Friday, November 8, 2019

अभिमान

प्रणाम।
भगवान से प्रार्थना।
भवसागर  पार करने
भगवान का अनुग्रह चाहिए।
जन्म,जीवन,मरण ।
अभिमान क्या है?
स्वाभिमान !⁹
मनुष्य का सक्रिय जीवन
साठ  साल तक।
सब में  अपवाद हैं।
हज़ोरों में दस-बीस अपने बुढापे भी
सक्रिय रह्ते हैं।
जीवन में बीस साल
ज्ञानार्जन में बीत जाता हैं।
इस काल में
आत्म संयम,आत्मानुशासन ,
जितेंद्रियता अत्यंत आवश्यक हैं।

  आधुनिक वैज्ञानिक मनोरंजन के साधन
भलाई बुराई मिश्रित चित्रण में,
बुराई ज्यादा,भलाई कम ।

तब मनुष्य स्वभाव
बुराई को आसान से
पकड लेता है।
तब चरित्र निर्माण में बाधाएं होती हैं।
25 साल में ही युवा युवती अपनी
शक्ति खो बैठते हैं।
तीस साल की शादी में
अतृप्त गृहस्थ जीवन
गैर कानूनी  सम्बंध रखने में विवश।
तलाक के मुकद्दमे बढते जाते हैं।
हत्या,आत्महत्या,तेजाब फेंकना आदि
खबरें निकलती रह्ती हैं।
  शासक,आश्रमके आचार्य,शिक्षक,शिक्षार्थी
सब में आत्म संयम की कमी के
समाचार निकलते रहते हैं।
ये सब त्रेतयग,
द्वापर युग,
कलियुग तीनों में
पाते हैं।
पर कलियुग में संख्या ज्यादा हो रही हैं ।
रावण सीता को ले जाना - रामायण।
शिव,विष्णु,कार्तिक का प्रेम विवाह पुराण,
भीष्म का तीन राज्कुमारियो को
 जबर्दस्त उठालाना महाभारत।
आधुनिक काल में
ऐसी बातें रोज समाचार पत्र में।
  अस्थिर जीवन,नश्वर दुनिया, मरण निश्चित जीवन।
सबहिं नचावत राम गोसाई।
अपना अपना भाग्य
यही मानव जीवन।
 आज सुबह मन में उठे विचार।
स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंत कृष्णन।

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