सत्य --तिरुक्कुरल --२९१ से ३००
१.बुरे शब्द न बोलना और दूसरों को तनिक भी हानिप्रद शब्द न बोलना ही सत्य है.
२.सब की भलाई के लिए झूठ बोलना भी सत्य बराबर है.
३. जान बूझकर झूठ बोलना नहीं चाहिए; ऐसे झूठका भंडा फोड़ जाएँ तो बोलनेवाले का दिल ही उसे गाली देगा.
४. जो अपने मन में भी झूठ बोलने का विचार नहीं करता ,वह सब के प्रशंसा का पात्र बनेगा.
५. जो दिल से सच बोलते हैं ,वे तपस्वीं और दानी से श्रेष्ठ है;
६. सत्यवान खुद जाने बिना यशास्वीं बनेगा;उसको सभी धर्मों के फल मिलेंगे.
७. बगैर झूठ बोलने जीने का व्रत जो रखते हैं ,उनको दूसरे धर्म -कर्म करने की जरूरत नहीं है.सत्य ही उसको सभी धर्म का फल देगा.
८.स्नान करने से शेरीर का मैल दूर होगा; मन की गन्दगी दूर होने सत्य वचन ही बोलना चाहिए;
९. बाहरी अन्धकार मिटानेवाले सब दीप दीप नहीं है; आतंरिक मन के अन्धकार दूर करनेवाले झूठ न बोलने का दीप ही सच्चा दीप है; सत्य ही असली दीप है.
१०. सांसारिक वस्तुओं में सत्य से बढ़कर सर्वश्रेष्ठ गुण और कोई नहीं है.
१.बुरे शब्द न बोलना और दूसरों को तनिक भी हानिप्रद शब्द न बोलना ही सत्य है.
२.सब की भलाई के लिए झूठ बोलना भी सत्य बराबर है.
३. जान बूझकर झूठ बोलना नहीं चाहिए; ऐसे झूठका भंडा फोड़ जाएँ तो बोलनेवाले का दिल ही उसे गाली देगा.
४. जो अपने मन में भी झूठ बोलने का विचार नहीं करता ,वह सब के प्रशंसा का पात्र बनेगा.
५. जो दिल से सच बोलते हैं ,वे तपस्वीं और दानी से श्रेष्ठ है;
६. सत्यवान खुद जाने बिना यशास्वीं बनेगा;उसको सभी धर्मों के फल मिलेंगे.
७. बगैर झूठ बोलने जीने का व्रत जो रखते हैं ,उनको दूसरे धर्म -कर्म करने की जरूरत नहीं है.सत्य ही उसको सभी धर्म का फल देगा.
८.स्नान करने से शेरीर का मैल दूर होगा; मन की गन्दगी दूर होने सत्य वचन ही बोलना चाहिए;
९. बाहरी अन्धकार मिटानेवाले सब दीप दीप नहीं है; आतंरिक मन के अन्धकार दूर करनेवाले झूठ न बोलने का दीप ही सच्चा दीप है; सत्य ही असली दीप है.
१०. सांसारिक वस्तुओं में सत्य से बढ़कर सर्वश्रेष्ठ गुण और कोई नहीं है.
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