अर्थ --राजनीती --बुद्धिमत्ता --चतुराई ---तिरुक्कुरल -४२१ से ४३० तक
१.बुद्धि सुरक्षित दुर्ग के सामान हैं . बुद्धि हमें अपने शत्रुओं से बचायेगी ; और हानि से भी .
२. मन को नियंत्रण में रखकर बुरे मार्ग में न जाकर अच्छे मार्ग पर चलना ही बुद्धिमत्ता और चतुराई है.
३.
दूसरे जो भी कहें उसे ज्यों का त्यों न मानकर छानबीन करके सच्चाई जानना ही बुद्धिमत्ता है.
४.
जो कहते हैं ,उसे अधिक सरलता से श्रोताओं को समझाना ही बुद्धिमत्ता है. वैसे ही दूसरों की बातें सुनकर उनको सूक्ष्मता से समझना भी बुद्धिमत्ता है.
५.
संसार के सब से बड़े लोगों को मित्रता बनाना ही बुद्धिमत्ता है, ऐसे बनाने से खिला हुआ चेहरा कभी नहीं कुम्हालाएगा.
६.
संसार जैसा हैं ,वैसा ही संसार के साथ चलना बुद्धिमत्ता है.
७.
चतुर / बुद्धिमान लोग भविष्य में होनेवाली
घटनाओं को जान सकते हैं .बुद्धिहीन लोग भविष्य को जान नहीं सकते. चतुर दूरदर्शी होते हैं .
८.
जिन बातों से डरना हैं ,उनसे डरना ही बुद्धिमत्ता है;
९.
जो बुद्धिमान दूरदर्शी होते हैं ,उनको धक्का देने का कष्ट कभी नहीं होगा.
१०.
बुद्धिमानों के पास कुछ भी न होने पर भी ,ऐसे रहेंगे जैसे सब कुछ अपने पास है. पर बुद्धीहीनों के पास सब कुछ होने पर भी ,वैसी ही हैं ,जिसके पास कुछ न हो.
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