तिरुक्कुरल --मीठी बोली बोलना ---९१ से १००
- जिसके मुख से प्रेम मिश्रित सत्य भरे धोखा रहित शब्द निकलते है, वे ही मीठी बोली है।
- प्रफुल्ल मन से मीठी बोली बोलना , प्रफुल्ल मन से दान देने से श्रेष्ठ है।
- प्रफुल्ल मन से मुख देखकर मीठी बोली बोलना ही धर्म है।
- मीठी बोली बोलकर मित्रता निभानेवाले को कभी दोस्ती का अभाव न होगा।
- विनम्रता ,अनुशान और मधुर वचन ही एक व्यक्ति का आभूषण हैं ;बाकी बाह्य आभूषण आभूषण नहीं।
- बुराई हटाकर धर्म स्थापित करना है तो मधुर वचन से मार्गदर्शक बनने में ही संभव है।
- दूसरों के कल्याण और लाभप्रद शब्द और सद्गुणों से युक्त मधुर वचन बोलनेवाले को भी सुख और कल्याण होगा।
- हानी हीन मधुर शब्द बोलनेवाले ज़िंदा रहते समय और मृत्यु के बाद भी यश प्राप्त करेंगे।
- मधुर शब्द ही सुखप्रद है ,यह जानकार भी कटु शब्द बोलना ठीक नहीं हैं। क्यों कठोर शब्द बोलना हैं ?
- मधुर शब्द के रहते कठोर शब्द बोलना फल रहते कच्चे फल तोड़कर खाने के सामान है।
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