Saturday, January 30, 2016

अपहरण _---तिरुक्कुरल --१७१ से १८०

अपहरण  _---तिरुक्कुरल --१७१ से १८० 
  1. दूसरे की वस्तुओं  को जबरदस्त अपहरण के  चाहक  के  पारिवारिक जीवन   बर्बाद हो जाएगा और अपयश भी होगा.
  2. तटस्थता  छोड़ना लज्जाजनक है; जो इसे जानते हैं वे ऐसे कार्य न  करेंगे जिससे तटस्थता का भंग हो .
  3. जो धर्म पथ के शाश्वत फल चाहते हैं ,वे छोटे सुख के लिए अधर्म काम  न करेंगे.
  4. पवित्र जितेंद्रवाले दीनावस्था में भी दूसरों की चीज को अपनाना नहीं चाहेंगे.
  5. दूसरों की चीज को  अधर्म से अपहरण के चाहक ,भले ही सूक्ष्म ज्ञानी हो ,उससे  कोई लाभ नहीं मिलेगा . वह ज्ञान किसी काम का नहीं .
  6. धर्म  के अनुयायी  अधर्म  से  दू सरे की चीज को अपहरण करना चाहेगा तो  उसका  सर्वनाश होगा .
  7. दुसरे  की  चीजों को अपहरण करके सम्पन्न जीवन बिताने के चाहक बिलकुल बरबाद हो जाएगा .
  8. अपनी संपत्ति  की सुरक्षा के चाहक को  दूसरों की चीजो के अपहरण की चाह छोड़ देनी चाहिए. 
  9. धर्म के चाहक जो दूसरें की चीजों के  अपहरण  की इच्छा  नहीं रखता ,उस पर लक्ष्मी देवी की बड़ी कृपा होगी.
  10. परिणाम की सोच -विचार  न करके दूसरों की चीजों  के इच्छुक  का सर्वनाश होगा.जो अपहरण की चाह नहीं रखता ,उसकी सफलता होगी.

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