Tuesday, November 26, 2019

मन

वणक्कम।
एल्लोरुक्कुम्।
प्रणाम।
सबको।
 शीर्षक  =मन।
मन चंचला।
रहीम ने कहा-
बूढे के पति लक्ष्मी
चंचला।
मन तो लक्ष्मी के विपरीत
जवानी में  अधिक  च॔चला।
दादी  माँ  ने कहा ,
दुर्गा  शक्ति शालिनी।
तब मामा ने कहा ---
हनुमान  महान बलवान।
नाना ने कहा - शिव।
गली में  गया तो
ईसा मसीह
आप के पाप मिटाने
रक्त बहाते हैं।
पापियों  आइए।
भक्ति  क्षेत्र में   मन डाँवाडोल।
पाठशाला  समाप्त
पिता  ने उच्च  शिक्षा  के लिए
एक विषय कहा तो
अध्यापक  ने दूसरा विषय।
दोस्तों  ने एक विषय।
विषय ज्ञान
 रहित नानी ने कहा
पडोसी को तुरंत
 नौकरी मिली
वही पढना।

भक्ति  में  चंचल।
पढाई  में चंचल।
पढने के माध्यम  में धंचल।
 जवान को लडकियों को
 देखकर चंचल।
जवान युवतियों  को
दूसरों  की साड़ियां।
आभूषण  देखकर चंचल।

 मन में  विचारों  की लहरें।
ज्वार  भाटा।
काबू में लाने
 योगा वर्ग गया तो
पतंजलि योग,
दत्त क्रिया योग।
और अनेक  योगा।
मन  सलाहें
  सुन सुन चंचल।
इतने बुढापा।
मन चंचल
 तन में  न शक्ति।
मन में  राम नाम।
मन शांत।
 तन शांत।
 सीता  ले जाकर
रावण चंचल।
सीता खोकर
पाकर राम चंचल।
 तब  मामूली मनुष्य
मन की चंचलता का
कैसे कर सकते बखान।

  स्वरचित स्वचिंतक
 यस अनंतकृष्णन।
(मतिनंत)

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