Thursday, January 28, 2016

तिरुक्कुरल --मीठीबोली बोलना --९१ से १००

       तिरुक्कुरल --मीठी बोली बोलना ---९१ से १०० 
  1.  जिसके  मुख से प्रेम मिश्रित सत्य भरे धोखा रहित शब्द निकलते है, वे ही मीठी बोली है। 
  2. प्रफुल्ल मन से  मीठी बोली बोलना , प्रफुल्ल मन से दान देने से श्रेष्ठ है। 
  3. प्रफुल्ल  मन से  मुख देखकर मीठी बोली बोलना ही धर्म  है। 
  4. मीठी बोली बोलकर मित्रता निभानेवाले को कभी दोस्ती का अभाव न होगा।
  5. विनम्रता ,अनुशान और मधुर वचन ही एक व्यक्ति का आभूषण  हैं ;बाकी बाह्य आभूषण आभूषण  नहीं।
  6. बुराई हटाकर धर्म स्थापित करना है तो मधुर वचन से मार्गदर्शक बनने में  ही संभव है। 
  7. दूसरों के कल्याण और लाभप्रद शब्द  और सद्गुणों से युक्त मधुर वचन बोलनेवाले को भी सुख और कल्याण होगा।
  8. हानी हीन मधुर शब्द बोलनेवाले ज़िंदा रहते समय और मृत्यु के बाद भी यश प्राप्त करेंगे।
  9. मधुर शब्द ही सुखप्रद है ,यह जानकार भी कटु शब्द बोलना ठीक नहीं हैं। क्यों कठोर शब्द बोलना हैं ?
  10. मधुर शब्द के रहते कठोर शब्द बोलना फल रहते कच्चे फल तोड़कर खाने के सामान है।  

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