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Wednesday, July 27, 2016

जीव वध

संजीव वर्मा सलील से प्रेरित
मेरे बकवास
मतलबी दुनिया में बेमतलब बातें सहज।
सलीलजी ।  अपना थूका न चाटेंगे।
परायों को सह पोंछ लेंगे।
भले ही जवान की जान चलें,
आतंकवादी को चोट न पहुँचे,
ऐसी थूक सह लेंगे।
बकरी काटने पर चुप रहेंगे।
तोते पाल ज्योतिष धंधा,
पक्षी तंग कह रोकेंगे।
वह तो  तोते पाल सुरक्षित रखता।
वह उसका जीविकोपार्जन के साधन ।
बंदर नाच दिखा पेट भरता ,
वह तो जीव -हिंसा।
ऊँट मार खाने पर हमारे नेता हाथ बँटाता।
कितना स्वार्थ।
तोता ज्योतिष को ब्लू क्रास
विरोध करता।
आया ,आया, भालू वाला,
लिए हाथ में भालू काला।
कलाकार क़े पेट पर मार
मुर्गा, बकरी, ऊँट ,गाय माँस खाना हक ।
जानवर रख तमाशा दिखाना,
सर्प रख तमाशा दिखाना जीवध।
जीव हिंसा रोकने वालों!
मेनकाजी। ऊँट बली के
विरोध बोल सकती है।
थूकेंके ऐसे वोट के लिए
एक धर्म का समर्थक।
दूसरे बहुमत धर्मियों का अपमान।
Posted by ananthako at 12:39 AM No comments:
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Tuesday, July 26, 2016

मैं हूँ साधारण वैधानिक - सांसद

मंच में स्थान पाने ,भटक रहा है मनुष्य ।
एक दोस्त आया, शाल दिया,
कहा, मंच पर चढूँगा,
मेरे नाम कह शाल ओढा देना।
पचास रुपया दूँगा।
आहा! मेरे दोनों हाथों में लड्डू।
मैं तो माला ,नाम मात्र कहकर नहीं,
विशेषण भी जोड दिया।
  हमाारे दायरे के दाता,दादा,
आदरणीय दयाराम  को
मेरा छोटा -सम्मान।
बस  बार -बार मंच मिला।
शाल ओढाने का काम मिला।
दयाराम से सुपरिचित ,
मुझसे मिलने लगे।
बार - बार शाल ओढाना।
मंच पर चढता -उतरता
धीरे -धीरे  एक शाल एक
बडे नेता ने पहनाया मुझे।
ऐसे सेवक मिलना दुर्लभ।
   मुझे मंच मिल गया।
भाग्य चमका।
नेता के खुशामद में ,
शब्द निकला-
बर्नाटशा सुना है, अब देखता हूँ,
लेनिन नाम सुना , अब देखता हूँ।
ईश्वर सद्यः -फल देते नहीं,
नेता प्रत्यक्ष देवता।
मिलो ,सद्यः फल मिलेगा।
ईश्वर तुल्य नेता को साष्टांग प्रणाम।
फिर  किया, नेता के पास खडा रहा करता।
मंच मिल गया।
   मैं जो बोलता हूँ ,खुद नहीं जानता।
बना  वैधानिक। बना सांसद।
न जानता देश प्रेम, न जानता सेवा।
लोग मुझे नहीं जानते, मैं  नहीं जानता जनता को।
नेता की जय घोषणा जानता।
चुनाव क्षेत्र और मेरा कोई तालुक नहीं,
मतदाता अति चतुर , मैं जीत जाता ।
मेरे  एक मंदिर,एक कालेज, बस मालामाल हे गया।
अब काले धन मुझे ओट ,
नोट से वोट, मेरे चाटुकार मुझे हारने न देते।
कमाते बहुत , विसा ,पास पोर्ट,
विदेशी बैंक,विदेशी यात्रा।
अच्छे अधिकारी, कुछ देशोन्नति  काम करते।
ठेकेदार पुल बनाते,
खासकर नेता की मूर्ती स्थापित करते ।
सडक बनाते तीन महीने में दरारे पड जाती।
फिर ठेका फिर सडक।
हर देश हित योजना,
पैसे बिना माँगे मिल जाते
चुनाव में खरच करना है,

मंच मिल गया, जय हो
भारतीय लोक तंत्र।

नेता के खुशामद में  जी रहा हूँ।
जय हिंद। वंदेमातरम्।

Posted by ananthako at 10:47 PM No comments:
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जय हिन्द

देश की एकता में
धर्म और जातियों के -भेद की बाधाएं क्यों?
भारतीय वर्ण व्यवस्था आदि काल से
पढ़े -लिखे सभ्य वर्ग ,
मेहनती वर्ग
शासक वर्ग
वैश्य
कालान्तर में छूत=अछूत के भेद;
विदेशी आक्रमण
अंतरराष्ट्रीय वैवाहिक,
कानूनी-गैर कानूनी सम्बन्ध
सनातन धर्म में आकार-निराकार -की मान्यता,
मूल हिन्दू अपनी इच्छा से धर्म बदलना
भय -दंड व्यवस्था के कारण
प्रलोभन के कारण धर्म बदलना
प्रेम के कारण
जो भी हो ,
भारतीयता धार्मिक परिवर्तन के साथ
खून से जुडा हुआ है.
यही बुनियाद पर्याप्त है,
विभिन्न रंगों और ढांचों
कमरों के भारतीय देश की इमारत
पक्की रहने के लिए.
इस बुनियाद में छिपी राष्ट्रीय एकता की भावना को
जगना,जगाना ,जगवाना
भेद भाव भुलाने में जागृति लाना
निस्वार्थ देश प्रेमी भक्तों का
लक्ष्य होना चाहिए.
स्वार्थ लोग
लोगों की भारतीय एकता
बिगाड़कर
अपने स्वार्थ सिद्ध करना चाहेंगे ही.
इनको समझना -समझाना भी
एक उद्देश्य होना चाहिए.
भारत के मुसलमान -ईसाई के पूर्वज हिन्दू थे
प्रसिद्ध संगीतकार ये .आर. रहमान ,
येसुदास के भक्ति गीत
धार्मिक एकता के जीता जागता उदाहरण.
भारतीयों जागो;
देश को सोचो;
अपने अपने धर्म पथ अलग
मनुष्यता की सेवा भावना एक.
इंसानियत निभाने
धर्म की जरूरत है
पर स्वार्थवश लड़ना- झगड़ना
अल्ला को या विश्वनाथ को या ईसामसीह को
स्वीकार्य नहीं ;
समझो ;जानो; ज्ञान मिलें;
मनुष्यता से रहो;
बचाना मनुष्यता ;
जान लेना पशुत्व;
बुद्धि से काम करो;
देश की एकता प्रधान है;
देशवासियों की एकता प्रधान है;
बुनियाद मज़बूत करो;
अपनी इमारत में सानंद रहो.
जय हिन्द! वन्देमातरम

Anandakrishnan Sethuraman's photo.
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मनुष्य गुण

है ?

क्या मन और दिमाग

दोनों एक ही बात सोचता है?

दिमाग कहता है

तो मन दौड़ता है

मन भागता है

मन लहराता है

अस्थिर मन के मूल में

आँखें प्रधान हैं

कान गौण हैं .

आसपास की घटनाएं

नाते रिश्ते दोस्तों की बातें

संगीत ,न जाने जड़ जंतुएँ

पालतू -जंगली जानवर .

छिपकली देखा,

उसकी निर्दय व्यवहार

मकड़ी देखी

इसका बेहरमीबर्ताव,

बाघ हिरन का शिकार

बड़ी छोटी मछली का व्यवहार

बिल्ली चूहा सबंध

ईश्ववर की सृष्टियों में

कोमल --निर्बल जानवर.

कीड़े मकोड़े

निर्मम ,निर्दय असहानुभूति

हमदर्द हीन.

पर मनुष्य

क्या करेगा ?किसको पता?

वह ओ काटेगा, चाटेगा,
दान करेगा, हत्या करेगा,
सहानुभूति दिखाएगा,
ईश्वर की आराधना करेगा.
ईश्वर की निंदा करेगा.
दैविक किताब,
मजहब जाति के नाम पर,
निर्दयी हत्याएं करेगा.
उसकी निश्चित बुद्धि नहीं है.
यही मानव का गुण ,
स्थापित करना ही मुश्किल.
भरोसा ? !!
Posted by ananthako at 1:29 PM No comments:
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संगम

संगम   में  संगम।
मनुष्य जीवन खतरे से खाली नहीं।
मगर मच्छ आँसू बहाकर ठग।
साँप -सा विषैले लोगों का जग।
अचानक आकर गोलियाँ बरसानेवाले,
तलवार   से   काटनेवाले,
ऊपर से गोली, जमीन में छिपी गोली।
मनुष्य जीवन खतरों से भरा।
ईर्ष्यालू,लालची,कंजूसी,
राह डकैतियों और  चौराहे खडे पुलिस
दोनों में कभी -कभी
फरकनहीं  दीखता।
नहीं अनुशासन शिक्षा में,
शिक्षा  की  महँगाई
निर्दयता लाती।
दानशीलता भगाती।
भक्ति क्षेत्र बाह्यडंबर।
तीस हजार रुपये खर्च ,
कलाकार का परिश्रम
भगवान को भी टुकडे टुकडे करती।
फिर भी संसार में अच्छों की कमी नही
अच्छों का संगम सागर। ।ं

Posted by ananthako at 6:59 AM No comments:
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जागो

कुछ लिखो,
देश भक्ति के बारे में।
तन-मन-धन देते हैं ,
देश के लिए अपना सर्वस्व
अर्पण करते हैं,
वे रक्षक हैं देश का,
ऐसे शहीद देश भक्त अनुयायियों में
होते हैं कुछ भक्षक।
आज तेलंगाना सांसद बोलती,
तैलंगाना भी एक कश्मीर।
कश्मीर आतंकवादी के समर्थक
कांग्रस  विदैशी खून मिले बाधक।
धर्म निरपेक्ष के नाम ,देश को ,
दैश वासियों को बाँटने का नाशक।
शक नहीं जरा भी ये 
मजहब के नाम , जाति के नाम ,
आरक्षण के नाम राष्ट्रीय धारा के बाधक।
आँध्रा एक ही भाषी उनको टुकडा कर
तेलंगाना कश्मीर बोलने का हिम्मत।
ऐसे देश की एकता बाधक  शक्तियों को
जड मूल उखाडने की एक शक्ति,
युवा शक्ति।
जागो युवकों!  जगाओ युवकों!
ऐसी राष्ट्रीय एकता के बाधकों को बढने न देना।
प्रांतीय  जोश के साथ - साथ
राष्ट्रीय जोश की धारा प्रधान और प्राथमिकता हो।
इंदिरा की गलत नीति तमिलनाडु में
राष्ट्रीय दल न पनप रहा है।
जब हम थे टुकडे - टुकडे,
विदेशियों के अधीन रहे, याद रखना।
कितने  निस्वार्थ   सेवक,   
शहीद  देश को ही प्रधान माना ।
अब स्वार्थ अदूरदर्शी  इधर - उधर
अलगवादी में लगना शुरु किया है।
पहचानो, भारत माता की संतानें हम।
बोलो , जय हिंद। वंदेमातरम्।

Posted by ananthako at 6:32 AM No comments:
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Sunday, July 24, 2016

Tamil चित्रपट गीत

நான்  பெற்ற  செல்வம் ---திரைப்பட  பாடல்  १९५६ .

नान  पेट्र  सेलवं --तमिल सिनेमा  गीत --१९५६

      उच्च  जिन्दगी  जीने  पर भी  ,   निंदा   करेगा  संसार ,

     निम्न  जिन्दगी   जीने   पर  भी ,  निंदा  करेगा  संसार.

     पतित लोगों  को  देख  हँसेगा    संसार ,

    उत्थान   लोगों  से   करेगी घृणा  संसार .

    रंक  की  माँग  से  हँसी उड़ाएगा  संसार ,

   रईसों  की  माँग को  अभिनय  कहेगा  संसार.

  असभ्य  बनकर    पाप-पातक  करेगा
  
अमीरी  से  सब को छिपाना  चाहेगा  संसार .

गुणी  कुटुंब  को  विनाश  करेगा  संसार.

  गुण  बदलकर  भ्रष्ट  मार्ग  पर  चलेगा    संसार.

Posted by ananthako at 6:35 PM No comments:
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