Monday, November 18, 2019

भाग्य

जन्म  और मृत्यु।
अमीर घर में  जन्म। वह बच्चा पागल।
फुटपाथ  का बच्चा   स्वस्थ।
प्रयत्न तो सब करते हैं
अपने सफेद  बाल गूंजे सिर
बुढापा  कोई  बचा  नहीं  पाता।
लौह महिला  जय ललिता  और इंदिरा मृत्यु  जान। 
सांप का विष प्राकृतिक।
मेंढक का टर टर स्वाभाविक।
साँप का आहार  ईश्वरीय  सृष्टि।
संगीताचार्य  के पास रोज भागीरथ  प्रयत्न।
फुटपाथ  की भिखारिन
मधुर स्वर। आज विश्वविख्यात।
 भाग्योदय की देरी।
सबहिं नचावत राम गोसाई।
  हिंदी  सीखी न नौकरी की संभावना।
पर मिली नौकरी।
हिंदी  अध्यापक  तमिलनाडु  में
दो ही बने प्रधान अध्यापक।
दो में  एक मैं।
अब आराम  से जिंदगी।

सबहिं  नचावत  राम गोसाई।
 आपकी प्रेरणा  से ।
अपनी विचारधारा।
किसी प्रमाणित भी किया,
मैं  श्रेष्ठ  रचनाकार।
घर से न निकला  पर ईश्वर ने बुद्धि  दी।
मेरी रचनाएँ  लाखों  तक पहुँचती।
न मेरी मातृभाषा  हिंदी।
सबहिं नचावत राम गोसाई।

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