राजनीति की विचित्रता ,
आम लोगों की लापरवाही ,
भारतौन्नती तो यंत्रीकरण मानना
यह तो ठीक नहीं ,
भारत तो देश किसानों का,
समृद्ध भूमि,
दस रूपये के बीज में
हरियाली छा जाती हैं ,
विदेशों -सा अनुपयोगी पेड़ नहीं
हर पेड़ में इलाज की शक्ति ;
पीपल का पेड़ हो या बरगद ,
नीम का पेड़ हो या इमली का
हर पेड़ में नीरोग के गुण .
चन्दन के पेड़ ,मिर्च -इलायची के गुण अनेक.
अब स्वार्थ राजनीति तो कृषी का गला घोंट,
काले धन के बल चुनाव जीतने ,
कारखाने के मोह दिखाकर
समृद्ध भूमि को विषैली भूमि बना रही है;
खेतों को नष्ट कर ,आवास बनाने से
भविष्य में दाने -दाने के लिए तरसेगी जनता;
भव्य महल,कारखानें की धुएँ ,सुन्दर इमारतें
धन-संपत्ति ,आधुनिक सुख -सुविधाएं
धान्य न देगी,शिष्टाचार न देगी;
धन तो केवल रहेगी भोग की वस्तु;
योग की वस्तु तो प्रढूषित.
जगना है ,जगाना है आम लोगों को;
कृषी भूमि को छुडाना है इन स्वार्थी
राजनैतिक ,लोभी लोगों से .
जागो जनता,बचाओ भूमि को.
नदियों के प्रदूषण को ;
तत्काल के सुख है धन ;
सदा के सुख है धान्य
जागो ; विचारों; देश की सम्पन्नता बचाओ.
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