Monday, January 11, 2016

विश्वास

हमें.विश्वास है , जग की अनित्यता पर।

विश्वास है   जन्म मरण की शाश्वत पर।
जवानी बुढापा रोग मृत्यु पर।
फिर भी आश्चर्य मनष्य को
सांसारिक चाहे सताती है।
लोभ स्वार्थ  भ्रष्टाचार बलात्कार
मिटाने कितने साधु कितने फकीर
कितने देवदूत चीख-चिल्लाकर
वेद उपनिषद कुरान बाइबिल 
पढनेवाले भी करते है
अत्याचार अन्याय भ्रष्टाचार काले धन
इसका अंत आगे होगा वायु,जल,भूकंप,प्रदूषण से।

No comments:

Post a Comment