प्रणाम। वणक्कम।
भूलें होंगी जरूर।
मनुष्य जीवन में।
भूलारोपित मनुष्य ही
सब के सब।
ऐसा कहना सत्य।
क्यों?
दस महीने अंधेरे में।
सूक्ष्म बिंदुओं के मेल से
शिशुरूप।
जुड़ने के पहले न रूप- रंग ।
अब कहिए
बगैर भूलों के
मनुष्य जीवन है नहीं।
रामावतार में भूल।
कृष्णाअवतार में
धर्म के नाम भूल।
वामन अवतार में
भूल ही भूल।
ज़रा सोचिए-
अर्धरात्रि पत्नी और शिशु को
छोड कर जाना बडी भूल।
करतल भिक्षा तरुवर वासा
सीख भी भूल।
भूलों से सुधारना ही मनुष्य जीवन।
मनुष्य को परिश्रमी बननी है।
अपने पैरों पर खडा होना हैं।
स्वाभिमानी से जीना है।
बेकार मन शैतान का कारखाना।
कर्तव्य करना ही भक्ति है।
कर्तव्य भूल तब राम नाप
जपना भक्ति नहीं ।
हमारे पूर्वजों की भूल।
आज साफ मंदिर की दीवारों पर
परीक्षाअर्थी अपनी पंजीकृत नंबर लिख
गंदी करना भक्ति मान रहा है।
यह तो बडी भूल।
सुधरना
सुधारना
हमारा काम।
आजादी के सत्तर
साल के बाद
स्वच्छ भारत की गूँज।
अपनी गली में
सुदूर शहर -गाँव की
गलियों में कूडे के ढेर
देख आज कहता है
मोदी ने साफ नहीं किया।
ऐसी गैर जिम्मेदारियों को
उनकी भूलें समझानी हैं।
स्वचिंतक स्वरचित
यस-अनंतकृष्णन।
भूलें होंगी जरूर।
मनुष्य जीवन में।
भूलारोपित मनुष्य ही
सब के सब।
ऐसा कहना सत्य।
क्यों?
दस महीने अंधेरे में।
सूक्ष्म बिंदुओं के मेल से
शिशुरूप।
जुड़ने के पहले न रूप- रंग ।
अब कहिए
बगैर भूलों के
मनुष्य जीवन है नहीं।
रामावतार में भूल।
कृष्णाअवतार में
धर्म के नाम भूल।
वामन अवतार में
भूल ही भूल।
ज़रा सोचिए-
अर्धरात्रि पत्नी और शिशु को
छोड कर जाना बडी भूल।
करतल भिक्षा तरुवर वासा
सीख भी भूल।
भूलों से सुधारना ही मनुष्य जीवन।
मनुष्य को परिश्रमी बननी है।
अपने पैरों पर खडा होना हैं।
स्वाभिमानी से जीना है।
बेकार मन शैतान का कारखाना।
कर्तव्य करना ही भक्ति है।
कर्तव्य भूल तब राम नाप
जपना भक्ति नहीं ।
हमारे पूर्वजों की भूल।
आज साफ मंदिर की दीवारों पर
परीक्षाअर्थी अपनी पंजीकृत नंबर लिख
गंदी करना भक्ति मान रहा है।
यह तो बडी भूल।
सुधरना
सुधारना
हमारा काम।
आजादी के सत्तर
साल के बाद
स्वच्छ भारत की गूँज।
अपनी गली में
सुदूर शहर -गाँव की
गलियों में कूडे के ढेर
देख आज कहता है
मोदी ने साफ नहीं किया।
ऐसी गैर जिम्मेदारियों को
उनकी भूलें समझानी हैं।
स्वचिंतक स्वरचित
यस-अनंतकृष्णन।
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