Saturday, May 12, 2018

माँ

माँ अपूर्व,
माँ निराली,
माँ ममतामयी,
माँ त्याग का  प्रतिबिंब.
माँ   रक्षिका.
भगवान ने सब में
अपवाद, गुणदोष
 की रचना की है.
माँ में कैकेयी,
कर्ण की माँ कुमति,
कबीर की माँ,
 यह क्यों पता नहीं.

समाज

प्रातःकालीन प्रणाम.
अति कालै वणक्कम.
 समाज धनि यों की है.
समाज खुशामदियें का है.
समाज स्वार्थियों का है.
समाज नम्रता से प्रेम  से
ठगनेवलों का समर्थक  हैं.
समाज प्रशासक, शासक,
आदि की गल्तियों क को,
अपराधों को सह लेता है.
स्वार्थ मय संसार  में
निस्वार्थ  स्वरों, गाडियों, ईमानदारियों को भी
कमी नहीं है.
इसलिए  प्राकृतिक प्रकोप  कभी कभी  होता है.
निस्वार्थी  के कम  होते  होते
 प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जाएगा.
 देश  सूखा पडेगा, पानी नहीं मिलेगा.
लोग दाने दाने के लिए  तरसेंगे.
दुखी रहेंगे.

खुशामद

प्रातःकालीन प्रणाम.
கா லை வணக்கம்.
प्रेम भरी दुनिया में,
खुशामदयों  और  चम्मचों को
जितना सम्मान
उतना कटु सत्य बोेलनेेवालों  को नहीं.
 शासक, अधिकारी तटस्थ  नहीं,
 केवल चाहते अपनी अमीरी.
अपने ही आमदनी.
शाश्वत सत्य भूल जाता,
अमीरी गरीबी  का दहन या गाढन
एक ही श्मशान में या एक ही कब्र में ही.

जीने की कला

मनुष्य  के जीवन में
कई बातें समझ में न आती.
छद्मवेश  में ठगने की कला.
चिकनी चुपड़ी बातों में
ठगने की कला.
डरा धमकाकर ठगने की कला.
ईश्वरीय   शक्ति  का भय दिखाकर
लूटने की कला.
जादू टोने के नाम से
ठगने की कला.
मृत्यु का भय
रोग का भय
भय भीत संसार.
समझ  में नहीं आता
संसार में जीने की कला.

Friday, May 11, 2018

तरंगें

तरंगें
विचारों की तरंगें,
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच समुद्र तो शांत है,
पर मन तो कभी शांत नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मतेज, ब्रह्मतेज पाना.
ब्रह्मतेज पाना है तो
ध्यान मग्न होना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर से प्राण तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना की,
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में
न मोह, न बंधन.
तरंगों का रुकना
हवा रहित स्थिति.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान,  न बाइबिल
तब मन की तरंगों   को रोकना कैसा?
न रामायण, न महाभारत, न शेक्सपियर के नाटक.

मनुष्य

प्रातःकालीन प्रणाम.
கா லை வணக்கம்.
प्रेम भरी दुनिया में,
खुशामदयों  और  चम्मचों को
जितना सम्मान
उतना कटु सत्य बोेलनेेवालों  को नहीं.
 शासक, अधिकारी तटस्थ  नहीं,
 केवल चाहते अपनी अमीरी.
अपने ही आमदनी.
शाश्वत सत्य भूल जाता,
अमीरी गरीबी  का दहन या गाढन
एक ही श्मशान में या एक ही कब्र में ही.

लव फेइलियर

आज मैं चेन्नै  से पुदुच्चेरी जा रहा था.
मेरे पास बीस वर्ष का जवान बेटा
उदासी  बैठा था.
उससे पूछा तो कहा..
लव फेइलियर.
मेंने उस से  पूछा-.
असफलता तेरी भाषा पर है.
मातृ भाषा में बोलते तो प्रेम में कामयाबी  होगी.
वह अंग्रेजी तो तलाक की भाषा है.
कछुआ जैसे पंचेंद्रियों  को काबू  में रखना है.
वल्लुवर कोे पढना है,
यू टू ब्रूटस को नहीं.
जितेंद्र बनना है.
कुत्ते ही कुतिये के पीछे जाएँगे.
लडकी के पीछे जाने वाला नायक नहीं बनता.

खलनायक भी.  वह तो जोकर भी न बन सकता.
वह पशु है, मनुष्य नहीं.
जवानी में एक लडकी  केलिए मरना,
आत्म हत्या की बात सोचना  पौरुष  की बात  नहीं  है.
कायरता की चरम सीमा  है.
  क्या मेरी बात मानोगे?
उसने कहा. मानूँगा.  मैं मनुष्य हूँ.
हीरो बनने लडकी के लिए आत्म हत्या नहीं करूँगा.
मैं कुत्ता नहीं, मनुष्य हूँ.
 यह सुना तो बहुत खुश हुआ.
 आमै पोल ऐंदटक्कल आट्र्स एळुमैयुम एमाप्पुडैत्तु.
कछुए के समान पंचेंद्रियों को काबू में रखें तो
 सातों जन्मों में श्रेष्ठ पुरुषों सा रहोगे.

न जाने वह जिन्दा है  या   नहीं . उसका स्मरण  तो मुझे हैं .