प्यार के शुरुआत में.
रोमांचित वह बिजली की धक्का के
प्रथम स्पर्श ,मधुर वक्त
कभी भूला जा सकता है?
कभी नहीं.
वक्त बदलेगा
वसंत के बदलेगा रूप.
दीखेंगे सर्वस्व
बहार के बाग़ .
हरे -भरे नव -पल्लव
आँखों को देगा आनंद.
वसीकरण ऐसा लगेगा
सभी फूल खिले हैं मेरे लिए
सुवास देने.
कठोर सर्दी में भी गर्मी का एहसास.
हड्डियों को कम्पानेवाली सर्दी में
भी दिल में तो ताप.
परिचित चेहरे भी
नए लगने का सौन्दर्य .
आपदा में दफनाये
आत्माएं भी पवित्र बनने का अद्भुत.
छोटी-सी भूल भी सहा नहीं जाता
बदला लेने उछल पड़ता.
अब बड़ी -बड़ी भूलें भी
क्षमा करने योग्य मन कैसे ?
अपमान जैसा भी हो
सहने का,स्वीकृत करने का
मन कैसे आया?
बगैर नींद के रात के बाद भी
बिन आलसी थकावट के दिन कैसे?
भूख -और प्यास तो उड़ गए कैसे?
सदा सर्वत्र उसकी यादें
मेरे दिल और विचार में
उस की एक मुस्कुराहट
प्रेरित करने पर्याप्त
.
मेरा हर अक्षर ,कविता बनी.
मेरी तूलिका का हर रंग चित्र बना .
रोग निरोधक सुई कोई नहीं ,
यह मधुर रोग हर एक पर असर डालता ही है.
जग को स्वर्ग रूप देनेवाला वह मन्त्र
वह क्षण भूला नहीं जा सकता.
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