Search This Blog

Tuesday, July 26, 2016

संगम

संगम   में  संगम।
मनुष्य जीवन खतरे से खाली नहीं।
मगर मच्छ आँसू बहाकर ठग।
साँप -सा विषैले लोगों का जग।
अचानक आकर गोलियाँ बरसानेवाले,
तलवार   से   काटनेवाले,
ऊपर से गोली, जमीन में छिपी गोली।
मनुष्य जीवन खतरों से भरा।
ईर्ष्यालू,लालची,कंजूसी,
राह डकैतियों और  चौराहे खडे पुलिस
दोनों में कभी -कभी
फरकनहीं  दीखता।
नहीं अनुशासन शिक्षा में,
शिक्षा  की  महँगाई
निर्दयता लाती।
दानशीलता भगाती।
भक्ति क्षेत्र बाह्यडंबर।
तीस हजार रुपये खर्च ,
कलाकार का परिश्रम
भगवान को भी टुकडे टुकडे करती।
फिर भी संसार में अच्छों की कमी नही
अच्छों का संगम सागर। ।ं

No comments:

Post a Comment