तमिल कवयित्री औवैयार एक परिचय--ऍस. अनंतकृष्णन .
इट्टमुडन ऍन तलैयिल इन्नपडि ऍन्रेलुति
विट्ट शिवनुम् चेत्तु विट्टानो -मुट्ट मुट्टप,
पंचमे यानालुम् भारम् अवनुक्कन्नाय
नेंजमे अंजाते नी ।।
सत्य है या किंवदंती पता नहीं, औवैयार सुप्रसिद्ध कवयित्री के माता -पिता आदी और भगवान हैं । वे दोनों भाट जाति के यहाँ रहा करते थे । तब उस दंपति को एक बच्ची पैदा हुई । भाटों ने भगवान से कहा कि बच्ची को छोडकर जाना । आदी और भगवान दोनों दुखी मन से बच्ची को छोडने तैयार हो गये । तब बच्ची ने उपर्युक्त कविता लिखकर दिलासा दी।
कविता का भाव है---
भगवान शिव ने मेरी सृष्टि के पहले ही अपनी इच्छा से मेरी भाग्य रेखा लिखी है , वे तो मरे नहीं., जिंदा है ।विशव भर में अकाल पडने पर भी मेरी रक्षा का भार उन पर ही निर्भर है । अतः हे मन डरो मत ।
बारहवीं शताब्दी की कवियत्री की इस कविता में भारतीयों की एकता में शिव भगवान का योगदान ,
शिव -भक्ति के साथ आ सेतु हिमाचल तक आजकल के अंग्रेज़ी मिश्रित शब्द-शक्ति के समान संस्कृत के शब्द भारतीय भाषाविदों का गौरव रहा । भक्ति क्षेत्र में तो भारतीय एकता संस्कृत की देन है ।
उपर्युक्त तमिल कविता में भगवान शिव की शरणागतवत्सलता ही नहीं संस्कृत के तद्भव शब्द
इट्ट--इष्ट। ष का ट उच्चारण, भारम्--भार आदि भारतीय एकता की नींव पक्की का प्रमाण है ।
Wednesday, March 15, 2023
तमिल कवयित्री औवैयार एक परिचय
Monday, March 13, 2023
युग युग की बात
कलियुग की बातें खुलती हैं,
कारण है अभिव्यक्ति का अधिकार।
मूल अधिकार संविधान की देन।।
कैमरा,मोबइल वीडियो,
भंडा फोड देते हैं!
क्या प्रयोजन?
त्रेतायुग में सीता भूमि में से मिली।
रावण का सीता हरण।
दिव्य पुत्री, भूदेवी।
द्वापर युग में भीष्म का बलात्कार
तीन राजकुमारियों को बलात्कार लाना।
कुंती का कर्ण बहाना।
ये बलात्कार , ये अपहरण।
युग युग की बातें, कलियुग कहना
कहाँ तक सार्थक ।
कलियुग सोचो , जनता है स्वार्थी।
पूर्व युगों में शासकस्वार्थी।
काम बनने स्वार्थी जनता,
रिश्वत लेने देने तैयार।।
पैसे लेकर वोट देने तैयार ।।
राज भक्ति के अंधे लोग।।
आज पैसे अंक प्रमाण पत्र का आधार।।
सद्यफल के लिए करते हैं भ्रष्टाचार ।।
पर भगवान का दंड मृत्यु, बचना मुश्किल ।।
एस. अनंतकृष्णन, स्वचिंतक,
Saturday, March 11, 2023
நாறாயணீயம்--2/1306
வணக்கம். नमस्ते ।
देश है भारत महान.
देश है भारत महान.
प्रेम
Friday, March 10, 2023
नारी ।
[10/03, 7:09 pm] sanantha.50@gmail.com: नारी लिखी है।और नशामुक्त भारत अभियान भी। यहाँ तमिलनाडु में हिंदी किताब की बिक्री मुश्किल है। मैं बुढापे खरीद नहीं सकता। सहयोग राशी भेजूँगा।
[10/03, 7:15 pm] sanantha.50@gmail.com: मेरा परिचय -- नाम है एस.अनंतकृष्णन. तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक. जन्म की तारीख --8-7--1950.शैक्षणिक योग्यता स्नातकोत्तर हिंदी स्नातकोत्तर शिक्षा . अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक. स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक. अनुवादक. अपनी हिंदी अपनी शैली लेखक. कवि
[10/03, 8:52 pm] sanantha.50@gmail.com: नयी लिखनी है क्या ?भाग १ में मेरी कविता है । नशा मुक्त भारत अभियान।
तीन सौ रूपयों की मज़दूरी,
दो सौ की नशीली चीजें,
पत्नी बच्चे भूखों तडपते।
सुध बुध खोकर लडकटाते।
अंग्रेज पाश्चात्य प्रभाव।
ठंड प्रदेश कम पीते वे।
भारत है गरीब देश।।
गरम देश ,
पूर्वजों ने ऋषि मुनियों ने
मानसिक शांति के लिए,
ध्यान का मार्ग दिखाया,
योग प्रणायाम जप तप का
मार्ग दिखाया.
मधुशाला लौकिक माया.
मानसिक बेचैनी मधु द्वारा अस्थाई!
बेचैनी आना हमारी भूल!
लौकिक माया मोह,
स्वास्थ्य के लिए हानियाँ।।
अल्पायु के मूल कारण।।
मधु मुक्त भारत अभियान।।
सोचो-समझो, आगे बढो।।
नशीली चीजें तजो,
परेशानी में भगवान का शरणार्थी बनो।
भगवान है प्रमाण है बुढापा,रोग, मृत्यु।
स्वरचनाकार, स्वचिंतक ,अनुवादक
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक ।
एस. अनंतकृष्णन ।
[10/03, 9:34 pm] sanantha.50@gmail.com: नारी एक गृह -प्रबंधक.
१९७० तक की नारी केवल गृह -प्रबंधक ।
सास की इच्छानुसार खाद्य-पदार्थ ।
ससुर,देवर,पति की माँग के अनुसार रसोई ।
सास का पैर दबाना, बेगार नारी ।
तडके उठना,आंगन की सफाई.
रात ग्यारह बजे तक एक एक घर के रिश्तेदार को परोसना,
बर्तन माँजना,कपडे धोना,
न ग्रैंडर,न मिक्सि,न वाशिंग मिशन ।
ससुराल ही आश्रय स्थल ।
मायके का दायित्व बेटी की शादी तक।.
आधुनिक नारियाँ स्नातक,स्नातकोत्तर।
पति के समान पदाधिकारी ,कमानेवाली ।
स्वाश्रित,स्वावलंबी।
कानूनी सुरक्षा। मातृसत्तात्मक हकदारी ।
सवरचित कविता ।
स्रचनाकर,स्वचिंतक, अनुवादक.
[10/03, 10:01 pm] sanantha.50@gmail.com: बहूु पत्नी
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एस. अनंतकृष्णन, तमिलनाडु
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रामायण काल से आज तक।
बहु पत्नी प्रथा.
आजकल कानूनी सुरक्षा ,नालायक।
तलाक की तादद बढती जाती ।
सब्रता नहीं किसी में ।
पाश्चात्य प्रभाव, पति बदलना,
पत्नी बदलना साधारण बात।
संयम्,जितेंद्रियता चित्रपट में नहीं ।
चंचल मन,चंचल तन,शिक्षा में अनुशासन नहीं ।
पुत्र -पुत्री के रहते उनको अनाथ बनाकर
दूसरा निक्काह ,तलाक
भारतीय सनातन की सीख नहीं ।
शारीरिक सुख ही प्रधान नहीं,
यही सीता,अनुसुया,नलायिनी की सीख,
पुरुषों में भी लागू न होना, बेचैनी का मूल् ।.
Tuesday, March 7, 2023
नारी और अन्य कविताएँ
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै। तमिलनाडु ।
नमस्ते वणक्कम्।
शीर्षक --नारी
विधा --अपनी हिंदी अपनीशैवी
नर दो लघु
नारी तो गुरु।
नर दो मात्राएँ।
नारी चार मात्राएँ।
नारी न तो
नर मात्रा ।
न माता की ममता।
न बहन का स्नेह।
न भाई, न भाभी,
न बुआ, न मामी ।
न दादा न दादी।
न नाना न नानी।
न परिवार।
मादा न तो न पशुओं की भीड।
रिश्तों का ताना बाना न तो
न समाज ,न देश ।
राधा के बगैर कृष्ण नहीं।
न रामायण ,न महाभारत।
न अहलिया, न शकुंतला।
न इंद्र को शाप। न मोहिना अवतार।
न शिव तांडव। न ताजमहल।
न प्यार न अंतर्राष्ट्रीय मिलन।
न पूर्ण जीवन।
स्वरचित रचना ।
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भारत भक्ति से ही सुरक्षित।
भारत भक्ति से ही सुरक्षित।
भक्ति ही त्याग का मार्ग।
भक्ति धारा में एकाग्र चित्त से बहते रहेंगे तो हमारा मन अचंचल बन यह भावना बस जाएगी कि जगत मिथ्या है।
शरीर में बसी आत्म प्राण उड़ जाएँगे।
काम,क्रोध,मंद,लोभ
मानव चरित्र को
पशु चरित्र बना देगा।
हम मानव के गुणों की विशेषता अक्सर पशु-पक्षियों की तुलना में करते हैं। सिंह की चाल,बाज की दृष्टि, लोमड़ी की चालाकी,
भेडिये की क्रूरता,
नेवले की पकड़,
मगरमच्छ आँसू,
हाथी का बल,
नाग- सा बदले लेने की भावना,
साँप सा विषैला,
मृगनयनी,कमल नयन,
कोकिलवाणी,
स्वर्ण लता, कोमलवल्ली,
कुत्ते की कृतज्ञता,
मीन लोचनी,
बगुला भगत।
नदी पेड़ समान निष्काम जीवन,
मधु मक्खी समान परिश्रम,
चींटी सा कतार बंद अनुशासन,
कामधेनु ।
सिंहवाहिनी,
ऋषभ देव,
मयुरवाहन,
मूशिकवाहन,
गरुड़ वाहन।
सभी गुणों से मानव सुरक्षित और मिश्रित
मोम पत्ती सा त्याग,
तब तो मानव को सभी आहार,पानी,हवा,
प्रकाश,कायाकल्प,
जडी बूटियाँ प्रकृति से ही संभव है तो
हमें अपने पर्यावरण का संरक्षण सतर्कता से करना चाहिए।
प्राकृतिक संरक्षण के लिए ही ऋषि मुनि साधु संत, वन भोज,वनदर्गा,कापाली आदमखोर जानवर,जटिबूटियाँ
मंदिर आश्रम सब बने,बनाये,बनवाते।
पर स्वार्थ मानव
अपनी अस्थाई जिंदगी के ईश्वर सृष्टित सुंदर डरावने जंगल ,पशु,पक्षी ,नदी,नाले झील सबके विनाश में लगा है।
ये सभी योजना
बनाने वाले बड़े बड़े अभियंता, स्वार्थ भ्रष्टाचारी रिश्वतखोरी
राजनीतिज्ञ, प्रशासक अधिकारी,शिकारी, मांसाहारी।
जनसंख्या निरोधक बड़े पापी धूल, कुरान, बाइबिल तीनों में नसीहतें हैं।
पर्यावरण संरक्षण नहीं करेंगे तो भावी पीढ़ी
दाने दाने के लिए,
पानी की बूंदों के लिए
तडपेंगी इसमें कोई शंका नहीं है।
कारखाना, शहरीकरण,
नगरविस्तार आदि शैतानियों की शक्ति का कुप्रभाव है जिसके संबंध में ही
कहानी "चैन नगर के चार बेकार".
कहानी का अंत पहले नगर में अमन चमन,एकता, प्रेम, भाईचारा, सहानुभूति,मानवता,
सत्य, ईमानदारी, वचन का पालन आदि दिव्य गुण थे, शैतान की कुदृष्टि पड़ते ही डकैती,चोरी,खून,
बेरहमी आदि बढ़ गये।
पहले परीश्रमी सुखी थे,अब बेकार सुखी,
मेहनती दुखी,भूखे।
अतः विचार प्रदूषण,
पर्यावरण प्रदूषण आदि का संरक्षण अनिवार्य है।
पैसे वकील को खूनी की रिहाई में,ठेका रिश्वत से, नौकरी जाति के आधार पर,
आजादी के सत्तर साल के बाद भी वोट के लिए पिछड़ी ,अति पिछडीऔर आदिवासी
सूची बढ़ाना,शिक्षक अमीरों का गीलाम बनना, अस्पताल के लूट, पुलिस का रिश्वत में सब विचार प्रदूषण ।
विचार प्रदूषण सभी प्रदूषणों के मूल हैं।
स्वरचित, स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
नशा मुक्त भारत अभियान।
तीन सौ रूपयों की मज़दूरी,
दो सौ की नशीली चीजें,
पत्नी बच्चे भूखों तडपते।
सुध बुध खोकर लडकटाते।
अंग्रेज पाश्चात्य प्रभाव।
ठंड प्रदेश कम पीते वे।
भारत है गरीब देश।।
गरम देश ,
पूर्वजों ने ऋषि मुनियों ने
मानसिक शांति के लिए,
ध्यान का मार्ग दिखाया,
योग प्रणायाम जप तप का
मार्ग दिखाया.
मधुशाला लौकिक माया.
मानसिक बेचैनी मधु द्वारा अस्थाई!
बेचैनी आना हमारी भूल!
लौकिक माया मोह,
स्वास्थ्य के लिए हानियाँ।।
अल्पायु के मूल कारण।।
मधु मुक्त भारत अभियान।।
सोचो-समझो, आगे बढो।।
नशीली चीजें तजो,
परेशानी में भगवान का शरणार्थी बनो।
भगवान है प्रमाण है बुढापा,रोग, मृत्यु।
स्वरचनाकार, स्वचिंतक ,अनुवादक
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक ।
एस. अनंतकृष्णन ।
नशा मुक्त भारत अभियान।
तीन सौ रूपयों की मज़दूरी,
दो सौ की नशीली चीजें,
पत्नी बच्चे भूखों तडपते।
सुध बुध खोकर लडकटाते।
अंग्रेज पाश्चात्य प्रभाव।
ठंड प्रदेश कम पीते वे।
भारत है गरीब देश।।
गरम देश ,
पूर्वजों ने ऋषि मुनियों ने
मानसिक शांति के लिए,
ध्यान का मार्ग दिखाया,
योग प्रणायाम जप तप का
मार्ग दिखाया.
मधुशाला लौकिक माया.
मानसिक बेचैनी मधु द्वारा अस्थाई!
बेचैनी आना हमारी भूल!
लौकिक माया मोह,
स्वास्थ्य के लिए हानियाँ।।
अल्पायु के मूल कारण।।
मधु मुक्त भारत अभियान।।
सोचो-समझो, आगे बढो।।
नशीली चीजें तजो,
परेशानी में भगवान का शरणार्थी बनो।
भगवान है प्रमाण है बुढापा,रोग, मृत्यु।
स्वरचनाकार, स्वचिंतक ,अनुवादक
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक ।
एस. अनंतकृष्णन ।