तिरुक्कुरल
कृतज्ञता --१०० से ११०
- हम ने किसीकी मदद नहीं की;ऐसी हालत में हमारी सहायता करनेवाले की मदद के ऋण चुकाने के लिए आकाश और भूमि को देना भी पर्याप्त नहीं है .
- आवश्यकता के समय की गयी मदद भले ही छोटी सी हो ,पर संसार से बड़ी है.
- प्रतिउपकार ,प्रति फल की प्रतीक्षा के बिना प्रेम के कारण की गयी मदद सागर से बड़ी है .
- तिल बराबर की मदद के फल को सोचनेवाले उसे ताड़ के पेड़ सम मानकर प्रशंसा करेंगे.
- मदद की विशेषता परिमाण पर निर्भर नहीं है,उसे प्राप्त करनेवाले के गुण से महत्त्व पाता है.
- निर्दोषियों के रिश्ते को कभी छोड़ना या भूलना नहीं चाहिए .वैसे ही दुःख के समय के मददगारों की दोस्ती को कभी भूलना नहीं चाहिए .
- अपने संकट के समय जिन्होंने मदद की उनकी प्रशंसा सज्जन लोग जन्म जन्म पर करते रहेंगे.
- कृतज्ञता भूलने में भला नहीं है,कृतघ्नता भूलने में भला है.
- जिसने हमारी मदद की है ,उसीने हमें भले ही मृत्यु जैसे कष्ट दे , वह उसकी की गयी मदद की सोच में मिट जाएगा.
- जितने भी अधर्म करो ,उनसे मुक्ति मिल जायेगी ,पर कृतघ्नता करें तो मुक्ति कभी नहीं होगी.
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