Monday, January 18, 2016

तिरुक्कुरल धर्म बड़प्पन अनासक्तियों का। २१ से ३० तक



तिरुक्कुरल धर्म 

बड़प्पन  अनासक्तियों  का। 




१. ग्रंथों का  साहस  उसी में हैं ,जिनमें चालचलन और चरित्र में अटल अनासक्त लोगों के वर्णन  हो। 


२.  अनासक्त लोगों की प्रशंसा करना उस परिमाण सम  है   ,आज तक संसार में जन्मे -मरें    लोगों की संख्याएँ। 


३. जन्म -मुक्ति  जैसे जितनी  बातें  दो -दो  हैं उनके भेदों  को जानकर  शोध करके धर्म को अपनाने वालों के यश ही  संसार में  बड़ा  हैं. 


४. पंचेंद्रियों को वश  में करके दृढ़ मन से जीनेवालों का जीवन ही संन्यास  खेत का बीज बनेगा. 


५. पंचेंद्रियों की इच्छाओं के दमन का  बल  ही देवेन्द्र   बल  के   समान बल  है। 

६.     असाध्य कर्मों को साध्य करनेवाले ही  महान  हैं, 
 जहा  में. 
         साध्य को भी न  सकनेवाले  जहां  में छोटे  है. 

७. संसार  उसके  हाथ में  है  जो   स्वाद ,प्रकाश ,ध्वनि ,गंध ,  बाधाएं  शोध करके समझ सकते हैं। 

८. बड़े महानों के बड़प्पन को उनके वेद ग्रंथों की भाषा की शैली और भाव बता देगा. 

९.  गुणी ,सदाचारी  का क्रोध क्षण भर में  मिट जाएगा।

१०. सभी लोगों से दया दिखानेवाले धार्मिक महान ही विप्र  है.


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