Thursday, July 21, 2016

भगवान

भगवान
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भगवान उनके साथ जो भाग्यवान होते हैं.
भाग्यवान कौन ?
धनी ? गरीब ? ईश्वर भक्त ? गृहस्थ ? अविवाहक ?
धनी ही सुखी गरीब समझता है ,
पर मेहनती गरीबों की मीठी सहज नींद ,
धनी सोते हैं ? पता नहीं .
एक राजा ने कंकरीली पत्थर पर सोनेवाले ,
अर्द्धनग्न भिकारिन को चमेली से भरे बिस्तर पर
सुलाया , दो दिन की मीठी नींद के बाद ,
राजा ने देखा , वह मीठी नींद सोने के बदले
बिस्तर पर के चमेलियों में कुछ तलास कर रहा था ;
राजा ने सबेरे पूछा --क्या आप कंकरीली पत्थर पर
कष्ट की नींद सो रहे थे ; तीन दिन की नीद कैसी थी?
आराम दायक ,सुख प्रद , संतोष प्रद ?
भिखारिन ने बताया इतना सुख , इतना मुलायम .
पर मुलायम फूलों के बीच जो फूल का मस्सा था,
उसके चुभने से नींद नहीं आयी .
तीन दिन के सुखी मुलाम पर सोने का असर
गरीब की नींद को बिगाड़ दिया तो
धनियों की मीठी नींद के लिए नींद की गोलियाँ .
धनी धनी होता है तो दानी नहीं है.
भारत देश में धनी भगवान के वरदान के लिए ,
धन लाभ के लिए हुंडी में लाखों डालता हैं ,
गरीब भी अध्-भूखा पैसे बचाकर हुंडी में डालता है,
हुंडी में डालने से एक दैविक सुख- आनंद -संतोष का
इतना अनुभव करता हैं ,अगले साल भर -पेट खाकर हुंडी में डालता है.
यह विचित्र चमत्कार भारतीयों में कैसे पता नहीं;
कितने मंदिर ,कितने तीर्थ स्थान , कितने साधू संत , नग्न , अर्द्धनग्न ,
आश्रम के सुखी स्वामीजी पता नहीं ,
भारतीय आध्यात्मिकता , त्याग ही त्याग सिखाता ,
आश्चर्य धनी सुखी को देख ,दीं -दुखी को देख,
अल्प मृत्यु को देख , दीर्घ रोगी को देख .
भ्रष्टाचारियों के सुख देख ,ईमानदारियों के कष्ट देख
अपने आप समाधान -शान्ति कर लेता है,
यह तो अपना -अपना भाग्य .
पूर्व जन्म का फल, पूर्वजों के पाप , नाग दोष ,
झूठी गवाह का दोष, तोते को पिंजड़े में बंद रखने का दोष ,
हत्या का दोष , गर्भ पात का दोष, चोरी का दोष ,
पैर ठीक न साफ करने का दोष, पीठ न पोंछने का दोष .
न जाने कितने दोष ?न सब से बड़ा दृष्टी दोष.
ईर्ष्या दोष, न जाने दोषों क दोष.
इष्ट देव की पूजा न करने का दोष;
कुल -देव मंदिर भूलने का दोष ,
पितृ दोष , गुरु -द्रोह दोष , डाक्टर फीस न देने का दोष,
राज -दोष, धोबी की मजदूरी न देने का दोष,
दोस्त के प्रति विश्वास घात का दोष ,
भाषा उच्चारण का दोष , और यदि कोई दोष छूट गए तो
उसका दोष, हाल ही में पापों की सूची बढ़ती जा रही है,
तीर्थ स्थानों में नहाने में भी दोष ,
तीर्थ -नदी -तालाब में मॉल -मूत्र विसर्जन का दोष ,
मंदिर गया जल्द बाजी में अमुक स्तंभ के अमुक भगवान के
दर्शन न करने का दोष,.
दक्षिण में सर रख सोने का दोष,
उत्तर में सर रख सोने का दोष,
अतिथि सेवा में दोष, अधर्म का दोष ,
और इतने दोष बताकर डराने के देश में
ईश्वर का भय कहाँ ?
बलात्कार , भ्रष्टाचार ,कालाबाजार, रिश्वतखोर ,
हत्यायें, न्यायालय का अन्य्याय सब चालू है तो
इतने दोषों की सूची क्यों ?
केवल प्रायश्चित करके दोष निभाने के लिए .
नहीं ,नहीं , पाप कर्म ,पाप विचार से बचने के लिए.
सनातन धर्म का एकाग्र अनुयायी कोई नहीं जहां में.
वास्तविकता यही चालू है.
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