तटस्थता
तिरुक्कुरल --११० से १२०
- नाते -रिश्ते , दोस्त -दुश्मन ,अपने पराये आदि में किसी के पक्ष में न रहकर निष्पक्ष रहना ही तटस्थता है .
- तटस्थता की संपत्ति नहीं घटेगी;वह पीढ़ी तर पीढ़ी काम आती रहे गी .
- पक्ष्वादी बनने से लाभ मिलने पर भी निष्पक्ष रहने में ही भलाई है. तटस्थ रहना ही उत्तम गुण है.
- किसी की मृत्यु के बाद के यश -अपयश से ही पता चलेगा कि वह पक्षवादी था या निष्पक्ष वादी.अर्थात तटस्थ रहा कि नहीं .
- मनुष्य जीवन में उन्नति अवन्नती तो प्राकृतिक है.उन दोनों स्थितियों में तटस्थता निभाने में ही सज्जनता और बड़प्पन है.
- तटस्थता छोड़कर पक्षवादी बनने के विचार के आते ही समझना चाहिए कि संकटकाल आनेवाला है.
- भले ही तटस्थता के कारण व्यक्ति गरीबी के गड्ढे में गिरे,फिर भी लोग उसकी प्रशंसा ही करेंगे.
- तराजू के काँटे की तरह तटस्थ रहने में ही तटस्थता शोभायमान होती है.
- ईमानदारी और मानसिक दृढ़ता जिसमें हैं ,उनकी वाणी से नीति -न्याय के शब्द निकालेंगे . वही तटस्थता है.
- व्यापारी को व्यापार की चीजों को अपनी चीज समझकर व्यापार करने में ही तटस्थता है. वही वाणिज्य नीति है.
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