ramkri

Sunday, July 31, 2016

भक्ति क्षेत्र

कुछ  लिखना है रोज ।
कुछ बकना है,
चाहक बढें  या निंदक,
इसकी चिंता न करना है।
समझे लोग किसी पागल का प्रलाप।
ध्यान न देना।
कुछ मन की बातें प्रकट करते रहना।
भक्ति क्षेत्र अति पवित्र।
आजकल हो रहा है अति अपवित्र ।
चित्रपट -रंगशाला के समान
दर्शकों का वर्गीकरण।
हजार रुपये तो अति निकट ।
मुफ्च  तो अति दूर।
कहते हैं ईश्वर के सामने सब बराबर।
देवालयों  में  पैसे हो तो तेजलदर्शन।
लाखों का यग्ञ हवन , पाप से मुक्ति।
यह पैसे का प्रलोभन  पाप बढाएँगे। या
मुक्ति देंगै तो  भक्ति भी कलंकित।
अतः  भक्ति में हो रहा है छीना-झपटी।
भक्ति क्षेत्र बदल रहा  है
जीविकोपार्जन व्यापार क्षेत्र।
पाप की कमाई हुंडी में रुपये डालो,
पाप से मुक्ति।
ऐलान करनेवाले पागल या
अनुकरण करनेवाले पागल ।
पाप का दंड बडे राजा - महाराजा भी
भोगते ही है, न छूट।
दशरथ  का पुत्र शोक ।
राम| का पत्नी - विरह।
निृ्कर्ष यही-- सब की नचावत राम गोसाई।
Posted by ananthako at 6:42 AM No comments:
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Saturday, July 30, 2016

सावधान ढोंगियों से

आश्रम

आज एक खबर ,
रोज एक खबर ,
ठगों की दुनिया में
किसी को ईश्वर पर
पूरा भरोसा नहीं।
तन मन नहीं लगाते
भगवान पर।
बालक ध्रुव ,प्रह्लाद
वालमीकि , तुलसी ,
कालिदास  सब के सब
रैदास किसी से मिले नहीं
कबीर दास तो एक कदम आगे,
उनके भगावान की भुजाएँ अनंत।
इतने महान भक्तों  का
केवल भगवान पर आत्म समर्पण ।
   मीरा , आंडाल जैसे भक्त
इतने आदर्श उदाहरण के बाद भी,
लोग मिथ्या साधु - संतों  के पास जाते है्,
एक दंपति एक  आश्रम  गए,
उनके  बच्चे  नहीं,  साधु मिथ्या -ठग।
कहा - मेरे सामने संभोग कर ,
तभी होगा बच्चा।
फिर  खुद बलात्कार में लग गया।

तभी  ढोंगी का पता चला।
भगवान  से सीधे करो विनती।
सद्यः फल की आशा  ,
मनुष्य को बना रहा है,
अंधा।!
सोचो, सीधे करो , ईश्वर से कामना।

Posted by ananthako at 4:03 PM No comments:
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Thursday, July 28, 2016

लौकिकता



श्री गणेश के नाम से ,

काम श्रीगणेश करो ,

निर्विघ्न चलेगा काम.

लौकिकता में डुबो जवानो,

पर दो या चार मिनट सोचो

अलौकिकता की बातें. 

जीवन अपने आप 

अनुशासित हो जाएगा.

जवानी में इश्क क्षेत्र 

केवल चालीस साल तक ,

बाकी जीवन तो और दस साल बढ़सकता है;

पूर्वजों की बात मानो , 

संयम सीखो ;

भारतीय  प्रणाली   आदर्श मय ,

 अच्छीसच्ची ,

भले ही   जिओ

आधुनिक जीवन.

वस्त्रों की कमी ,

जानो खींच  लेती बलात्कार.

सामूहिक मिलन तो ठीक ,

पर खतरों से नहीं खाली.

हर नजर अनुशासित नहीं होती, 

देखो दैनिक खबरें.

बुद्धी दी है ईश्वर ने 

सोचो-विचारों आगे बढ़ो.

चित्रपट के नायक- नायिका न मानो अपने को;

आज कल के नायक भी 

प्रारम्भिक  अवस्था  में है बदमाशी.

सोचो, समझो , जागो आगे बढ़ो.

नर हो, नरोचित मनुष्यता मानो;

जिओ चैन से , बेचैनी की बात समझो.
 

संयम  सीखो , आगे बढ़ो .
Posted by ananthako at 2:13 PM No comments:
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मनुष्यता निभाओ।

खारा  पानी  भाप बनने को किसी ने न देखा।
ऐसे कर वसूलना उत्तम प्रशासन कवि ने कहा।
हँसता -मुस्कुराता  चेहरा, नीर बिन नयन।
प्रेम  सूर्य   ,कमल खिले दिल सुखा देता।
मीठे पानी के बदले खारा पानी निकाल देता।
वेदना के  जीव - नदी बहा  देता।
तनाव  में इतनी गर्मी  मनुष्य को दीवाना बना देता।
एक क्षण के पागलपन प्रेम का ,
इतना  अन्याय, हत्यारे बना दैता,
अपराधी या खदखुशी।
आजीवन कष्ट।
यह माया प्रेम  आत्मा से नहीं ,
बाह्य रूप आकर्षण, शैतानियत।
हृदय की गहराई का प्रेम ,प्रेमिका के प्रति
या प्रेमी के प्रति  भलाई चाहता।
तेजाब न छिडकाता।
  मजहबी प्रेम ,जातीय प्रेम का संक्रामक रोग,
  विषैला वातावरण, रूढिगत आत्मनियंत्रण ,
आत्म संयम , शांति प्रद, त्यागमय जीवन।
चित्रपट दिखाता बदमाशी प्रेम।
चित्त मनुष्य  का हो जाता ,घोर।
प्रेम  की कहानियाँ अलग।
अबला नारी का अपहरण अलग।
रावण ने किया, रावण तो मर्यादा रखा।
भीष्म ने तो तीन राजकुमारियों को
जबर्दस्त लाया, उसके लिए
जो वैवाहिक जीवन बिताने लायक नहीं।
कहते हैं भीष्म प्रतिग्ञा ।
उनमें न दया, न मनुष्यता।
प्रेम रूपाकर्षण अति भयंकर।
जागो युवकों, आजीवन के
खारे अश्रु बहाने से बचो।
संयम सीखो, मनिष्यता निभाओ।

Posted by ananthako at 7:33 AM No comments:
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Wednesday, July 27, 2016

जीव वध

संजीव वर्मा सलील से प्रेरित
मेरे बकवास
मतलबी दुनिया में बेमतलब बातें सहज।
सलीलजी ।  अपना थूका न चाटेंगे।
परायों को सह पोंछ लेंगे।
भले ही जवान की जान चलें,
आतंकवादी को चोट न पहुँचे,
ऐसी थूक सह लेंगे।
बकरी काटने पर चुप रहेंगे।
तोते पाल ज्योतिष धंधा,
पक्षी तंग कह रोकेंगे।
वह तो  तोते पाल सुरक्षित रखता।
वह उसका जीविकोपार्जन के साधन ।
बंदर नाच दिखा पेट भरता ,
वह तो जीव -हिंसा।
ऊँट मार खाने पर हमारे नेता हाथ बँटाता।
कितना स्वार्थ।
तोता ज्योतिष को ब्लू क्रास
विरोध करता।
आया ,आया, भालू वाला,
लिए हाथ में भालू काला।
कलाकार क़े पेट पर मार
मुर्गा, बकरी, ऊँट ,गाय माँस खाना हक ।
जानवर रख तमाशा दिखाना,
सर्प रख तमाशा दिखाना जीवध।
जीव हिंसा रोकने वालों!
मेनकाजी। ऊँट बली के
विरोध बोल सकती है।
थूकेंके ऐसे वोट के लिए
एक धर्म का समर्थक।
दूसरे बहुमत धर्मियों का अपमान।
Posted by ananthako at 12:39 AM No comments:
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Tuesday, July 26, 2016

मैं हूँ साधारण वैधानिक - सांसद

मंच में स्थान पाने ,भटक रहा है मनुष्य ।
एक दोस्त आया, शाल दिया,
कहा, मंच पर चढूँगा,
मेरे नाम कह शाल ओढा देना।
पचास रुपया दूँगा।
आहा! मेरे दोनों हाथों में लड्डू।
मैं तो माला ,नाम मात्र कहकर नहीं,
विशेषण भी जोड दिया।
  हमाारे दायरे के दाता,दादा,
आदरणीय दयाराम  को
मेरा छोटा -सम्मान।
बस  बार -बार मंच मिला।
शाल ओढाने का काम मिला।
दयाराम से सुपरिचित ,
मुझसे मिलने लगे।
बार - बार शाल ओढाना।
मंच पर चढता -उतरता
धीरे -धीरे  एक शाल एक
बडे नेता ने पहनाया मुझे।
ऐसे सेवक मिलना दुर्लभ।
   मुझे मंच मिल गया।
भाग्य चमका।
नेता के खुशामद में ,
शब्द निकला-
बर्नाटशा सुना है, अब देखता हूँ,
लेनिन नाम सुना , अब देखता हूँ।
ईश्वर सद्यः -फल देते नहीं,
नेता प्रत्यक्ष देवता।
मिलो ,सद्यः फल मिलेगा।
ईश्वर तुल्य नेता को साष्टांग प्रणाम।
फिर  किया, नेता के पास खडा रहा करता।
मंच मिल गया।
   मैं जो बोलता हूँ ,खुद नहीं जानता।
बना  वैधानिक। बना सांसद।
न जानता देश प्रेम, न जानता सेवा।
लोग मुझे नहीं जानते, मैं  नहीं जानता जनता को।
नेता की जय घोषणा जानता।
चुनाव क्षेत्र और मेरा कोई तालुक नहीं,
मतदाता अति चतुर , मैं जीत जाता ।
मेरे  एक मंदिर,एक कालेज, बस मालामाल हे गया।
अब काले धन मुझे ओट ,
नोट से वोट, मेरे चाटुकार मुझे हारने न देते।
कमाते बहुत , विसा ,पास पोर्ट,
विदेशी बैंक,विदेशी यात्रा।
अच्छे अधिकारी, कुछ देशोन्नति  काम करते।
ठेकेदार पुल बनाते,
खासकर नेता की मूर्ती स्थापित करते ।
सडक बनाते तीन महीने में दरारे पड जाती।
फिर ठेका फिर सडक।
हर देश हित योजना,
पैसे बिना माँगे मिल जाते
चुनाव में खरच करना है,

मंच मिल गया, जय हो
भारतीय लोक तंत्र।

नेता के खुशामद में  जी रहा हूँ।
जय हिंद। वंदेमातरम्।

Posted by ananthako at 10:47 PM No comments:
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जय हिन्द

देश की एकता में
धर्म और जातियों के -भेद की बाधाएं क्यों?
भारतीय वर्ण व्यवस्था आदि काल से
पढ़े -लिखे सभ्य वर्ग ,
मेहनती वर्ग
शासक वर्ग
वैश्य
कालान्तर में छूत=अछूत के भेद;
विदेशी आक्रमण
अंतरराष्ट्रीय वैवाहिक,
कानूनी-गैर कानूनी सम्बन्ध
सनातन धर्म में आकार-निराकार -की मान्यता,
मूल हिन्दू अपनी इच्छा से धर्म बदलना
भय -दंड व्यवस्था के कारण
प्रलोभन के कारण धर्म बदलना
प्रेम के कारण
जो भी हो ,
भारतीयता धार्मिक परिवर्तन के साथ
खून से जुडा हुआ है.
यही बुनियाद पर्याप्त है,
विभिन्न रंगों और ढांचों
कमरों के भारतीय देश की इमारत
पक्की रहने के लिए.
इस बुनियाद में छिपी राष्ट्रीय एकता की भावना को
जगना,जगाना ,जगवाना
भेद भाव भुलाने में जागृति लाना
निस्वार्थ देश प्रेमी भक्तों का
लक्ष्य होना चाहिए.
स्वार्थ लोग
लोगों की भारतीय एकता
बिगाड़कर
अपने स्वार्थ सिद्ध करना चाहेंगे ही.
इनको समझना -समझाना भी
एक उद्देश्य होना चाहिए.
भारत के मुसलमान -ईसाई के पूर्वज हिन्दू थे
प्रसिद्ध संगीतकार ये .आर. रहमान ,
येसुदास के भक्ति गीत
धार्मिक एकता के जीता जागता उदाहरण.
भारतीयों जागो;
देश को सोचो;
अपने अपने धर्म पथ अलग
मनुष्यता की सेवा भावना एक.
इंसानियत निभाने
धर्म की जरूरत है
पर स्वार्थवश लड़ना- झगड़ना
अल्ला को या विश्वनाथ को या ईसामसीह को
स्वीकार्य नहीं ;
समझो ;जानो; ज्ञान मिलें;
मनुष्यता से रहो;
बचाना मनुष्यता ;
जान लेना पशुत्व;
बुद्धि से काम करो;
देश की एकता प्रधान है;
देशवासियों की एकता प्रधान है;
बुनियाद मज़बूत करो;
अपनी इमारत में सानंद रहो.
जय हिन्द! वन्देमातरम

Anandakrishnan Sethuraman's photo.
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Posted by ananthako at 1:34 PM No comments:
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मनुष्य गुण

है ?

क्या मन और दिमाग

दोनों एक ही बात सोचता है?

दिमाग कहता है

तो मन दौड़ता है

मन भागता है

मन लहराता है

अस्थिर मन के मूल में

आँखें प्रधान हैं

कान गौण हैं .

आसपास की घटनाएं

नाते रिश्ते दोस्तों की बातें

संगीत ,न जाने जड़ जंतुएँ

पालतू -जंगली जानवर .

छिपकली देखा,

उसकी निर्दय व्यवहार

मकड़ी देखी

इसका बेहरमीबर्ताव,

बाघ हिरन का शिकार

बड़ी छोटी मछली का व्यवहार

बिल्ली चूहा सबंध

ईश्ववर की सृष्टियों में

कोमल --निर्बल जानवर.

कीड़े मकोड़े

निर्मम ,निर्दय असहानुभूति

हमदर्द हीन.

पर मनुष्य

क्या करेगा ?किसको पता?

वह ओ काटेगा, चाटेगा,
दान करेगा, हत्या करेगा,
सहानुभूति दिखाएगा,
ईश्वर की आराधना करेगा.
ईश्वर की निंदा करेगा.
दैविक किताब,
मजहब जाति के नाम पर,
निर्दयी हत्याएं करेगा.
उसकी निश्चित बुद्धि नहीं है.
यही मानव का गुण ,
स्थापित करना ही मुश्किल.
भरोसा ? !!
Posted by ananthako at 1:29 PM No comments:
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संगम

संगम   में  संगम।
मनुष्य जीवन खतरे से खाली नहीं।
मगर मच्छ आँसू बहाकर ठग।
साँप -सा विषैले लोगों का जग।
अचानक आकर गोलियाँ बरसानेवाले,
तलवार   से   काटनेवाले,
ऊपर से गोली, जमीन में छिपी गोली।
मनुष्य जीवन खतरों से भरा।
ईर्ष्यालू,लालची,कंजूसी,
राह डकैतियों और  चौराहे खडे पुलिस
दोनों में कभी -कभी
फरकनहीं  दीखता।
नहीं अनुशासन शिक्षा में,
शिक्षा  की  महँगाई
निर्दयता लाती।
दानशीलता भगाती।
भक्ति क्षेत्र बाह्यडंबर।
तीस हजार रुपये खर्च ,
कलाकार का परिश्रम
भगवान को भी टुकडे टुकडे करती।
फिर भी संसार में अच्छों की कमी नही
अच्छों का संगम सागर। ।ं

Posted by ananthako at 6:59 AM No comments:
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जागो

कुछ लिखो,
देश भक्ति के बारे में।
तन-मन-धन देते हैं ,
देश के लिए अपना सर्वस्व
अर्पण करते हैं,
वे रक्षक हैं देश का,
ऐसे शहीद देश भक्त अनुयायियों में
होते हैं कुछ भक्षक।
आज तेलंगाना सांसद बोलती,
तैलंगाना भी एक कश्मीर।
कश्मीर आतंकवादी के समर्थक
कांग्रस  विदैशी खून मिले बाधक।
धर्म निरपेक्ष के नाम ,देश को ,
दैश वासियों को बाँटने का नाशक।
शक नहीं जरा भी ये 
मजहब के नाम , जाति के नाम ,
आरक्षण के नाम राष्ट्रीय धारा के बाधक।
आँध्रा एक ही भाषी उनको टुकडा कर
तेलंगाना कश्मीर बोलने का हिम्मत।
ऐसे देश की एकता बाधक  शक्तियों को
जड मूल उखाडने की एक शक्ति,
युवा शक्ति।
जागो युवकों!  जगाओ युवकों!
ऐसी राष्ट्रीय एकता के बाधकों को बढने न देना।
प्रांतीय  जोश के साथ - साथ
राष्ट्रीय जोश की धारा प्रधान और प्राथमिकता हो।
इंदिरा की गलत नीति तमिलनाडु में
राष्ट्रीय दल न पनप रहा है।
जब हम थे टुकडे - टुकडे,
विदेशियों के अधीन रहे, याद रखना।
कितने  निस्वार्थ   सेवक,   
शहीद  देश को ही प्रधान माना ।
अब स्वार्थ अदूरदर्शी  इधर - उधर
अलगवादी में लगना शुरु किया है।
पहचानो, भारत माता की संतानें हम।
बोलो , जय हिंद। वंदेमातरम्।

Posted by ananthako at 6:32 AM No comments:
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Sunday, July 24, 2016

Tamil चित्रपट गीत

நான்  பெற்ற  செல்வம் ---திரைப்பட  பாடல்  १९५६ .

नान  पेट्र  सेलवं --तमिल सिनेमा  गीत --१९५६

      उच्च  जिन्दगी  जीने  पर भी  ,   निंदा   करेगा  संसार ,

     निम्न  जिन्दगी   जीने   पर  भी ,  निंदा  करेगा  संसार.

     पतित लोगों  को  देख  हँसेगा    संसार ,

    उत्थान   लोगों  से   करेगी घृणा  संसार .

    रंक  की  माँग  से  हँसी उड़ाएगा  संसार ,

   रईसों  की  माँग को  अभिनय  कहेगा  संसार.

  असभ्य  बनकर    पाप-पातक  करेगा
  
अमीरी  से  सब को छिपाना  चाहेगा  संसार .

गुणी  कुटुंब  को  विनाश  करेगा  संसार.

  गुण  बदलकर  भ्रष्ट  मार्ग  पर  चलेगा    संसार.

Posted by ananthako at 6:35 PM No comments:
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देवियाँ

आज शुक्रवार है।
देवियों की पूजा।
सोचा देवियों नाम।
अष्टलक्ष्मी  में सब सम्मिलित।
अलावा इनके तीन देवियाँ,
सरस्वती,लक्ष्मी , पार्वती।
   कितने नाम ,कितनी कीर्ती
फिर भी भय रहित कर रहे हैं बलात्कार।
सद्बुद्धि दें मानव को  नहीं तो दिखाओ,
अपनी  शक्ति।
दुर्गा कहते हैं, उनमें कितनी दुर्गाएँ ,
कनकदुर्गा, वनदुर्गा, 
शीतला देवी,संतोषी माँ, भुवनेश्वरी देवी,
महिषासुर वर्द्धिनी,काली,भद्र काली,
दाक्षायिनी,  बृहननायकी,  भवानी, रेणुका दैवी,
उमा महेश्वरी,  कर्पकवल्ली ,  मीनाक्षी ,कामाक्षी,
विशालाक्षी,  सौडांबिका,चामुंडीश्वरी,
सप्तमाताएँ,सप्तकननिका,
इतनी शक्तियाँ ,इतना बलात्कार,
इतना भ्रष्टाचार । भ्रष्टाचारियों का बचाव।
जरा सोचा इतना भय ,इतनी शक्तियाँ,
फिर भी इतना अन्याय।
न  देवियों का भय, न अपमान का भय।
तमाशा देखिए : सबका जन्म ,सबकी मृत्यु सम।
न कुछ ले आया, न किछ ले गया।

Posted by ananthako at 5:06 AM No comments:
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Saturday, July 23, 2016

கடவுள் யார் .?

ஆலமரத்தடி விநாயகரை விட
வைரக்கிரீடம் தங்க கவசம் சாத்திய
கடவுள்களுக்கே  கூட்டம் .

அஹம் ப்ரஹமாஸ்மி.
ரஜினி ரசிகன் ரஜினி படம் முன் மண்சோறு சாப்பிடுகிறான் .
கடஅவுட் பாலாபிஷேகம் செய்கிறான் .
கற்பூரம் காட்டுகிறான் .
குஷபு கோவில் அனைவருக்கும்
தெரியும் .எம்.ஜி.யார் கோவில்
அண்ணா சமாதியில் வழிபாடு
ஈவேரா செருப்புகழட்டிவிட்டுத்தான்  சமாதிக்குள் .பக்தி
என்னடம் பணம் இருந்து
லட்சம் பேருக்கு தலா ஒரு லட்சம் கொடுத்தால் நானே கடவுள் . வள்ளல் .
தொழிற்சாலை முதலாளியாகி ஐயாயிரம் பேருக்கு வேலை அளித்தால் நானே தெய்வம்.
விபத்தில் அடிபட்டு யாரும் கவனிக்காத போது முன் பின் அறியாத ஒருவர் முதலுதவி செய்து   மருத்துவமனையில் சேர்த்தால் அவனே கடவுள்.
இப்படி உடனடி தேவைகளுக்கு உதவ  மனிதர்களை அனுப்பும்
ஆண்டவன் ஒரு பெரும் சக்தி.

Posted by ananthako at 10:00 AM No comments:
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शिव क्रीडा कण्णदासन कवि राज का गाना


तिरुविलैयाडल| तमिल चित्रपट
कण्णदासन गीत ।

शिव मनुष्य रूप में अवतार लेकर गाने की कल्पना।
देखने में तो  हरा पेड़,  (पेड मनुष्य का प्रतीक )
  लेट  जाएगा तो लम्बा पेड़.

-क्यावह ईंदन बनेगा?
ज्ञान  स्वर्ण  है  तू  ।

आग में  जलें तो    कोयला बचेगा ?
 .. ... ज्ञानस्वर्ण है तू।
स्वर्ण  -अमूल्य चीजों   के  बोरें   जमाकर रखा,
ये पिछले साल  की वर्षा पर विश्वास  करके  बीज बोये,
..
हिसाब बही को बदल-बदलकर   लिखा करते  थे
.
ईश्वर  के हिसाब   न बदला,

गिर पड़े
अति   सुन्दर शारीर  ,

देखो ,

फूल और तिलक सहित.
ये  पैर   पसारकर  लेट जाय तो मूल्य    होगा क्या?
घूम-घूम नाचने की जवानी देख,

शरीर कूबड़  हो जाएँ तो क्या   नाचेगा?
फसल   काटने के पहले कैसे बीज बो सकते हो?
हरे भगवान!  तेरी  सृष्टि में  कितना तेज़  कैसे ?
दस बच्चे होने के बाद भी  गर्भ-धारण ?
इस पापी  बेटी   को रोज क्यों गर्भावेश?
देखने  में हरा पेड़,

लेट जाएगा  तो लम्बा पेड़.

जलें  तो  न प्रयोज़न।।

( मनुष्य  शरीर की हरियाली सूखेगी तो न प्रयोजन,
जनसंख्या बढने में न देरी।)
பார்த்தா பசுமரம்== देखने में तो  हरा पेड़,
= படுத்துவிட்டா நெடுமரம் =  लेट  जाएगा तोलम्बा पेड़.
சேர்த்தா விறகுக்காகுமா? --क्यावह ईंदन बनेगा?
-ஞான தங்கமே===ज्ञान  स्वर्ण  है
--- தீயிலிட்டா கரியும் மிஞ்சுமா.
=आग मेंजलेंतो    कोयला होगा?..ஞான தங்கமே... ज्ञानस्वर्ण है.
பொன்னும் பொருளும் மூட்டைக் கட்டி போட்டு வச்சாரு
स्वर्ण  -अमूल्य चीजों   के  बोरें   जमाकर रखा,
இவரு போனவருஷம் மழைய நம்பி விதை  விதைச்சாரு
ये पिछले साल  की वर्षा पर विश्वास  करके  बीज बोये,
..
ஏட்டு கணக்க மாத்தி மாத்தி எழுதிவச்சாரு.
हिसाब बही कोबदल-बदलकर   लिखा करतेथे
.ஈசன் போட்ட கணக்கு மாறவில்லே போய்
ईश्वर  के हिसाब   न बदला, गिर पड़े
விழுந்தாறு..
கட்டழகு மேனியைப் பார் பொட்டும் பூவுமா,
अति   सुन्दर शारीर  देखो  फूल और तिलक सहित.
நீட்டிக் கட்டையிலில படுத்து விட்டா காசுக்காகுமா?.
ये  पैर   पसारकर  लेट जाय तो मूल्य    होगा क्या?
வட்டமிடும் காளையைப் பார் வாட்ட சாட்டமா கூனி
घूम-घूम नाचने की जवानी देखो,
வளைஞ்சி விட்டா ஒடம்பு இந்த ஆட்டம் போடுமா??
शरीर कूबड़  हो जाएँ तो क्या   नाचेगा?
அறுவடைய முடிக்கும் முன்பே விதைக்கலாகுமா
फसल   काटने के पहले कैसे बीज बो सकते हो?
அட ஆண்டவனே உன் படைப்பில் இத்தனை வேகமா??
हरे भगवान!  तेरी  सृष्टि में  कितना तेज़ कहाँ?
பத்து புள்ள பெத்த பின்னும் எட்டுமாசமா?
दस बच्चेहोने के बाद भी  गर्भ-धारण ?
இந்தப்பாவி மகளுக்கெந்த நாளும் கர்ப்ப வேசமா??
इस पापी  बेटी   को रोज क्यों    गर्भ वेश ?
பார்த்தா பசுமரம் படுத்து விட்டா நெடு மரம்..
देखने  में हरा पेड़,  लेट जाएगा  तो  लम्बा पेड़.
जलें  तो  न प्रयोज़न।
Posted by ananthako at 8:53 AM No comments:
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Thursday, July 21, 2016

भगवान

भगवान
_______
भगवान उनके साथ जो भाग्यवान होते हैं.
भाग्यवान कौन ?
धनी ? गरीब ? ईश्वर भक्त ? गृहस्थ ? अविवाहक ?
धनी ही सुखी गरीब समझता है ,
पर मेहनती गरीबों की मीठी सहज नींद ,
धनी सोते हैं ? पता नहीं .
एक राजा ने कंकरीली पत्थर पर सोनेवाले ,
अर्द्धनग्न भिकारिन को चमेली से भरे बिस्तर पर
सुलाया , दो दिन की मीठी नींद के बाद ,
राजा ने देखा , वह मीठी नींद सोने के बदले
बिस्तर पर के चमेलियों में कुछ तलास कर रहा था ;
राजा ने सबेरे पूछा --क्या आप कंकरीली पत्थर पर
कष्ट की नींद सो रहे थे ; तीन दिन की नीद कैसी थी?
आराम दायक ,सुख प्रद , संतोष प्रद ?
भिखारिन ने बताया इतना सुख , इतना मुलायम .
पर मुलायम फूलों के बीच जो फूल का मस्सा था,
उसके चुभने से नींद नहीं आयी .
तीन दिन के सुखी मुलाम पर सोने का असर
गरीब की नींद को बिगाड़ दिया तो
धनियों की मीठी नींद के लिए नींद की गोलियाँ .
धनी धनी होता है तो दानी नहीं है.
भारत देश में धनी भगवान के वरदान के लिए ,
धन लाभ के लिए हुंडी में लाखों डालता हैं ,
गरीब भी अध्-भूखा पैसे बचाकर हुंडी में डालता है,
हुंडी में डालने से एक दैविक सुख- आनंद -संतोष का
इतना अनुभव करता हैं ,अगले साल भर -पेट खाकर हुंडी में डालता है.
यह विचित्र चमत्कार भारतीयों में कैसे पता नहीं;
कितने मंदिर ,कितने तीर्थ स्थान , कितने साधू संत , नग्न , अर्द्धनग्न ,
आश्रम के सुखी स्वामीजी पता नहीं ,
भारतीय आध्यात्मिकता , त्याग ही त्याग सिखाता ,
आश्चर्य धनी सुखी को देख ,दीं -दुखी को देख,
अल्प मृत्यु को देख , दीर्घ रोगी को देख .
भ्रष्टाचारियों के सुख देख ,ईमानदारियों के कष्ट देख
अपने आप समाधान -शान्ति कर लेता है,
यह तो अपना -अपना भाग्य .
पूर्व जन्म का फल, पूर्वजों के पाप , नाग दोष ,
झूठी गवाह का दोष, तोते को पिंजड़े में बंद रखने का दोष ,
हत्या का दोष , गर्भ पात का दोष, चोरी का दोष ,
पैर ठीक न साफ करने का दोष, पीठ न पोंछने का दोष .
न जाने कितने दोष ?न सब से बड़ा दृष्टी दोष.
ईर्ष्या दोष, न जाने दोषों क दोष.
इष्ट देव की पूजा न करने का दोष;
कुल -देव मंदिर भूलने का दोष ,
पितृ दोष , गुरु -द्रोह दोष , डाक्टर फीस न देने का दोष,
राज -दोष, धोबी की मजदूरी न देने का दोष,
दोस्त के प्रति विश्वास घात का दोष ,
भाषा उच्चारण का दोष , और यदि कोई दोष छूट गए तो
उसका दोष, हाल ही में पापों की सूची बढ़ती जा रही है,
तीर्थ स्थानों में नहाने में भी दोष ,
तीर्थ -नदी -तालाब में मॉल -मूत्र विसर्जन का दोष ,
मंदिर गया जल्द बाजी में अमुक स्तंभ के अमुक भगवान के
दर्शन न करने का दोष,.
दक्षिण में सर रख सोने का दोष,
उत्तर में सर रख सोने का दोष,
अतिथि सेवा में दोष, अधर्म का दोष ,
और इतने दोष बताकर डराने के देश में
ईश्वर का भय कहाँ ?
बलात्कार , भ्रष्टाचार ,कालाबाजार, रिश्वतखोर ,
हत्यायें, न्यायालय का अन्य्याय सब चालू है तो
इतने दोषों की सूची क्यों ?
केवल प्रायश्चित करके दोष निभाने के लिए .
नहीं ,नहीं , पाप कर्म ,पाप विचार से बचने के लिए.
सनातन धर्म का एकाग्र अनुयायी कोई नहीं जहां में.
वास्तविकता यही चालू है.
Anandakrishnan Sethuraman's photo.
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