Tuesday, February 9, 2016

सत्य का महसूस / सत्य जानना /तत्वज्ञान --तिरुक्कुरल --३५१ से ३६०

सत्य का महसूस /  सत्य जानना /तत्वज्ञान  --तिरुक्कुरल --३५१ से ३६० 

१. जो तत्वज्ञान नहीं हैं ,उन्हें तत्वज्ञान समझकर चलने से अत्यधिक दुःख होगा.

२. सांसारिक बेहोशी से होश में आकर तत्व ज्ञान को जानने -समझने से  ही सुख मिलेगा.

३. खोज और छानबीन के बाद  संदेहों से निपटकर  तत्वज्ञान  जानने -समझने से  देवलोक अधिक  निकट हो जाएगा. 

४. जो तत्वज्ञान को समझ नहीं सकता , वह भले ही संयमी जितेन्द्र हो ,उससे कोई फल नहीं मिलेगा. 

५. जिसको   देखने में सत्य जैसे लगेगा,वह सत्य है या  नहीं ,इसपर खोज करके   उसकी  वास्तविक दशा को जानना ही  तत्वज्ञान है.

६. तत्वज्ञान को जानकार जो सन्यासी बन जाते हैं ,वे फिर गृहस्थ जीवन कभी नहीं अपनाएंगे .

७.जो तत्वज्ञान को सही रूप में जान -समझकर उनका सही अनुकरण करते हैं ,उनको पुनर्जन्म नहीं होगा.

८. तत्वज्ञानी संसारिकता  को छोड़कर मुक्ति चाहेगा.पुनर्जन्म  लेने से मुक्ति पाना ही तत्वज्ञान है.

९.दुखों के कारणों को जानकर उनको छोड़कर जीने से ही दुःख से बाख सकते हैं . वही तत्वज्ञान है.

१०.काम ,क्रोध ,अज्ञान से बचकर अनुशासित जीवन में ही आनंद है; वही तत्वज्ञान है.

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