पीछे से बोलना --तिरुक्कुरल --१८१ से १९०
- धर्म पथ पर न जानेवाले ,धर्म की प्रशंसा न करनेवाले , दूसरों के बारे में पीछे से बोलना छोड़ दें तो भला होगा.
- प्रत्यक्ष एक व्यक्ति की प्रशंसा और पीछे से निंदा करना अति पाप और बुराई बर्ताव है ;अधर्म करने से बढ़कर पाप कार्य है.
- आमने -सामने प्रशंसा और पीछे से उसकी निंदा करके जीने से मरना भला है.
- एक आदमी के सामने प्रत्यक्ष रूप निंदा करन सही व्यवहार हैं ; पीछे से गाली देने पर बुरा प्रभाव पडेगा,वह व्यवहार निंदनीय है.
- दूसरों की निंदा पीछे से करनेवालों को देखते ही पता चल जाएगा कि वह अधर्मी है.
- पीछे से बुराई कहनेवाले की बातों की याद करके बोलनेवालों पर कठोर शब्द उसके शब्दों से बढ़कर बोलेंगे।
- जो मधुर बोली से मित्रता निभा नहीं सकते ,वे पीछे से बोलकर सभी मित्रों को खो बैठेंगे।
- निकट संपर्क के दोस्तों के बारे में पीछे से बोलनेवाले अन्य अपरिचोतों के बारे में बहुत बोलेंगे.
- दूसरों के बारे में पीछे से बोलनेवाले के शरीर को धरती इसलिए धोती है कि धर्म देवता उसके कर्म को सहती है.
- दूसरों के दोषों के बारे में सोचनेवाले अपने दोषों पर ध्यान देंगे तो पीछे से निंदा नहीं करेंगे.
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