Tuesday, July 5, 2016

वही शान्ति -सत्य -परोपकार ,सहानुभूति।

 सांसारिक    लीला  अदभुत।

जग   लीला   चमत्कार।

ईश्वर    की   लीला  विचित्र।

न   जाना   कोई  मर्मज्ञ ,

चल  रहा    हैं   जो   कुछ

न  जाना  मर्म   कोई  सर्वज्ञ।

जातियों   की   बातें   करते  हैं ,

न  जानते   कोई क्या  है  आदी   -जाति।

कई  बातें    अस्पष्ट , न  कोई  बातें स्पष्ट।

अधिक  पूछो   तो  यही  उत्तर ,

नदी  मूल -ऋषि  मूल  जानना  मुश्किल.

भाषाएँ   इतनी  कहाँ  से  आयी    पता  नहीं.
 
जहाँ   भी  रहें  ,घर  की  बोली बिना  सिखाये  आ  जाती।
जहाँ   भी  रहें  ,वहाँ   की  गली  की  बोली  आ  जाती.
हर  देश  के   जलवायु    अलग.
हर  देश   के  पैदावार   अलग.
मौसमी  फल   अलग।
विचार  अलग  अलग.
वेश-भूषा  अलग  अलग
ईश्वर  के  नाम   अलग -अलग.
ईश्वर  के रूप   अलग  अलग.

 मनुष्य     के  रूप -रंग  में  भी अलग -अलग.

चकित   करने  की  बात  है  मनुष्यता.

वही  शान्ति -सत्य -परोपकार   ,सहानुभूति।


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