२
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  प्रतियोगिता -६ छह
जान लो सही पैमाने में ,जग व्यवहार को।
जन्म फल मिलना हो तो, दूर करो चाहों को।१३.

भ्रष्टाचारी, काला धनी , रिश्वत खोरी ,भोगते बाह्यानंद।
आंतरिक आनंद भजन में ,जिससे मिलता ब्रह्मानंद।१४

विनाश काले विपरीत बुद्धि, ग्ञानी ने कहा।
विकास काले अनुकूल बुद्धी, ईश्वर की देन।।१५
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 प्रतियोगिता -सात

राजनीती -भ्रष्टाचार   ,सर रहित शरीर मान.
राम ने मारा  छिपकर ,कुंजरः धीमा मुरली .१६.

देश हित जन्मे सूरमा, नेता  बनते अगजग में .
अघ जग   फैलाने   जन्मे , बद बनते अगजग में १७ अहिंसा से बुद्ध बने , जग वन्द्य महान .

 मोहन दास पाए   मान ,अहिंसा का विशिष्ट  मान.१८.
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प्रतियोगिता --आठ. 



जान का  कोई न  जिम्मा, न  जग   जिम्मा जान .
मान ही रहता  हमेशा , सम्मान खोना पाप. १९
भगवान  देत दान-धर्म  ,   मनमाना धन-दौलत .
 पालन  कर  मन से   धर्म , मान बड़ों  की  बात. २०.

बातों की जानकारी,   आजादी  के  विचार.

कलियुग ही सब से  अच्छा, बोलते है प्रकट. २१ .
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प्रतियोगिता -नौ
  उचित शिकार की राह देख , तीर पर बैठ बगुला.
   देख शिकारी का तीर चला, तीर पर गिरा बगुला.                                                                                 २२ 

  विधि की विडम्बना  लख, सुकर्म में   लीन हो  जा.
 विधि  का फल टलते नहीं , लीला सब अनंत  की .२३
  कर्म फल  भोगत  तन मन . बुरे कर्म मत कर.
  शर्म ही बद कर्म  का फल,  सुकर्म  ही नित कर.२४.
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प्रतियोगिता --10
मन की अशांति ताक, खुद ईश्वरभक्त बनI
ईश्वर के ध्यान में लग ,सदाचार का मार्ग बन. २५.