४५१ से ४६० तक तिरुक्कुरल ---निम्न लोगों से दूर रहना,
१. बड़े लोग निम्न गुणियों से दूर रहेंगे. लेकिन छोटे लोग निम्न गुणियों के संग में ही रहेंगे.
२. जल का गुण जहाँ हैं ,वहाँ की भूमि के अनुकूल ही रहेगा. वैसे ही लोगों के गुण अपने कुल के अनुसार होगा.
३. लोगों को सहज ज्ञान मन से होगा; पर यश तो उसके कुल के कारण ही मिलेगा और इज्जत भी.
४. एक व्यक्ति का विशेष ज्ञान ऐसा लगेगा कि उसका अपना मानासिक ज्ञान है; पर वास्तव में उसके कुल के कारण ही होगा.
५. मानसिक और कार्मिक पवित्रता एक व्यक्ति को अपने कुल के अनुसार ही होगी.
६. मन से जो अच्छे हैं ,उनके चले जाने के बाद का यश ही श्रेष्ठ होगा.
कुल से जो अच्छे हैं ,उन के लिए कोई भी काम दुर्लभ नहीं है.
७. मन की पवित्रता उसको धन प्रदान करेगा. कुल के गुण केवल धन ही नहीं ,और सभी तरह के नाम देगा.
८. मन पवित्र होने पर भी कुल के कारण ही नाम मिलेगा.
९.एक आदमी को मन की पवित्रता के कारण सुख मिलेगा; पर अपने कुल के कारण बल पकड़ेगा.
१०. अच्छे कुल से बढ़कर लाभ प्रद और कोई नहीं है.
बुरे कुल से बढ़कर हानी प्रद और कोई नहीं है.
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