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Friday, November 29, 2019

करुण रस

प्रणाम। नमस्कार। वणक्कम।
 करुण  रस।
 ईश्वर  को कहते हैं
करुणा मूर्ति। करुणा सागर।
करुण भाव न तो
मानव जीवन पशु तुल्य।
ईश्वर  की करुणा  से
ईश्वरेत्तर  मनुष्य  जीवन।
दयालु और करुणामूर्ति में
मनुष्यता और ईश्वरत्व का अंतर।
किसी तत्काल प्रभाव से दया।
करुणा  मनोभाव।
एक उत्पन्न  एक सहज।
अनजान के दुख
देख,
दया।
ऐसा होगा सोचना  तो
 सहज करुण।
दया बाहरी।
करुणा  अंतःस्थापित।
दया मनुष्यत्व।
करुणा ईश्वरत्व।
 घायल शत्रु  देख
दया नहीं।
 घायल मित्र देख दया।
अतः मनुष्यत्व।
बगैर भेद  के करुणा।
महावीर,बुद्ध,महादेव करुणामूर्ति।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
(मतिनंत)

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