प्रणाम। वणक्कम।
परम सुख परमानंद ब्रह्मानंद
त्याग में या भोग में।
माया तजनेवाले ज्ञानी
परम सुख परमानंद ब्रह्मानंद की खोज में
आध्यात्मिक मार्ग अपनाता है।
शैतान के चंगुल में
अस्थायी आनंद में लौकिक भोगी।
आरंभ से अंत तक ब्रह्मानंद प्राप्त ज्ञानी
जीत लेता मन की चंचलता।
मन निश्चल निश्छल तो
परमानंद।
अलौकिक काया,
अति स्वस्थ
तन ,मन से ।
धन की तो उन्हें चिंता नहीं।
न शारीरिक भूख,
न लौकिक चाह।
न लोभ, न काम।
माया / शैतान उन से अति दूर।
नाम जपना पर्याप्त।
तुलसी , वाल्मीकि, भर्तृहरि
लौकिक काम , क्रोध, लोभ तज
आज ईश्वर तुल्य आराधनीय।
बार- बार याद दिलाते हैं।
आगे अनुसरण आप पर निर्भर।
स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंतकृष्णन।
परम सुख परमानंद ब्रह्मानंद
त्याग में या भोग में।
माया तजनेवाले ज्ञानी
परम सुख परमानंद ब्रह्मानंद की खोज में
आध्यात्मिक मार्ग अपनाता है।
शैतान के चंगुल में
अस्थायी आनंद में लौकिक भोगी।
आरंभ से अंत तक ब्रह्मानंद प्राप्त ज्ञानी
जीत लेता मन की चंचलता।
मन निश्चल निश्छल तो
परमानंद।
अलौकिक काया,
अति स्वस्थ
तन ,मन से ।
धन की तो उन्हें चिंता नहीं।
न शारीरिक भूख,
न लौकिक चाह।
न लोभ, न काम।
माया / शैतान उन से अति दूर।
नाम जपना पर्याप्त।
तुलसी , वाल्मीकि, भर्तृहरि
लौकिक काम , क्रोध, लोभ तज
आज ईश्वर तुल्य आराधनीय।
बार- बार याद दिलाते हैं।
आगे अनुसरण आप पर निर्भर।
स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंतकृष्णन।
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