Wednesday, July 6, 2016

ईश्वर।

ईश्वर की कृपा और स्वस्थता प्राप्त करने
आध्यात्मिक मार्ग /भक्तिमार्ग  पर चलने
सनातन धर्म के मार्ग अनेक।
पर लक्ष्य एक।
बोधिवृक्ष के नीचे  बैठो ,
ज्ञान मिलेगा।
सहज मार्ग ,आँखे बंद करो ;
मन को नियंत्रण पर रखो।
बस बाह्याडम्बर की नहीं आवश्यकता।
दूसरा हैं पाप मिटाने ,
सुख पाने ,नौकरी मिलने
संपत्ति मिलने , धर्म गुरु से मिलो।
यन्त्र लो।
अमुक पन्ने  की अंगूठी लो। ,
अमुक संत से मिलो।
,अमुक मंदिर जाकर प्रायश्चित करो।
यह एक भक्ति मार्ग चलाने वाले
जीविकोपार्जन करनेवाले कहते  हैं
यज्ञ में दूध की नदी बहाओ,
रेशम की साड़ी डालो।
सिक्के डालो।
हज़ारों की खर्च करो.
यह एक स्वार्थ मार्ग।
हीरे का मुकुट पहनाओ।
सिंहासन पर बिठाओ ;
आलीशान  मठ  बनाओ ;
यह एक अपना अलग मार्ग
तीसरा मार्ग अन्नदान करो ,
वस्त्रदान करो
जिओ परोपकार के लिए ,
कर्त्तव्य निभाओ ,कर्म मार्ग अपनाओ
काम करो ,जो कुछ मिलता है ,
उससे संतोष प्राप्त करो
सत्य को अपनाओ ;
धर्म पथ पर चलो.
सभी मार्ग में भीड़ ;
राजनैतिक नेता अनेक ;
उनके अनुयायी पैसे के आधार पर;
देव अनेक ;
जहां रूपये की वर्षा हो
वहाँ   भीड़ अधिक;
पर जो  धर्म मार्ग के जनक हैं
शंकर हो ,रामानुज हो , बुद्धा हो ,महावीर हो ,
तुलसी हो, कबीर हो
अल्ला के पैगम्बर मुहम्मद हो ,
ईसामसीह हो
सब सादगी की मूर्ती ,बाह्याडम्बर से दूर
पर उनके नाम पर जाने वाले विपरीत ;
भगवान शिव तो श्मशान के विभूति धारी
विष्णु तो लक्ष्मी पति
न जाने कौनसा मार्गशांति प्रद ,
सरल सहज मार्ग अपनी आत्मा जीवात्मा में
परमात्मा बिठाकर जप -ध्यान में लग्न जैसे
भक्त ध्रुव ,प्रह्लाद ने किया हो /
धन ,सोना चांदी ,हीरे पन्ने वाले भाग्यवान
बाकी लोग सच्चे भक्त वही धार्मिक।
सोचो समझो उचित मार्ग अपनाओ
व्यर्थ भगवान की कृपा के लिए पैसे की चिन्ता
वही सच्चा भक्त ,
जिसकी तलाश में
खुद आते हैं खुदा /ईश्वर।

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