अपहरण _---तिरुक्कुरल --१७१ से १८०
- दूसरे की वस्तुओं को जबरदस्त अपहरण के चाहक के पारिवारिक जीवन बर्बाद हो जाएगा और अपयश भी होगा.
- तटस्थता छोड़ना लज्जाजनक है; जो इसे जानते हैं वे ऐसे कार्य न करेंगे जिससे तटस्थता का भंग हो .
- जो धर्म पथ के शाश्वत फल चाहते हैं ,वे छोटे सुख के लिए अधर्म काम न करेंगे.
- पवित्र जितेंद्रवाले दीनावस्था में भी दूसरों की चीज को अपनाना नहीं चाहेंगे.
- दूसरों की चीज को अधर्म से अपहरण के चाहक ,भले ही सूक्ष्म ज्ञानी हो ,उससे कोई लाभ नहीं मिलेगा . वह ज्ञान किसी काम का नहीं .
- धर्म के अनुयायी अधर्म से दू सरे की चीज को अपहरण करना चाहेगा तो उसका सर्वनाश होगा .
- दुसरे की चीजों को अपहरण करके सम्पन्न जीवन बिताने के चाहक बिलकुल बरबाद हो जाएगा .
- अपनी संपत्ति की सुरक्षा के चाहक को दूसरों की चीजो के अपहरण की चाह छोड़ देनी चाहिए.
- धर्म के चाहक जो दूसरें की चीजों के अपहरण की इच्छा नहीं रखता ,उस पर लक्ष्मी देवी की बड़ी कृपा होगी.
- परिणाम की सोच -विचार न करके दूसरों की चीजों के इच्छुक का सर्वनाश होगा.जो अपहरण की चाह नहीं रखता ,उसकी सफलता होगी.
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