मेरे प्रेरक हिंदी प्रेमियों को
नमस्कार।
प्रणाम।
कलम की यात्रा के संचालकों को
जो मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं,
उन सब को प्रणाम।
कर्तव्य /फ़र्ज
गीताकार श्री कृष्ण की कृपा मिलें।
कर्तव्य करो,
फल की प्रतीक्षा न करो।
भगवान का उपदेश।
मनुष्य तो सद्य:फल चाहक.
मन तो संचल।
मन चंगा तो कटौती में गंगा मान
मन नियंत्रित नहीं करता।
आजकल के शासक,प्रशासक,
अधिकारी, कर्मचारी , भक्त
फल मिलने पर ही
कर्तव्य निभाते हैं।
मेवा पहले,सेवा बाद में।
तत्काल लाभ धर्म बदल जाते।
मातृभूमि तजना,
प्रवासी नागरिक बनना,
मज़हब बदलना,
कर्तव्य बाद में।
सरकारी संस्थाओं के कर्मचारी
निजी संस्थाओं के कर्मचारी
पहले के चेहरे में उतना तेज नहीं।
दूसरे के चेहरे में तेज अधिक।
वजह?
पहले को कर्तव्य करें या न करें
मेवा मिलता जरूर।
दूसरे को कर्तव्य न करें तो
मेवा न मिलता कभी।
सरकारी अध्यापक /निजी अध्यापक
कर्तव्य करने में फरक।
नतीजा सरकारी स्कूल बंद।
निजी स्कूल की संख्या अधिक।
गरीबों की शिक्षा अपमानित।
अमीरों की शिक्षा सम्मानित।
कर्तव्य चूकना अतःपतन का मूल।
स्वचिंतक स्वरचित
यस।अनंतकृष्णन।
नमस्कार।
प्रणाम।
कलम की यात्रा के संचालकों को
जो मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं,
उन सब को प्रणाम।
कर्तव्य /फ़र्ज
गीताकार श्री कृष्ण की कृपा मिलें।
कर्तव्य करो,
फल की प्रतीक्षा न करो।
भगवान का उपदेश।
मनुष्य तो सद्य:फल चाहक.
मन तो संचल।
मन चंगा तो कटौती में गंगा मान
मन नियंत्रित नहीं करता।
आजकल के शासक,प्रशासक,
अधिकारी, कर्मचारी , भक्त
फल मिलने पर ही
कर्तव्य निभाते हैं।
मेवा पहले,सेवा बाद में।
तत्काल लाभ धर्म बदल जाते।
मातृभूमि तजना,
प्रवासी नागरिक बनना,
मज़हब बदलना,
कर्तव्य बाद में।
सरकारी संस्थाओं के कर्मचारी
निजी संस्थाओं के कर्मचारी
पहले के चेहरे में उतना तेज नहीं।
दूसरे के चेहरे में तेज अधिक।
वजह?
पहले को कर्तव्य करें या न करें
मेवा मिलता जरूर।
दूसरे को कर्तव्य न करें तो
मेवा न मिलता कभी।
सरकारी अध्यापक /निजी अध्यापक
कर्तव्य करने में फरक।
नतीजा सरकारी स्कूल बंद।
निजी स्कूल की संख्या अधिक।
गरीबों की शिक्षा अपमानित।
अमीरों की शिक्षा सम्मानित।
कर्तव्य चूकना अतःपतन का मूल।
स्वचिंतक स्वरचित
यस।अनंतकृष्णन।
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