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Wednesday, January 27, 2016

तिरुक्कुरल ---अर्द्धन्गिनी --५१--६०

तिरुक्कुरल ---अर्द्धन्गिनी --५१--६० 


  1. आदर्श अर्द्धांगिनी वह है जो  सद्गुणों  से भरी  है  और पति की आमदनी के अनुसार गृह संभालती हैं.
  2. सद्गुणों से युक्त पत्नी न मिली तो उस गृहस्थ का कोई विशेष महत्त्व नहीं रहता. 
  3. सद्गुणों से युक्त  अर्द्धांगिनी  मिलने पर वह सौभाग्यवान  और सब कुछ प्राप्त गृहस्थ होगा.सद्गुण  न  होने पर सब कुछ होकर भी सब कुछ  खोया हुआ गृहस्थ है.
  4. स्त्रीयों में दृढ़ पतिव्रता  हो तो उससे बढ़कर पत्नी की  और कोई विशेष  बात  की आवश्यकता नहीं  है .
  5. .पत्नी जो सिवा पति के अन्य देवताओं  की प्रार्थना में नहीं लगती ,उसकी आज्ञा से वर्षा होगी .
  6. वही औरत है जो खुद पतिव्रता धर्म निभाती हैं और पति को भी निभाने में समर्थ होती है .
  7. सद्गुणों से अपने को रक्षा करके जीनेवाली  औरत को सताना अज्ञानता होगी. 
  8. पति का यशोगान करते हुए गृहस्थ निभानेवाली औरत स्वर्ग प्राप्त करेगी .
  9. सद्गुणी और सदाचारी पुरुष मिलनेपर औरत को गृहस्थ जीवन आनंद से भरा रहे गा, 
  10. पत्नी  अपने पति से प्यार करके तारीफ न करेगी तो  पति सर ऊंचा करके बैल सा नहीं चल सकता.
  11. पत्नी के सद्गुण ही  आदर्श  गृहस्थ  जीवन  है;गृहस्थ जीवन के आभूषण सदाचार पुत्र को जन्म लेने में हैं .

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