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Sunday, May 1, 2016

पुनर्मिलन की चाह --तिरुक्कुरळ -- काम - १२८१ से१२९०


पुनर्मिलन  की चाह --तिरुक्कुरळ -- काम - १२८१ से१२९०


१. मद्यपान करने से ही नशा  चढेगी.  कामेच्छा तो देखने -मिलने  से  काम. की  नशा  चढ. जाएगी.और चरमोत्कर्ष  होगा.

२. ताड के पेड बराबर कामेच्छा बढ जाती  है  तो  य्रेससी को अपने प्रेमी  से  तिल. पर. भी रूठना  नहीं  चाहिए.

३.
प्रेमी  मुझे  न. चाहकर अपने कर्म. में ही  लगने  पर. भी  मेरी आँखें उनके दर्शन के बिना  शांति नहीं  पाती.

४. प्रेयसी अपने  सखी  से  कहती  है  कि मेरा  दिल अपने प्रेमी  से  लूटने  गया. पर उनसे  मिलते  ही दिल प्रेम. में मग्न होना ही चाहता  है.

५.
काजल लगाते समय  आँखें काजल लगाने की तूरिका  पर ध्यान. नहीं  देता. उसी प्रकार  प्रेमी  के  देखते  ही उनके अपराध भल जाता है . मिलन सुख भोगना  ही  चाहता  है.

६. प्रेयसी  कहती  हैं कि अपने  प्रेमी  से मिलते  समय  उनके अपराध  की यादें नहीं आती.

उनके बिछुडन. के वक्त सिर्फ. उनके  अपराध  ही याद आती हैं.

७. बाढ के आने  पर. सब को खींचकर  ले  जाता  है.  मालूम होने पर भी बाढ में कूदनेवाले होते  हैें, वैसे  ही
रूठने से फायदा नहीं है,फिर. भी  दिल रूठता  है ,उससे कौन -सा  लाभ मिलेगा?

८. प्रेयसी  कहती  हैं कि प्रेमी के अपमान. के  बाद. भी नशे की गुलाम  जैसे
प्रेमी छाती का नशा बढती  ही  जाती  है. कम. होती  नहीं  है.

९. कामेच्छा फूल. से  अधिक. कोमलतम  है, उसे जान-समझकर भोगनेवाले  बहुत  कम. ही  होते  हैं.

१०. आँखों  से    अति क्रोध दिखानेवाली  मेरी प्रेमिका, संभोग में मुझसे अधिक तेज थी.



भाव मुद्रा अध्ययन -- काम - तिरुक्कुरळ - १२८१ से १२८०.




भाव  मुद्रा  अध्ययन -- काम - तिरुक्कुरळ - १२८१ से १२८०.


१. बिना बताये छिपाने पर. भी  आँखों  के  द्वारा प्रकट होने की एक खबर  है  तो  वही प्रेम .


२. अति सुंदर और कोमल बाँहों वाली  प्रेयसी में जो स्त्रीत्व. है ,वह अति सुंदर. है.

३. मणी माला में छिपे हुए  दागे  के  समान मेरी प्रेमी की  बाह्य सुंदरता  के  अंदर छिपा हुआ भाव -मुद्रा  है.

४. कली  में जैसे  सुगंध दबा हुआ. है ,वैसे  ही प्रेयसी के  मन में प्रेमी  की  यादें दबी  हुई. हैं.

५. रंगबिरंगे चूडियाँ पहनी अति लावण्यमयी  मेरी प्रेमिका में मेरे मनको सतानेवाले दुख मिटाने  की दवा छिपी  हुई. है.

६. अति  प्रेम  दिखाकर  संभोग -सुख देने में  एक सूचना संकेत  छिपा  है  कि वे जलदी ही मुझे  छोडकर चलनेवाले  हैं.

७. मेरे प्रेमी ठंडे दिल से संभोग देना ,मुझे छोडने का संकेत हैं. इसे मेरी पहनी चूडियाँ शिथिल. होकर समझ गई.

८. प्रेयसी  सोचती  है कि मेरे  प्रेमी  कल. ही गये थे  पर ऐसा लगता  है कि  सात. दिन बीत गये.

   ९.  प्रेयसी के भाव मुद्रा देखकर  उसकी  सखी  ने  नायिका  से  बताया  कि    चूडियाँ ढीली  है.,बाँहें दुबली -पतली  हो  गई. हैं, पर उसके चरण प्रेमी के  साथ चलने  तैयार. है.

१०. आँखों  से  ही  अपने काम रोग का संकेत दर्शानेवाली प्रेमिका स्त्रीत्व और साथ रहने का अनुरोध  स्त्रीतव की शोभा  बढा रहा  है.

परस्पर. शौक /अन्योन्य प्रेम --पास्परिक. शौक - /इच्छा- काम-तिरुक्कुरल -१२६१ से १२७०.

परस्पर. शौक /अन्योन्य प्रेम --पास्परिक. शौक - /इच्छा-  काम-तिरुक्कुरल -१२६१ से १२७०.

१.  प्रेयसी  विरह वेदना में तडपती हुई. कहती  है  कि प्रेमी की प्रतीक्षा  करते करते आँखें  थक गई हैं. उनके आने के दिन  के इंतजार. में हर दिन जो निशाना  बनाती थी उनको  गिन गिनकर  उंगलियाँ थक गईं.

२. प्रेयसी अपने  सखी  से  कहती  है कि  मैं अपने प्रेमी की  याद खो  देती  तो मेरे अंग और शिथिल हो जाते और मेरे  हाथ और. दुबली -पतली  हो जाते और चूडियाँ गिर जातीं.

३. प्रेयसी कहती  हैं कि मैं इसलिए  जिंदा हूँ  कि मेरे प्रेमी साहसी हैं  और विजय ही उनका लक्षय है. आशा  है जरूर एक. दिन वापस. आएँगे.

४. मेरे प्रेमी के साथ सानंद बीते उन दिनों की यादों  में मेरा  दिल  पेड कीं ऊँची डाल पर चढकर उनका रास्ता  देख. रहा  है.

५. मेरे प्रेमी के दर्शन के बाद ही मेरे फीके शरीर में  और हाथों में तेजस आएगा.

६.  मेरे प्रेमी जो मुझे  विरह वेदना में तडपाकर गये , वे जरूर एक. दिन आएँगे  ही. तब मैं पूर्ण आनंद  का अनुभव  करूँगा.

७. प्रेयसी सोचती  है कि कई. दिनों के बाद मेरे   नयन  तारे प्रेमी आएँगे तो  पता नहीं ,उनसे रूठूँगी  या प्रेम में लग जाऊँगी  या दोनों करूँगी.

८. प्रेमी  सोचता  है  कि  राजा युद्ध में जीतेंगे तो कई दिनों के बाद प्रेयसी  से मिलूँगी और मिलन  सुख. का अनुभव करूँगी.

९. विरह वेदना की  प्रेयसी  को  एक दिन भी  सातदिन सा लगेगा.

१०. असह्य वेदना  के  कारण  दिल टूट  जाएगा  तो  उनके आने  से , मिलन सुख देने  से  देने  से  या संग रहने से क्या लाभ होगा ? नहीं, दिल. तो टूट गया है न ?

Saturday, April 30, 2016

प्रतिबंध टूटना --काम -- तिरुक्कुरळ -१२५१ से १२६०

प्रतिबंध टूटना--काम-   तिरुक्कुरल -१२५१ से १२६०

१. लज्जा की सुरक्षित कुंडी को  कामेच्छा का आरा तोड. देता  है.

२. सब के सब आराम की  नींद सो रहे  हैं, तब. बेरहमी बनकर कामेच्छा मेरी नींद को भंग करती  है.


३. जैसे  छींकने को हम रोक नहीं  सकते  वैसे ही कामेचछे को रोकना  हमारे  वश. में  नहीं है. प्रकट ही होती  है.

४. मैं सोच रही थी मन मेरे काबू  में है, पर कामेच्छा मेरे दृढ विश्वास को तोडकर प्रकट हो ही  जाती  है.

५. निर्दयी  प्रेमी के छोड. जाने  के  बाद. भी  मन को निमंत्रण में  रखने  की शक्ति प्रेमियों में नहीं  है. मन प्रेमी को भूलती नहीं  है.

६. प्रेमी मुझसे  घृणा करके  चले  गये. फिर भी  दिल  उनके पीछे चलता  है तो  मन. की  स्थिति के बारे  में क्या कह सकते  हैं.

७. प्रेमी  की इच्छाओं  को पूरी  करते  समय  लज्जा  नामक  एक  गुण   नदारद  हो  जाता  है.

८. स्त्रीत्व के आरक्षण को चोर प्रेमी के माया भरी वचन  तोड देते  हैं.

९. रूठकर  वापस. आने  प्रेमी  से मिलने  गई  पर कामाधिक्य  के कारण  संभोग. करना ही पडा.

१० चर्बी  को आग में डालने  पर  पिघल जाना  उसका गुण  है ,वैसे  ही संभोग के आनंदानुभव  के बाद रूठना असंभव. है.

स्वगतभाषण ---काम--तिरुक्कुरल ---१२४१ से १२५०

स्वगत भाषण -- काम -- तिरुक्कुरळ - १२४१से १२५०

१. हे दिल!   मेरे प्रेम रोग असाध्य. है.  उसे चंगा  करने एक दवा का पता लगाकर देना .

२. अपने  दिल  को संबोधित करती  हुई. प्रेयसी  कहती  है
 कि  प्रेमी तो भूल गये ,पर हम उनकी याद. में  है. सचमुच. दिल! तू बडा  है.


३. विरह वेदना  में तडापाते वे छोडकर. चले  गये. हे दिल ! उनको  सोचने  से  क्या लाभ. उन्हीं के कारण यह रोग आ गया  है.

४. हे  दिल! जब तू प्रेमी की याद. में  चलता  है, तब आँखों को  भी  साथ. ले  चल. नहीं तो उनको देखने के  लोभ के  कारण वह मुझे  ही खा  लेंगी.

५. दिल ! वे मुझसे  प्रेम नहीं करते   !नफरत. करते  हैं  यों सोचकर  क्या हम. उसको  भूल. सकते हैं? कभी नहीं.

६. हे दिल ! उनसे  मिलते समय बहुत खुश होता था,कभी तूने  नाराज न होता  था. अब का  नाराज. तो झूठा ही है  न!.

७.मेरे  दिल!  एक तो  कामेच्छा  छोड दो या   लज्जा  छोड  दो. इच्छा  और. लज्जा दोनों  सह नहीं सकता.

८.  बेरहमी  से प्रेमी छोडकर. चले गये . उनके  पीछे  ही  जानेवाला  मेरा मन बुद्धू  ही  है.

९. हे दिल ! प्रेमी  तो तुममें ही  है , उनकी  तलाश में कहाँ बाहर ढूँढ रहे  हो.

१०. प्रेमी तो न चाहकर चले  गये  फिर भी  मन  उनकी   ही  याद. में  दुखी  है और. तन  दुबला  पतला  हो  रहा  है.





तिरक्कुरळ -काम- अंग थकना\ शिथिल -१२३१ से १२४०

  तिरुक्कुरल - काम-अंग का थकान - १२३१ से १२४०.

१. प्रेमी  के बहुत दिन के  न आने  से  विरह वेदना  में मेरी  आँखों    शोभा  खोकर

फूलों के  आगे  लज्जित हो  गईं .


२. आँखें  पीली  पडकर दूसरों  से  कह रही  हैं  कि मैं विरह. वेदना  से  पीडित. हूँ.

३. जो बाँहें  मेरे पति के संग में फूली थीं,  वे आज  विरह वेदना  के  कारण फीकी  पड गयी. मेरी विरह. वेदना प्रकट कर . रही  है.

४. विरह वेदना  में हाथ  इतने दुबले हो गये  कि चूडियाँ गिर रही  हैं.  ऐसा  लगता  है  कि  मेरी  विरह वेदना को
दूसरे लोगों को दिखा  रहे  हैं.

५. मेरी  सुंदरता पीली पड गई. हाथों . के  दुबले होने  से  चूडियाँ गिर गई . मेरी अपनी विरह वेदना दूसरों को बता  रही  हैं.

६. मेरे दुबले -पतले शरीर और हाथ. देखकर. दूसरे  बता  रहे  हैं  कि मेरे  प्रेमी निर्दयी हैं.
दूसरों  के  मुख. से  मेरे प्रेमी  क़ा  बेरहम. कहना मेरे  दुख बढा रहा  है.

७. मेरे दिल! उन. से मेरी दीनावस्था  प्रकट करके बताओ. कि लोग तुम. को क्रूर  कह. रहे  हैं. मैं अति दुखी  हूँ.

८. प्रेयसी  से आलिंगन के हाथ ढील होते ही उसके चौडी माथा  पीली पड गया. वह जरा  सी अलग  होना भी सह . नहीं  सकती.

९. कसकर गले  लगाते  समय. बीच. में  हवा  के  प्रवेश के कारण अलग होने के  विचार. से उसकी  आँखें  फीकी  पड गयी. लंबा  बिछुडन वह. कैसे  सहेगी


१०. सुंदर माथे के फीका  पडते  देख. प्रेयसी  की  आँखें  भी पीली पडकर शोभा  को चुक. वह कैसे  दीर्घ. कालीन. विरह सहेगी.

१०.

Friday, April 29, 2016

तिरुक्कुरळ --संध्या का विलाप-काम भाग-१२२१से१२३०

 तिरुक्कुरळ --संध्या  का  विलाप-काम भाग-१२२१से१२३०

१. प्रेमी  से बिछुडकर रहने से  संध्या! तू  महिलाओं केप्राण लेने  के  लिए. आते  हो.

२. अंधकार लानेवालेी संध्या! कया तेरे प्रेमी  भी मेरे प्रेमी  की  तरह निर्दयी है ?

३.मेरे  प्रेमी  के रहते  संध्या !तू डरती हुई  पीला  पडकर आई थी. अब मैं  विरह. वेदना  से दुखी हूँ, तेरा  आगमन. मेरा दुख बढा रहा  है.

४. प्रेमी के न होने से  संध्या  मेरी  हत्या करने आ रही  है.

५. शाम को प्रेमियों का दुख. बढ रहा  है. हमने दिन के हित में क्या किया  है? संध्या  के अहित मं क्या किया  है ,पता  नहीं  है.

६.  मेरे  प्रेमी  के बिछुडकर जाने  के  पहले अनुभव. नहीं किया कि संध्या बहुत दुखप्रद. है.

७. काम का  रोग. दिन. में कली  के रूप. में है और शाम को विकसित होकर फूल बन  जाती  है.

८. पहले  ग्वाले  के बाँसुरी की ध्वनी मधुर. लगती थी. अब. प्रेमी  के बिछुड. जाने  से  गवीले की  मुरली आग बनकर मेरी हत्या करने आनेवाली सेना  की  तरह कष्ट दे  रहा  है.

९. बुद्धि भ्रषट करनेवाली  संध्या  मुझे ऐसा  लगता  है  कि सारे शहर. को  दुख दे रही  है.

२०.
मेरे प्रेमी के बिछुडते  ही  संध्या  की माया मुझे  दुख देकर. मार. रही  है.