प्रणाम। वणक्कम।
अनंतकृष्णन का।
शीर्षक : परिवार।
परमानंद
रिश्ते के साथ
वास।
रक्षक
एक दूसरे का।
सहायक एक दूसरे का।
सुख दुख के सम भागी।
खून का रिश्ता।
सह उदर का रिश्ता।
रामायण में भिन्न उदर।
पर भाइयों का प्रेम अभिन्न।
महाभारत पांडव के
भिन्न पिता , पर प्रेम की कमी नहीं।
कौरव सौ,एक अंधे पिता।
पर
स्वभाव अच्छे नहीं।
परिवार में प्रेम ।
ईश्वर की देन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन
अनंतकृष्णन का।
शीर्षक : परिवार।
परमानंद
रिश्ते के साथ
वास।
रक्षक
एक दूसरे का।
सहायक एक दूसरे का।
सुख दुख के सम भागी।
खून का रिश्ता।
सह उदर का रिश्ता।
रामायण में भिन्न उदर।
पर भाइयों का प्रेम अभिन्न।
महाभारत पांडव के
भिन्न पिता , पर प्रेम की कमी नहीं।
कौरव सौ,एक अंधे पिता।
पर
स्वभाव अच्छे नहीं।
परिवार में प्रेम ।
ईश्वर की देन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन
No comments:
Post a Comment