प्रणाम ।
प्रात:काल की प्रार्थना।
शुभ-कामना।
विदेशी तोडे मन्दिर।
अद्भूत शिल्पकला
निर्दयी तोडे हजारों मन्दिर।
अलग देश माँगकर ही छोडा।
आजादी के बाद के भारतीय शासक
भारतीयता छिपाने,
भारतीय भाषाओं को मिटाने,
विदेशी मजहब की जनसंख्या बढाने
कितने अन्याय किये?
सत्तर साल में भारतियों के दिल में
यह भाव जम गया,
बगैर अंग्रेजी के
तरक्की नहीं
अपनी
और देश की।
भूल गये इतिहास।
अद्भूत किले,
चमत्कार मन्दिर
अजंता,एल्लोरा,
मदुरै,चिदंबरम,तिरनेलवेली,श्रीरंगमन्दिर।
कर्नाटक के मन्दिर,
कश्मीर की हस्तकलाएँ ,
बनरशी रेशम साड़ियाँ।
काली मिर्च,इलायची,लवन्ग और जडी बूटियाँ।
पकवान के कितने प्रकार।
कल्कत्ता रस्गुल्ला,तिरुप्पती लड्डू,
पलनी पंचामृत,विष्णु मन्दिर के स्वादिष्ट इमली भात।
कच्चे मांस खाए पश्चिमी परदेशी के शàन में
हम भी कच्चे-अधपकके हो गये।
आहार में भी आ गये परिवर्तन।
भारतीय महत्व के प्रचार में न लगे शासक।
वैज्ञानिक साधन की तरक्की,विदेशी दिमाग,
भारत को बना दिया,
चेन नगर के चार बेकार।
मेहनती,सच्चे,ईमानदारी भूखों मरते हैं,
आलसी भ्रष्टाचारी सुखी मालामाल।
सोचिये भारत्वादीयों!जागिये।
अपने निजित्व का शान मानिये।
भारत भारतीयता अपनाकर आगे बढें ।
विदेशी पूंजी,विदेशी मालिक,विदेशों को लाभ।
भारतीय केवल नौकर यह रीति नीति बदल जायें।
करोडों की सम्पत्ति हमारे युवक -युवतियाँ।
स्वचिंतक स्वरचित
यस।अनंतकृष्णन।वणक्कम
प्रात:काल की प्रार्थना।
शुभ-कामना।
विदेशी तोडे मन्दिर।
अद्भूत शिल्पकला
निर्दयी तोडे हजारों मन्दिर।
अलग देश माँगकर ही छोडा।
आजादी के बाद के भारतीय शासक
भारतीयता छिपाने,
भारतीय भाषाओं को मिटाने,
विदेशी मजहब की जनसंख्या बढाने
कितने अन्याय किये?
सत्तर साल में भारतियों के दिल में
यह भाव जम गया,
बगैर अंग्रेजी के
तरक्की नहीं
अपनी
और देश की।
भूल गये इतिहास।
अद्भूत किले,
चमत्कार मन्दिर
अजंता,एल्लोरा,
मदुरै,चिदंबरम,तिरनेलवेली,श्रीरंगमन्दिर।
कर्नाटक के मन्दिर,
कश्मीर की हस्तकलाएँ ,
बनरशी रेशम साड़ियाँ।
काली मिर्च,इलायची,लवन्ग और जडी बूटियाँ।
पकवान के कितने प्रकार।
कल्कत्ता रस्गुल्ला,तिरुप्पती लड्डू,
पलनी पंचामृत,विष्णु मन्दिर के स्वादिष्ट इमली भात।
कच्चे मांस खाए पश्चिमी परदेशी के शàन में
हम भी कच्चे-अधपकके हो गये।
आहार में भी आ गये परिवर्तन।
भारतीय महत्व के प्रचार में न लगे शासक।
वैज्ञानिक साधन की तरक्की,विदेशी दिमाग,
भारत को बना दिया,
चेन नगर के चार बेकार।
मेहनती,सच्चे,ईमानदारी भूखों मरते हैं,
आलसी भ्रष्टाचारी सुखी मालामाल।
सोचिये भारत्वादीयों!जागिये।
अपने निजित्व का शान मानिये।
भारत भारतीयता अपनाकर आगे बढें ।
विदेशी पूंजी,विदेशी मालिक,विदेशों को लाभ।
भारतीय केवल नौकर यह रीति नीति बदल जायें।
करोडों की सम्पत्ति हमारे युवक -युवतियाँ।
स्वचिंतक स्वरचित
यस।अनंतकृष्णन।वणक्कम
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