Tuesday, January 12, 2016

तिरुक्कुरल --1 to 6-- praarthnaa प्रार्थना

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 









२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 


 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 









२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 


 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 







तिरुक्कुरल ---२. वान चिरप्पु ---वर्षा  की विशेषता। 


  १, वर्षा के होने  से संसार जी रहा है; अतः वर्षा अमृत-सम है;

२.  वर्षा अनाज और अन्य खाद्य -पदार्थों की उत्पत्ति करती है; प्यासे का प्यास बुझाती है। 
३. वर्षा न होने पर समुद्र से घेरे इस संसार के लोग भूखे रहेंगे। 

४. वर्षा  न हुयी तो किसान हल लेकर खेत  न जोतेंगे।. (परिणाम संकट में लोग. महंगाई )

५. बिना बरसे बिगाड़ेगी वर्षा  जन  जीवन को; यो ही बरसकर सुखीबनायेगी वर्षा।

६.. वर्षा की बूँदें आसमान से न गिरेंगी तो घास तक न पनपेगा ; न होगी हरियाली।

७. मेघ  समुन्दर के पानी लेकर भाप बनाकर न बरसेगा  तो समुद्र भी सूख जाएगा।

८. वर्षा न होगी तो  ईश्वर की पूजा आराधना ,मेला उत्सव ,दैनिक पूजा पाठ सब बंद हो जाएंगे. 

९. वर्षा न होगीतो  संसार में दान -धर्म काम भी न चलेगा।  

१०. बड़े बादशाह हो अर्थात सम्राट हो ,जितना भी महान हो ,पर  वर्षा न होने पर जीना दुश्वार हो जाएगा। अनुशासन न रहेगा।  सभी दुष्कर्म होने लगेगा। 




तिरुक्कुरल ---२. वान चिरप्पु ---वर्षा  की विशेषता। 


  १, वर्षा के होने  से संसार जी रहा है; अतः वर्षा अमृत-सम है;

२.  वर्षा अनाज और अन्य खाद्य -पदार्थों की उत्पत्ति करती है; प्यासे का प्यास बुझाती है। 
३. वर्षा न होने पर समुद्र से घेरे इस संसार के लोग भूखे रहेंगे। 

४. वर्षा  न हुयी तो किसान हल लेकर खेत  न जोतेंगे।. (परिणाम संकट में लोग. महंगाई )

५. बिना बरसे बिगाड़ेगी वर्षा  जन  जीवन को; यो ही बरसकर सुखीबनायेगी वर्षा।

६.. वर्षा की बूँदें आसमान से न गिरेंगी तो घास तक न पनपेगा ; न होगी हरियाली।

७. मेघ  समुन्दर के पानी लेकर भाप बनाकर न बरसेगा  तो समुद्र भी सूख जाएगा।

८. वर्षा न होगी तो  ईश्वर की पूजा आराधना ,मेला उत्सव ,दैनिक पूजा पाठ सब बंद हो जाएंगे. 

९. वर्षा न होगीतो  संसार में दान -धर्म काम भी न चलेगा।  

१०. बड़े बादशाह हो अर्थात सम्राट हो ,जितना भी महान हो ,पर  वर्षा न होने पर जीना दुश्वार हो जाएगा। अनुशासन न रहेगा।  सभी दुष्कर्म होने लगेगा। 










































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