Friday, July 15, 2016

सत्य भक्ति

कहते  हैं   जग  में ,
एजी  जग  में ,
देश में  ,गली  में , हर  जगह 
सत्यमेव  जयते.
माया  -ममता  -मोह भरे   जग  में ,
सत्य  की ही  विजय  इसका  कोई  सबूत  नहीं .
सबूत  है  तो  कोई प्रमाणित  कीजिये.
एक  ही नाटक  हरिश्चंद्र  उसको  देख  या  पढ़ 
सत्य  बोलने  डरेगा  संसार. 
आदमी  निर्मित न्यायालय  में
 दंड  नहीं भ्रष्टाचारी , काले  धनी  अमीरों को 
नव- ग्रह   ईश्वर   निर्मित  संविधान  में 
बच  नहीं  सकता  कोई.
यम  दरबार का  निर्णय  न्याय  निश्चित  टाल  नहीं  सकता  कोई.
अग जग  की  आध्यात्मिक   कहानियों  में ,
लौकिक  पापियों  के  धन  के  बगैर,
न  बना  मंदिर , मस्जिद , गिरिजा-घर.
करोड़ों  का   काला  धनी चढ़ाता  लाखों के  रूपये.
सच्चे  आदर्श  भक्तों  के  लिए 
वटवृक्ष  के  निचे  बैठे   विघ्नेश   ही  है  भगवान.
अर्थ  बिना  पूजा -पाठ  में पूण्य  नहीं  तो 
अर्थ  ही  नहीं  अलख  शक्ति  का.
सोचो ,समझो, जागो, 
सार्थक   पूजा मन  से ,
न भ्रष्टाचारियों  के  हीरे-सोने -चांदी  भरे आलय  -आश्रमों  में.

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