आत्मनियंत्रण --तिरुक्कुरल १२१ से १३० तक
- आत्मनियंत्रण ईश्वर से मिलाएगा। नियंत्रण न हो तो जीवन अन्धकारमय हो जाएगा।
- अधिक दृढ़ता से आत्मा नियंत्रण संपत्ति की सुरक्षा से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं है.
- जानने की बातें सीखकर आत्म नियंत्रण से जीनेवाले प्रशंसा के पात्र बनेंगे।
- अपनी स्थिति से न हटकर मानसिक नियंत्रण और अनुशासन से जीनेवालों की प्रसिद्धि और प्रगति पहाड़ से ऊँची होगी।
- विनम्रता सब के लिए आवश्यक है;अमीरों को नम्रता और एक ख़ास संपत्ति है।
- एक जन्म में कछुए के समान पंचेंद्रियों को नियंत्रित रखें तो उसका फल कई जन्मों तक उसका कवच बन जाएगा ।
- पंचेंद्रियों में जिह्वा नियंत्रण अति आवश्यक हैं। बोली में नियंत्रण न हो तो वही उसके दुःख का कारण बन जाएगा।
- अपने विचारों की अभिव्यक्ति में एक शब्द गलत होने पर अपने भाषण की सभी अच्छाइयाँ बुरी हो जायेंगी। अपने सभी धर्म कार्य भी अधर्म हो जायेंगे,
- आग से लगी चोट भर जायेगी; दाग मात्र रहेगा। पर जीभ के शब्द से मन में लगी चोट कभी न भरेगी; हमेशा हरी रहेगी.
- ज्ञानार्जन करके क्रोध को नियंत्रण में रखे व्यक्ति की प्रतीक्षा में धर्म देवता रहेगी।
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