Thursday, January 28, 2016

कृतज्ञता --तिरुक्कुरल १०० से 110

तिरुक्कुरल 
कृतज्ञता --१०० से ११० 
  1. हम ने किसीकी मदद नहीं की;ऐसी हालत में हमारी सहायता करनेवाले की मदद के  ऋण चुकाने के लिए  आकाश और भूमि  को देना भी पर्याप्त  नहीं है .
  2. आवश्यकता के समय की गयी मदद  भले ही छोटी सी हो ,पर संसार से बड़ी है.
  3. प्रतिउपकार  ,प्रति फल की प्रतीक्षा के बिना प्रेम के कारण  की गयी मदद  सागर से बड़ी है .
  4. तिल बराबर की मदद  के फल को सोचनेवाले  उसे   ताड़  के पेड़  सम  मानकर प्रशंसा करेंगे.
  5. मदद की विशेषता परिमाण पर निर्भर नहीं है,उसे प्राप्त करनेवाले के गुण से महत्त्व पाता है.
  6. निर्दोषियों के रिश्ते को  कभी छोड़ना या भूलना  नहीं चाहिए .वैसे ही दुःख के समय के मददगारों की दोस्ती को कभी भूलना नहीं चाहिए .
  7. अपने संकट के समय  जिन्होंने मदद की उनकी प्रशंसा सज्जन लोग जन्म जन्म पर करते रहेंगे.
  8. कृतज्ञता भूलने में भला नहीं है,कृतघ्नता भूलने में भला है.
  9. जिसने हमारी मदद की है ,उसीने हमें भले ही मृत्यु जैसे   कष्ट दे , वह  उसकी की गयी  मदद   की सोच में मिट  जाएगा.
  10. जितने भी अधर्म करो ,उनसे मुक्ति मिल जायेगी ,पर कृतघ्नता  करें तो  मुक्ति कभी नहीं होगी.

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