Friday, January 15, 2016

तिरुक्कुरल --प्रार्थना ७ to १०।

तिरुक्कुरल --प्रार्थना ७ to १०। 


७. 

तनक्कूवमै  इल्लातान ताल सेरंतार्ककल्लाळ 

मनक्कवलै  माट्रल  अरितु। 

मनुष्य   से  श्रेष्ठ  ईश्वर जिनका उपमेय उपमान नहीं हैं ,
उनके पादों के चरण  स्पर्श कर उनकी ही याद में 

रहनेवाले ही निश्चिन्त रह सकते है; उनका स्मरण न तो 
पीड़ा दूर होना  असंभव है. 

८. 
अरवाली  अंदणन ताल सेरन्तारक्कल्लाल   
पिरवाली नीत्तल अरितु। 

वे ही सुखी और धनी हैं जो  धर्माधिकारी ईश्वर के स्मरण में जीते हैं. 
उनका ही जीवन बनेगा सार्थक। दूसरोंको आर्थिक और अन्य सुख नहीं मिलेगा. 
९. 
कोलिल पोरियिन गुणमिलवे एण गुणत्तान 
तालै वनंगात तलै। 
पंचेन्द्रिय काम नहीं करता तो जो  बुरी दशा सिर  को होगी. 
वैसी ही दशा उनकी  होगी  जो ईश्वर  का ध्यान नहीं करता। 

१०. 
पिरविप्पेरुंगडल  निन्तुवर नींतार  
इरैवण आदि सेरातार। 
जो ईश्वर के चरणों में शरणार्थी बनते हैं  ,उनका जन्म ही सार्थक होगा. 
वे सांसारिक सागर पार करने में विजयी होंगे. अन्य नहीं पार कर सकते. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 









२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 


 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 



















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