प्रणाम। वणक्कम।
शीर्षक: बंधन।
बंधन युक्त जग।
बंधन मुक्त जग कहाँ?
साधु-संत ईश्वर के बंधन में।
भक्तों के बंधन में ईश्वर।
पदों के बंधन में स्तुति।
मुख-स्तुति के बंधन में जनता।
जनता के बंधन में शासक।
घुटबंधन में चुनाव जीत।
पैसे के बंधन में जग व्यवहार।
पाप के दंड भय से पुणय।
सुवर्ण के बंधन में शब्द।
स्वर्ण के बंधन में नारी।
नारी के बंधन में नर।
नर के बंधन में नारी।
प्रेम बंधन में प्रेयसी।
शरीर के बंधन में तुलसीदास।
शरीर सुख का बंधन छोडा तो
राम नाम का बंधन।
शरीर का बंधन
प्राण छोडा तो
राम भी लाश का नाम।
बंधन रहित मानव का अंतिम रूप।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
(मतिनंत)
शीर्षक: बंधन।
बंधन युक्त जग।
बंधन मुक्त जग कहाँ?
साधु-संत ईश्वर के बंधन में।
भक्तों के बंधन में ईश्वर।
पदों के बंधन में स्तुति।
मुख-स्तुति के बंधन में जनता।
जनता के बंधन में शासक।
घुटबंधन में चुनाव जीत।
पैसे के बंधन में जग व्यवहार।
पाप के दंड भय से पुणय।
सुवर्ण के बंधन में शब्द।
स्वर्ण के बंधन में नारी।
नारी के बंधन में नर।
नर के बंधन में नारी।
प्रेम बंधन में प्रेयसी।
शरीर के बंधन में तुलसीदास।
शरीर सुख का बंधन छोडा तो
राम नाम का बंधन।
शरीर का बंधन
प्राण छोडा तो
राम भी लाश का नाम।
बंधन रहित मानव का अंतिम रूप।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
(मतिनंत)
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